Advertisement

72 साल पुराना कानून और लिली थॉमस केस पर फैसला... ऐसे गई राहुल गांधी की सांसदी

राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द हो गई है. लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. राहुल गांधी को गुरुवार को मानहानि के चार साल पुराने मामले में सूरत की अदालत ने दोषी करार दिया था. उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. कानूनन दो साल की सजा मिलने पर सदस्यता रद्द हो जाती है.

राहुल गांधी वायनाड से लोकसभा सांसद थे. (Vani Gupta/ aajtak.in) राहुल गांधी वायनाड से लोकसभा सांसद थे. (Vani Gupta/ aajtak.in)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

राहुल गांधी अब लोकसभा सांसद नहीं रहे. मानहानि मामले में सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता भी चली गई है. लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. 

एक दिन पहले ही सूरत की अदालत ने राहुल को मानहानि के चार साल पुराने मामले में दोषी करार दिया था. उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, उन्हें तुरंत जमानत पर रिहा भी कर दिया था. 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी करने के मामले राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दायर हुआ था. 

Advertisement

राहुल को सजा मिलने के बाद ही उनकी सांसदी पर संकट खड़ा हो गया था. शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 102(1)(e) और जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदस्यता रद्द की गई है. 

राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद थे. 2019 के चुनाव में राहुल अमेठी के साथ-साथ वायनाड सीट पर भी खड़े हुए थे. अमेठी में वो हार गए थे, मगर वायनाड में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी. वायनाड में राहुल गांधी ने 2019 में 65 फीसदी वोट हासिल किए थे.

क्या कहता है जनप्रतिनिधि कानून?

- 1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा. 

Advertisement

- धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.

- पिछले साल समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की विधायकी चली गई थी. क्योंकि उन्हें हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया गया था. 

- इस कानून की धारा 8(3) में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.

राहुल गांधी की ये तस्वीर आज की है. वो संसद पहुंचे थे. (फोटो-PTI)

लिली थॉमस वाला फैसला, जिस कारण तुरंत गई सदस्यता

- 2005 में केरल के वकील लिली थॉमस और लोकप्रहरी नाम के एनजीओ के महासचिव एसएन शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

- इस याचिका में जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई थी. उन्होंने दलील दी कि ये धारा दोषी सांसदों-विधायकों की सदस्यता को बचाती है, क्योंकि इसके तहत अगर ऊपरी अदालत में मामला लंबित है तो फिर उन्हें अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता.

Advertisement

- इस याचिका में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 102(1) और 191(1) का भी हवाला दिया गया था. अनुच्छेद 102(1) में सांसद और 191(1) में विधानसभा या विधान परिषद को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है.

- 10 जुलाई 2010 को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की बेंच ने इस पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास धारा 8(4) को लागू करने का अधिकार नहीं है. 

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी मौजूदा सांसद या विधायक को दोषी ठहराया जाता है तो जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(1), 8(2) और 8(3) के तहत वो अयोग्य हो जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement