
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख और सूबे के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की ओर से दायर एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) पर सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा. हेमंत सोरेन ने विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति देने के लिए पीएमएलए और उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका खारिज करने के खिलाफ एसएलपी दायर की थी.
स्पेशल लीव पिटीशन को जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सोरेन ने अपनी याचिका में कहा है कि विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार करना उचित नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय को उन्हें निकट भविष्य में बुलाए जाने वाले सत्रों में भाग लेने की अनुमति देनी चाहिए.
बता दें कि एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने हाल ही में हेमंत सोरेन की न्यायिक हिरासत 4 अप्रैल तक बढ़ा दी थी. अधिकारियों ने बताया कि सोरेन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष पेश हुए थे. इससे पहले 15 फरवरी को पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें 22 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, इसके बाद से उन्हें रांची के होटवार में बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में रखा गया है.
हाल ही में झामुमो में शामिल हुईं कल्पना सोरेन ने अपने पति के जेल जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग झुकेंगे नहीं और भविष्य में अपने वोटों से फिर जिताएंगे.
झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी की रात को अरेस्ट किया था. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की थी, उनकी गिरफ्तारी कथित जमीन घोटाले में हुई थी. ईडी ने गिरफ्तारी से पहले करीब 7 घंटे तक उनसे पूछताछ की थी. अरेस्ट किए जाने के बाद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ईडी दफ्तर ले जाया गया था. ईडी ने सोरेन को 10 समन जारी किए थे, बता दें कि हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2019 को झारखंड के सीएम का पद संभाला था.