
Karnataka Hijab Row: उडुपी गवर्नमेंट कॉलेज (Udupi govt college), कर्नाटक का यही वह कॉलेज है जहां से पूरा हिजाब विवाद (hijab controversy) शुरू हुआ. इसका पूरा नाम Govt Pre University College For Girls है. जहां 8वीं से 12वीं तक की पढ़ाई होती है. कर्नाटक में 11वीं और 12वीं को प्री यूनिवर्सिटी माना जाता है. इसी कॉलेज से विवाद पहले कर्नाटक और अब कई राज्यों तक में फैल चुका है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुंच चुका है.
उडुपी गवर्नमेंट कॉलेज के प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा से आजतक ने बात की. प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने बताया कि विवाद पिछले साल 27 दिसंबर के बाद शुरू हुआ और इसे भड़काने के पीछे वह कुछ छात्र संगठनों का हाथ मानते हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि अब देखकर लगता ही नहीं है कि वो छात्राएं उन्हीं के कॉलेज की हैं.
प्रिंसिपल से पूछा गया कि 31 दिसंबर को क्या कुछ छात्राओं ने उनसे हिजाब पहनकर आने की इजाजत मांगी थी. इसपर प्रिंसिपल ने बताया कि हां ऐसा हुआ था और उन्होंने छात्राओं को बता दिया था कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी है और उनका जवाब ना आने तक बिना हिजाब के आना होगा.
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प्रिंसिपल ने बताया कि 27 दिसंबर को हिजाब पहनकर आने की मांग करने वाली 12 छात्राओं को उन्होंने मना लिया था और वे शांति से क्लास में चली गई थीं. सिर्फ चार छात्राएं बिना हिजाब आने को तैयार नहीं थीं और वे ही छात्र संगठन CFI के वकील और नेताओं को साथ लाई थीं.
क्या कॉलेज ने CFI से बात करने की कोशिश की? इसपर प्रिंसिपल ने कहा कि कॉलेज ने साफ स्टैंड लिया था कि बातचीत CFI से नहीं होगी और छात्राओं के परिवार से बात करके उनको समझाने की कोशिश होगी.
पिछले कई सालों से कॉलेज में हिजाब नहीं - प्रिंसिपल
प्रिंसिपल ने पूछा गया कि क्या पिछले दो सालों कॉलेज में हिजाब पर पाबंदी है? इसपर उन्होंने कहा कि दो नहीं पिछले 35 सालों से कॉलेज में हिजाब ड्रेस का हिस्सा नहीं है. क्लासरूम तक लड़कियों को हिजाब पहनने की इजाजत है लेकिन क्लास की पढ़ाई के दौरान सभी छात्राएं यूनिफॉर्म में और बिना हिजाब के बैठती हैं. लेकिन 27 दिसंबर के बाद चार लड़कियों ने कहा कि पढ़ाई के घंटों के दौरान भी वे हिजाब पहनेंगी.
प्रिंसिपल ने यह भी दावा किया कि छात्राओं के माता-पिता उनकी बातों से सहमत हैं और चाहते हैं कि कॉलेज प्रसाशन उनकी बच्चियों को समझाए. कॉलेज प्रिंसिपल ने कहा कि हमने उन माता-पिताओं से कहा है कि वे ही उनको मनाएं क्योंकि अगर वे उनकी नहीं सुनेंगी तो किसकी सुनेंगी. और अगर ऐसा है तो यानी वे बाहर वालों की बातों में आ गई हैं.
प्रिंसिपल ने यहां तक कहा कि अब देखकर लगता ही नहीं है कि वे हमारी ही छात्र हैं. उन्होंने कहा कि छात्राओं पर इस वक्त CFI और अन्य संगठनों का असर पड़ चुका है.