
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने को अगस्त में 2 साल पूरे हो रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो साल पूरे होने पहले घाटी की सुरक्षा पर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. घाटी की सुरक्षा पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के डायरेक्टर जनरल (DGP) दिलबाग सिंह के साथ महत्वपूर्ण बैठक की गई.
जम्मू-कश्मीर पर बुलाई गई इस अहम बैठक में केंद्र शासित प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी चीफ अरविंद कुमार और गृह मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
गृह मंत्री शाह ने इस अहम बैठक में कहा कि भले ही घाटी में स्थितियां सामान्य हो रही हों, लेकिन सुरक्षा में कोई ढील नहीं देनी होगी. गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सुरक्षाबल लगातार आतंकवादियों को खात्मे के लिए कदम उठाए और घाटी में सामान्य स्थितियां बहाल करे.
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सूत्रों के मुताबिक कश्मीर घाटी की स्थिति पर प्रेजेंटेशन देते हुए एक अधिकारी ने कहा कि सीमाओं पर पाकिस्तानी सेना द्वारा सीजफायर का उल्लंघन न करना, अस्थायी समझौता हो सकता है.
आतंकवाद को खत्म करने पर जोर
समीक्षा बैठक में भले ही आतंकियों की मौजूदा संख्या या मारे गए आतंकवादियों की संख्या के बारे में चर्चा न की गई हो, लेकिन इस बात पर बैठक में मौजूद लोगों का जोर रहा कि जब तक सीमाओं पर शांति है, घाटी में फैले आतंकवाद को खत्म किया जाए.
सूत्रों के मुताबिक अमरनाथ यात्रा या जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर इस अहम बैठक में किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई. यह केवल घाटी की सुरक्षा पर बुलाई गई बैठक थी. जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बाद यह दूसरी बार है, जब गृह मंत्रालय ने बैठक बुलाई है. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने 6 जून को अहम बैठक बुलाई थी.
घाटी में अब संभल रहे हालात
सूत्रों के मुताबिक घाटी में आतंकवाद से संबंधित हिंसा की छिटपुट घटनाओं सामने जरूर आई हैं, लेकिन स्थितियां अब नियंत्रण में हैं. 2020 तक बड़ी संख्या में आतंकवादियों को ढेर किया जा चुका है. सुरक्षाबलों के सामने द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) जैसे समूहों के सामने आने से चुनौती जरूर बढ़ी है लेकिन सुरक्षाबल तैयार हैं. ये दोनों संगठन पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखाएं हैं.
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सूत्रों के मुताबिक डीजीपी ने बैठक में कहा कि सुरक्षाबलों के सामने कोरोना महामरी के बीच जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक हिंसा और आतंकवाद से निपटने की चुनौती भी थी. सीमापार से होने वाले घुसपैठ में कमी आई है, लेकिन लॉन्चिंग पैड फिर सक्रिय नजर आ रहे हैं. हालांकि जम्मू में ड्रोन के जरिए सीमाओं पर नजर रखी जा रही है.
पाकिस्तान में कमजोर हो रहे आतंकी संगठन
एक वरिष्ठ अधिकारी ने रिव्यू मीटिंग में कहा कि पाकिस्तान पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसे संस्थानों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद आतंकवादी संगठन कमजोर पड़े हैं. कुल 200 आंतकवादियों में से 105 विदेशी आतंकी घाटी में हैं, जिनमें से ज्यादार खत्म हो चुके हैं. स्थानीय आतंकवादियों से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर इंटेलिजेंस यूनिट को एक्टिवेट करना होगा.
सुरक्षा समीक्षा बैठक से पहले, अमित शाह ने नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर की विभिन्न विकास परियोजनाओं की समीक्षा की. अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का चहुंमुखी विकास और कल्याण मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
कोविड नियंत्रण पर राज्यपाल की तारीफ!
गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की योजनाओं की 90 प्रतिशत पहुंच की सराहना की. इसके साथ ही, अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में 76 प्रतिशत और चार जिलों में 100 प्रतिशत COVID-19 टीकाकरण अभियान के लिए उपराज्यपाल और उनकी टीम की सराहना की. केंद्रीय गृह मंत्री ने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर, पश्चिमी पाकिस्तान के सभी शरणार्थियों और कश्मीर से जम्मू में प्रवास करने वाले सभी शरणार्थियों को शरणार्थी पैकेज का लाभ जल्द से जल्द पहुंचाने का निर्देश दिया है.
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बैठक के बाद उपराज्यपाल मनोज सिंह ने कहा कि अमरनाथ यात्रा को लेकर शनिवार तक फैसला लिया जा सकता है. तीर्थयात्रा के 28 जून से शुरू होने और 22 अगस्त को समाप्त होने की उम्मीद लगाई जा रही है. कोरोना महामारी के बीच अप्रैल में, श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने पंजीकरण को अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया था.
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