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West Bengal: बिना गंगासागर जाए मकर संक्रांति के मौके पर कर सकेंगे स्नान, घर पर होगी पवित्र जल की Delivery

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर की तीर्थ यात्रा को लेकर मान्यता है कि 'सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार.' इसके पीछे की मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा से जो पुण्यफल प्राप्त होता है, वह सिर्फ गंगा सागर की तीर्थयात्रा में एक बार में ही प्राप्त हो जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगासागर में स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगासागर में स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है.
अनुपम मिश्रा
  • गंगासागर,
  • 11 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST
  • बंगाल में बढ़ते कोरोना के मद्देनजर लिया गया फैसला
  • मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर में लगता है मेला

गंगासागर का पवित्र जल (Holy water of gangasagar) अब बंगाल के हर जिले में मिलेगा. प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर राज्य प्रशासन ने गंगासागर के पवित्र जल को बंगाल के हर जिले में भेजने की शुरुआत कर दी है. 

आज ऐसे 23 भीमकाय कलशों को गंगासागर के जल से भरकर भेजना शुरू किया गया है. ये 23 कलश बंगाल के 23 जिलों में नाव के जरिए भेजे जाएंगे. बगैर गंगासागर आए ही लोग अपने जिलों में मकर संक्रांति के दिन गंगासागर के पवित्र जल से स्नान कर सकेंगे. 

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दरअसल बढ़ते कोरोना मामलों के मद्देनजर इस बार बहुत दर्शनार्थी गंगासागर नहीं आ रहे हैं. अमूमन 18 से 20 लाख दर्शनार्थी हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर गंगासागर पहुंचते हैं. कुंभ के बाद भीड़ के लिहाज से यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समागम है. 

लेकिन इस साल लगभग 5 लाख दर्शनार्थियों के यहां पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में बाकी के दर्शनार्थियों को गंगासागर के पुण्य स्नान का लाभ मिले इसी वजह से यह व्यवस्था की गई है.

सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार
मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर की तीर्थ यात्रा को लेकर मान्यता है कि 'सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार.' इसके पीछे की मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को सभी तीर्थों की यात्रा से जो पुण्यफल प्राप्त होता है, वह सिर्फ गंगा सागर की तीर्थयात्रा में एक बार में ही प्राप्त हो जाता है.

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क्या है गंगासागर स्नान का पौराणिक महत्व
मान्यता है कि जब गंगा शिवजी की जटा से निकलकर धरती पर बहते हुए ऋषि कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची थी, वह मकर संक्रांति का दिन था. माना जाता है कि इसी दिन मां गंगा कपिल मुनि के श्राप के कारण राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को सद्गति प्रदान करके सागर मिली थी.

 

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