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बिहार और MP में मिली विस्फोटक सामग्री, CRPF ने IED समेत डेटोनेटर किया बरामद

CRPF की तरफ से बताया गया कि 205 कोबरा की टीम ने मंगलवाार को बिहार के औरंगाबाद जिले के थाना मदनपुर इलाके में लाडुइया पहाड़ गांव में छापा मारा. यहां ऑपरेशन में 13 डेटोनेटर, 4 कैन आईईडी और 600 मीटर कॉर्डेक्स तार बरामद किए हैं. विस्फोटक के बारे में पता किया जा रहा है.

CRPF की टीमों ने अलग-अलग जगह छापेमारी की. (फाइल फोटो) CRPF की टीमों ने अलग-अलग जगह छापेमारी की. (फाइल फोटो)
कमलजीत संधू/जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:07 PM IST

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की टीमों ने बिहार और मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर छापेमारी में  आईईडी और डेटोनेटर बरामद किया है. सुरक्षा एजेंसी ने 22 नवंबर को छापे मारे थे. मौके से बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद होने से सुरक्षा एजेंसियों की टेंशन बढ़ गई है. अब ये पता लगाया जा रहा है कि विस्फोटक का कहां इस्तेमाल किया जाना था और ये कहां से लाया गया था. जिन लोगों के यहां विस्फोटक बरामद हुआ है, उनके बारे में भी पता किया जा रहा है. 

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CRPF की तरफ से बताया गया कि 205 कोबरा की टीम ने मंगलवाार को बिहार के औरंगाबाद जिले के थाना मदनपुर इलाके में लाडुइया पहाड़ गांव में छापा मारा. यहां ऑपरेशन में 13 डेटोनेटर, 4 कैन आईईडी और 600 मीटर कॉर्डेक्स तार बरामद किए हैं. विस्फोटक के बारे में पता किया जा रहा है.

मप्र के बालाघाट में छापेमारी

इसी तरह, सीआरपीएफ की 148 बटालियन और मध्य प्रदेश पुलिस की टीमों ने संयुक्त रूप से बालाघाट जिले के गढ़ी थाने के भूरसटोला गांव में छापा मारा. यहां 3 डेटोनेटर, 5 किलोग्राम यूरिया, 375 ग्राम जिलेटिन, 1 स्टील कंटेनर, बिजली के तार, बैटरी बरामद की है.

कितना खतरनाक होता है IED ब्लास्ट?

IED भी एक तरह का बम ही होता है, लेकिन यह मिलिट्री के बमों से कुछ अलग होता है. आतंकी IED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान के लिए करता है. IED ब्लास्ट होते ही मौके पर अक्सर आग लग जाती है, क्योंकि इसमें घातक और आग लगाने वाले केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. खासकर आतंकी सड़क के किनारे IED को लगाते हैं, ताकि इसके पांव पड़ते या गाड़ी का पहिया चढ़ते ब्लास्ट हो जाता है. IED ब्लास्ट में धुंआ भी बड़ी तेजी से निकलता है.

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IED को ट्रिगर करने के लिए आतंकी रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड या मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार्स या ट्रिप वायर जैसे तरीकों का इस्तेमाल करता है. कई बार इन्हें सड़क के किनारे तार की मदद से बिछाया जाता है.

 

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