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Cyclone Biporjoy ने रोकी Monsoon की रफ्तार, कब होगी बारिश? IMD ने बताया

आईएमडी के महानिदेशक, मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि मॉनसून एक large-scale और ग्लोबल फेनोमिना है जबकि साइक्लोन एक लोकल फेनोमिना है इसीलिए बहुत बड़े स्तर पर साइक्लोन मॉनसून को प्रभावित नहीं करता है.

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कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की तबाही गुजरात के कई हिस्सों में देखने को मिली और कई राज्यों में इसके असर से तेज हवाएं और बारिश देखी गई. मॉनसून से पहले ही कई राज्यों में जोरदार बारिश हुई. इससे सवाल उठता है कि क्या चक्रवात का असर मॉनसून पर देखने को मिलेगा? आइये जानते हैं. पहले हम आपको ये समझा देते हैं कि साइक्लोन के समय समंदर में क्या हलचल होती है और  ये मॉनसून के लिए बन रही गतिविधियों से कैसे अलग होती है.

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साइक्लोन और मॉनसून के दौरान समंदर में क्या होता है?

जब भी साइक्लोन किसी समंदर के ऊपर आता है तो साइक्लोन के साथ बादलों से बारिश भी होती है. बारिश होने की वजह से समुद्री तल का का पानी ठंडा हो जाता है. इसके साथ-साथ साइक्लोन में हवा एंटी क्लॉक वाइज घूमती रहती है, इससे समुद्री तल का पानी भी घूमता रहता है. इससे नीचे का ठंडा पानी ऊपर आ जाता है. इस वजह से समुद्र में जिन इलाकों में साइक्लोन पहुंचता है, वहां पर तापमान 4 से 8 डिग्री तक  गिर सकता है. साइक्लोन के जाने के बाद समुद्र का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. जबकि मॉनसून को बढ़ने के लिए एक समंदर में अच्छे तापमान की जरूरत होती है.

साइक्लोन से प्रभावित हुआ मॉनसून?

अब सवाल उठता है कि क्या मॉनसून अब आगे नहीं बढ़ पा रहा. क्या इससे केरल के बाद अन्य राज्यों में मॉनसून की देर से एंट्री होगी? इस पर आईएमडी के  महानिदेशक, मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि मॉनसून एक large-scale और ग्लोबल फेनोमिना है जबकि साइक्लोन एक लोकल फेनोमिना है इसीलिए बहुत बड़े स्तर पर साइक्लोन मॉनसून को प्रभावित नहीं करता है. शुरुआत में जब मॉनसून केरल में आया तब ही बिपरजॉय भी आया, इसने शुरुआती दिनों में मॉनसून को मदद की लेकिन कुछ दिनों के बाद यह उत्तर दिशा में बढ़ने लगा तो इसका पॉजिटिव इंपैक्ट खत्म हो गया और इसका मॉनसून पर निगेटिव असर शुरू हो गया.

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कब आगे बढ़ेगा मॉनसून?

मृत्युंजय महापात्रा ने आगे कहा कि 17 जून तक इसका असर रहेगा लेकिन 18 जून से इसका नेगेटिव इंपैक्ट खत्म हो जाएगा और फिर 21 तारीख से मॉनसून साउथ इंडिया और ईस्ट इंडिया में आगे बढ़ेगा.

सबसे ज्यादा लंबे साइक्लोन में से एक है बिपरजॉय

आमतौर पर अरब सागर बंगाल की खाड़ी से बड़ा इलाके में है और जिस समय अरब सागर में मॉनसून बढ़ता है तब साइक्लोन भी आते हैं और उस समय कई सारे कंडीशन जैसे हीट कंटेंट, रोटेशनल पावर और ह्यूमिडिटी ज्यादा होना साइक्लोन के बनने और उसके बढ़ने में मदद करता है. ये साइक्लोन धीरे-धीरे चल रहा था इसीलिए यह लंबा साइक्लोन रहा है, ये लगभग 11 दिनों का साइक्लोन रहा. अगर हम पहले की बात करें तो 2019 में भी एक साइक्लोन आया था जो सुपर साइक्लोन था और 9 दिनों से लंबा चला था. आईएमडी के मुताबिक, इस साइक्लोन की लंबाई एबनॉर्मल तो नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा लंबे साइक्लोन में से एक जरूर है.

कैसे लंबा और छोटा होता है साइक्लोन?

दरअसर साइक्लोन की इंटेंसिटी आद्रता और एनर्जी डिसाइड करते हैं लेकिन इसकी धीमी रफ्तार एटमॉस्फेरिक कंडीशन की वजह से थी. जब यह नॉर्थ की तरफ गया तो इसे ज्याद एनर्जी मिली क्योंकि ईस्टर्न पार्ट ऑफ अरेबियन सी ज्यादा गर्म होता है इसीलिए वहां पर ज्यादा एनर्जी मिली और नमी भी मिलती चली गई.

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अब रफ्तार पकड़ेगा मॉनसून

देश के पूर्वी हिस्सों की बात करें तो यहां पर इसका सीधा इंपैक्ट तो नहीं रहा लेकिन किसी वजह से वहां पर भी मानसून आगे नहीं बढ़ा. हालांकि अब 18 जून के बाद वहां पर भी मॉनसून का सिस्टम रफ्तार पकड़ेगा. आईएमडी के मुताबिक, अगले 4 हफ्तों की भविष्यवाणी देखें तो मॉनसून धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और इससे अच्छी खासी बारिश का अनुमान है.

 

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