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Kargil जीत के 22 साल: 11 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर लेफ्टिनेंट जनरल ने पूछा- 'How's The Josh'

ध्रुव करगिल राइड का लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने नेतृत्व किया. 11649 फीट पर स्थित खतरनाक जोजिला दर्रे को पार करने से पहले मेजर ने जब लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने जवानों से पूछा कि हाउज द जोश.. जोश और जज्बे से लबरेज जवानों ने कहा हाई सर.

लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने ध्रुव करगिल राइड का नेतृत्व किया (फोटो- आजतक) लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने ध्रुव करगिल राइड का नेतृत्व किया (फोटो- आजतक)
सुनील जी भट्ट
  • लद्दाख,
  • 25 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 7:05 AM IST
  • ध्रुव करगिल राइड का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने किया
  • 11649 फीट पर स्थित खतरनाक जोजिला दर्रे को किया पार

सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने शनिवार को ध्रुवा करगिल राइड बाइकर्स की बाइक रैली का नेतृत्व किया. 26 जुलाई को करगिल की जंग को 22 साल पूरे हो जाएंगे. यह इवेंट करगिल युद्ध के नायकों को सम्मान देने के लिए आयोजित किया गया था. 11649 फीट पर स्थित खतरनाक जोजिला दर्रे को पार करने से पहले मेजर ने जब लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने जवानों से पूछा कि हाउज द जोश.. जोश और जज्बे से लबरेज जवानों ने कहा हाई सर. बता दें, लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने 1999 में करगिल युद्ध लड़ा था.

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इससे पहले शुक्रवार को बाइक रैली द्रास सेक्टर स्थित शहीदी स्मारक पर पहुंची थी. एक रैली का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने कहा कि लोग भारतीय सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. यह देशभक्ति और जुनून की गहरी भावना है जो सैनिकों को सबसे दुर्गम मौसम और बर्फीली ऊंचाइयों पर चौकसी करता है.

और पढ़ें- करगिल विजय दिवस पर द्रास जाएंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि

इससे पहले वाईके जोशी शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि देने के लिए सुखोई 30 एमकेआई से करगिल में बत्रा हिलटॉप के ऊपर से गुजरे थे. कैप्टन बत्रा युवा और बहादुर अधिकारी थे जिन्होंने करगिल युद्ध के दौरान ‘प्वाइंट 5140’ को जीतने के बाद ‘यह दिल मांगे मोर’ के जरिए संदेश भेजा था जिसके बाद वह राष्ट्र के चहेते और वह भारतीय सेना के अधिकारियों के लिए आदर्श बन गए थे. सात जुलाई 1999 के प्वाइंट 4875 को फतह करने के बाद वह शहीद हो गए थे. 

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‘प्वाइंट 4875’ को बत्रा टॉप के नाम से भी जाना जाता है जो नियंत्रण रेखा से सटी एक पहाड़ी का शीर्ष है. इसका नाम परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बत्रा के नाम पर रखा गया है.

उत्तरी सेना कमान के रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत ने कहा कि उनके 'बलिदान दिवस' के मौके उनके तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर और अब उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर इन कमांड लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी सुखोई -30 एमकेआई में बत्रा टॉप के ऊपर से गुजरे.

उन्होंने कहा, “यह भाव एक कमांडिंग ऑफिसर और उनके अधिकारी के बीच स्थायी संबंध का प्रतीक है.” प्रवक्ता के मुताबिक, वीर चक्र से सम्मानित और कारगिल युद्ध के नायक लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने अपने शहीद अधिकारी को आसमान से श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि कैप्टन बत्रा वर्तमान पीढ़ी के अधिकारियों को प्रेरित करते रहेंगे.
 

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