
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में बुधवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन एमवी प्रांजल ’63 राष्ट्रीय राइफल्स’ से थे. जैसे ही उनके शहीद होने की खबर बेंगलुरु के नंदनवन में स्थित उनेक घर पर पहुंची तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 28 साल के कैप्टन प्रांजल मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड’ (एमआरपीएल) के सेवानिवृत्त निदेशक के पूर्व निदेशक वेंकटेश और अनुराधा (मां) के इकलौते बेटे थे.
पत्नी को की थी लास्ट कॉल
दो साल पहले एमवी प्रांजल की शादी बेंगलुरु की रहने वाली अदिति से हुई थी. इसके बाद ही उनकी तैनाती कश्मीर में हुई थी. प्रांजल ने अपनी स्कूली शिक्षा दक्षिण कन्नड़ जिले के सूरतकल में प्राप्त की थी तथा वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से इंजीनियरिंग स्नातक थे.
पत्नी अदिति से अंतिम बार फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा था कि वो ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं और सब ठीक रहा तो गुरुवार को बात कर पाएंगे. लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था और बुधवार को जब उनके शहीद होने की खबर आई तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. राजौरी में हुई इस मुठभेड़ में कैप्टन प्रांजल सहित चार सैनिक शहीद हो गए थे.
प्रांजल के पिता वेंकटेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैंने कुछ दिन पहले ही प्रांजल से बात की थी, लेकिन आखिरी संदेश उसने अदिति को भेजा था जिसमें उसने सेना के ऑपरेशन का जिक्र करते हुए गुरुवार को बात करने की बात कही थी.' परिवार उसके फोन का इंतजार कर रहा था, तभी उसकी मौत की खबर मिली.
दिसंबर में होनी थी मेजर पद पर पदोन्नति
कैप्टन प्रांजल को 9 दिसंबर को मेजर के पद पर पदोन्नति मिलनी थी. बेटे के स्कूल के दिनों को याद करते हुए वेंकटेश ने बताया कि प्रांजल का सपना एयरफोर्स में पायलट बनना था लेकिन लंबाई की वजह से जब यह सपना पूरा नहीं हो सका तो 2014 में वह सेना में शामिल हो गए. वेंकटेश ने कैप्टन प्रांजल के निर्णायक स्वभाव और उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि उसने सशस्त्र बलों के लिए आयोजित हुई लिखित परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी.
उनके शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “कैप्टन एमवी प्रांजल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान अपनी जान गंवा दी.”
पांच सैन्यकर्मी हुए थे शहीद
आपको बता दें कि बुधवार को जम्मू कश्मीर में 5 जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए. राजौरी में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में ये जवान शहीद हो गए. इनमें दो कैप्टन भी थे. वहीं, जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने लश्कर के दो आतंकियों को भी ढेर कर दिया. राजौरी में दरमसाल के बाजीमल इलाके में 36 घंटे चली इस मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर भी शामिल है.