
केंद्र की मोदी सरकार जम्मू कश्मीर से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक लेकर आई है. पहला- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 और दूसरा- जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापित लोगों को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान है. दूसरे बिल एससी-एसटी और सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान करता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा के पटल पर विधेयक पेश किए और कहा, 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने वाले बिल हैं.
गृह मंत्री का कहना था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वजह से हुई. पूरा कश्मीर हाथ आए बिना सीजफायर कर लिया था, वरना वह हिस्सा कश्मीर का होता. शाह ने कहा, अगर वोट-बैंक की राजनीति पर विचार किए बिना आतंकवाद से निपटा जाता तो कश्मीरी पंडितों का पलायन रोका जा सकता था. शाह के इस बयान पर सदन में हंगामा भी हुआ, इसके बाद विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट कर लिया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस विधेयक से कश्मीरी प्रवासी समुदाय राजनीतिक रूप से सशक्त होगा. जानिए कश्मीर पर मोदी सरकार के नए बिल से घाटी की सियासत कैसे बदलेगी और PoK को लेकर सरकार का क्या प्लान है?
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार ने संसद में कहा है कि हम चुनाव कराने के लिए तैयार हैं. ECI कार्यक्रम बनाकर कभी भी तारीखों का ऐलान कर सकता है. ऐसे में अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की ओर हैं. इसके साथ ही सभी की निगाहें पीओके समेत राज्य में सीटों के नए सिरे से परिसीमन पर भी हैं. इसे इसी साल मंजूरी मिली है.
'90 सीटों पर कराए जाएंगे चुनाव'
जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के बाद माता वैष्णो देवी समेत 90 विधानसभा सीटें होंगी.परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक, 114 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. बाकी सीटें पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में हैं. नवगठित सीटों में रियासी जिले में श्री माता वैष्णो देवी और कटरा विधानसभा क्षेत्र भी होंगे.नई विधानसभा के जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी संभाग में 47 सीटें होंगी. इनमें से 9 सीटें अनुसूचित जातियों और 7 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होंगी. लोकसभा की पांच सीटों में दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी. जबकि एक सीट दोनों के साझा क्षेत्र में होगी. यानी आधा इलाका जम्मू संभाग का और बाकी आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा.
'परिसीमन आयोग ने तैयार की थी रिपोर्ट'
परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट जम्मू कश्मीर के पांचों सांसद (पांच एसोसिएट सदस्य) को फरवरी में ही सौंपी थी. इन सदस्यों में जम्मू संभाग से दो बीजेपी और कश्मीर संभाग से तीन नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद शामिल हैं. इसमें नेशनल कॉफ्रेंस के डॉ. फारूक अब्दुल्ला, जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी, मोहम्मद अकबर लोन और बीजेपी के जुगल किशोर शर्मा और पीएमओ में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हैं. जबकि परिसीमन आयोग में जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ केके शर्मा और देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी शामिल हैं.
'गृह मंत्रालय भेजी गई थी अंतिम रिपोर्ट'
दो हफ्ते में पांचों सांसदों ने अपनी सलाह, सुझाव और आपत्तियां बताईं. उसके बाद जनता ने अपनी राय दी. इन सभी आधार पर आयोग ने अंतिम रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी. आयोग का कार्यकाल तीसरी और अंतिम बार दो महीने बढ़ाकर 6 मई 2022 तक किया गया था. लेकिन कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले रिपोर्ट सौंप दी गई. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में 6 मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था. आयोग को राज्य की नए स्वरूप के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र पुनर्गठित करने, युक्तिसंगत बनाने, अनुसूचित जनजातियों व जातियों के लिए आरक्षित सीटें तय करने का जिम्मा सौंपा था.
'पहले 111 सीटें थीं, इनमें 24 सीटें पीओके के लिए रिजर्व थीं'
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पहले एकीकृत जम्मू कश्मीर विधानसभा में 111 सीटें थीं, इनमें से 24 पाक अधिकृत कश्मीर के लिए आरक्षित थीं, जिन पर चुनाव नहीं हो पाता था. शेष 87 सीटों में से चार लद्दाख, 37 जम्मू और 46 सीटें कश्मीर संभाग में थीं. अब केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में 107 सीटें हैं, इनमें प्रस्तावित नए परिसीमन के तहत सात सीटों का इजाफा कर 114 किया जाएगा. इसमें 90 सीटों पर चुनाव होगा और 24 सीटें पहले की तरह पाक अधिकृत इलाकों के लिए होंगी, जिन पर चुनाव नहीं हो सकेगा.
'J-K में आखिरी बार 1994-95 में परिसीमन हुआ'
जम्मू कश्मीर में अंतिम बार 1994-95 में परिसीमन हुआ था. तब प्रदेश में 76 विधानसभा सीटें थीं. परिसीमन के बाद 11 सीटों का इजाफा कर 87 किया गया था. जम्मू में सीटों की संख्या 32 से 37 और कश्मीर में 42 से 46 की गई. जबकि और लद्दाख में सीटें दोगुना बढ़ाकर दो से चार की गई थीं.
'जम्मू संभाग में 6 और कश्मीर में एक सीट सीट बढ़ाने की सिफारिश'
सूत्रों का कहना है कि आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में परिसीमन के प्रथम प्रारूप के मुताबिक, जम्मू संभाग में छह और कश्मीर संभाग में एक नई विधानसभा सीट गठित करने की सिफारिश की है. आयोग ने परिसीमन की प्रथम प्रारूप रिपोर्ट 20 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में आयोजित दूसरी बैठक में सभी सदस्यों के साथ साझा की थी. इस बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीनों सदस्य शामिल हुए थे, लेकिन 2021 फरवरी में हुई पहली बैठक का नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहिष्कार किया था. दूसरी बैठक में प्रथम प्रस्तावित प्रारूप में सीटों के इजाफे वाले अनुपात पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कड़ा एतराज जताया था. इस पर आयोग ने सभी सदस्यों को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए 31 दिसंबर 2021 तक का समय दिया था.
उसके बाद सभी पक्षकारों ने अपने सुझाव, आपत्तियां और सलाह लिखित तौर पर आयोग को दी थी. लिहाजा, अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग में छह नए विधानसभा क्षेत्रों के सृजन की सिफारिश के आधार पर पता चलता है कि आयोग ने इस संदर्भ में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है. कश्मीर संभाग में बढ़ाई जाने वाली सीटों में उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में बताई जा रही है. जबकि जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और ऊधमपुर जिलों में एक-एक विधानसभा सीट बढ़ाई जाएगी. विस्थापित कश्मीरी पंडितों और गुलाम कश्मीर के शरणार्थियों के लिए कोई सीट अब तक तो चिह्नित नहीं की गई है.
'जम्मू कश्मीर में चुनाव कराए जाने की तैयारी'
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू संभाग के जिले सांबा में बड़ी ब्राह्मणा और रामगढ़ के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया विधानसभा क्षेत्र तैयार बनाए जाने की योजना है. साथ ही इस अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग के दो अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों पुंछ में तीन और राजौरी में दो सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाने की सिफारिश भी शामिल है. 2020 में बनाए गए परिसीमन आयोग का कार्यकाल 6 मार्च 2021 को पूरा होना था. लेकिन कोविड से उपजे हालात में आयोग अपना काम पूरा नहीं कर पाया. ऐसे में सरकार ने कार्यकाल को सालभर का विस्तार देते हुए 6 मार्च 2022 तक कर दिया था. फिलहाल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिसीमन आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद से ही अधिसूचना जारी कर जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने की कार्य योजना पर काम शुरू कर दिया था.
'लोकसभा में पेश किए गए दो बिल'
दो दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा के पटल पर जम्मू कश्मीर से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए हैं. इनमें पहला- जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 और दूसरा- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023. पहला बिल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों और पीओके से विस्थापित लोगों के लिए सीट रिजर्व रखने का प्रावधान करता है. वहीं, दूसरा बिल वंचित और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है. लोकसभा में पास होने के बाद अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023
इस बिल में कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो और पीओके से विस्थापित नागरिक के लिए एक सीट रिजर्व होगी. दो कश्मीरी प्रवासियों में से एक सीट महिला के लिए होगी. कश्मीरी प्रवासी और विस्थापित नागरिकों को उपराज्यपाल नामित करेंगे. बताया जा रहा है कि ये तीनों सीटें जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों से अलग होगी. इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर में 93 सीटें हो जाएंगी. इसके साथ ही अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 16 सीटें रिजर्व की हैं. इनमें से एससी के लिए 7 और एसटी के लिए 9 सीटें रखी गईं हैं.
कहां-कहां बढ़ीं विधानसभा सीटें?
जम्मू रीजन में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ाई गई है. वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाई गई है. जम्मू के सांबा में रामगढ़, कठुआ में जसरोता, राजौरी में थन्नामंडी, किश्तवाड़ में पड्डेर-नागसेनी, डोडा में डोडा पश्चिम और उधमपुर में रामनगर सीट नई जोड़ी गईं हैं. वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में ही एक सीट बढ़ाई गई है. कुपवाड़ा में त्रेहगाम नई सीट होगी. अब कुपवाड़ा में 5 की बजाय 6 सीटें होंगी.