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अगले 3 साल में ड्रोन का सर्विस सेक्टर 30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री बनेगा, संसद में बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ड्रोन से जुड़े सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि आने वाला समय ड्रोन्स का है. अगले 3 सालों में ड्रोन का सर्विस सेक्टर, 30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री बनेगा और 5 लाख रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. 

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
  • ड्रोन को लेकर कृषि मंत्रालय ने शुरू की 900 करोड़ रुपए की स्कीम
  • आने वाले समय में भारत के पास लाखों-करोड़ों ड्रोन पायलट होंगे

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के 12वें दिन, यानी गुरुवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान ड्रोन पर कई सवाल पूछे गए, जिसका जवाब नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़े विस्तार से दिया. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि आने वाला समय ड्रोन्स का है जिसमें ड्रोन के ही विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के तमाम अवसर अपलब्ध होंगे.

नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ड्रोन का क्षेत्र नवीनीकरण का क्षेत्र है जैसा कि अब इलैक्ट्रिक वाहन और बायो-डीज़ल का जमाना है उसी तरह से ड्रोन में भी है. उन्होंने कहा कि हम जिस तरह से अपना जीवन जी रहे हैं, ड्रोन्स में उसे ट्रांसफॉर्म करने की क्षमता है. प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि 2030 तक भारत ड्रोन के मामले में ग्लोबल लीडर और ग्लोबल हब बन जाए. 

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ड्रोन पायलट्स के लिए आने वाला समय बहुत अच्छा

सिंधिया ने कहा कि ड्रोन पायलट्स के लिए आने वाला समय बहुत अच्छा है. 12वीं का एक बच्चा भी ड्रोन स्कूल में 15 दिन बिताकर एक अच्छा ड्रोन पायलट बन सकता है और हर महीने करीब 30 हजार रुपए कमा सकता है. आने वाले समय में इस क्षेत्र में बहुत रोजगार उपलब्ध होंगे. मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले समय में भारत के पास लाखों-करोड़ों ड्रोन पायलट होंगे.

ड्रोन लाइसेंस DGCA द्वारा नहीं दिया जाएगा

लोकसभा में नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ड्रोन के कोर्स 5-10 दिनों में ड्रोन का लाइसेंस दे देते हैं. ड्रोन लाइसेंस DGCA द्वारा नहीं दिया जाएगा, संस्था द्वारा दिया जाएगा. इसमें जो ब्यूरोक्रोसी की समस्या थी, उसका भी निपटारा कर दिया गया है. हमारी कोशिश है कि इसकी फीस सबसे किफायती हो जिससे बच्चे पूरा तरह क्वालिफाई होकर ड्रोन चला सकें. ड्रोन का इस्तेमाल केवल कृषि में ही नहीं कई क्षेत्रों में किया जाता है. यह एक नई इंडस्ट्री है, जो ड्रोन्स के द्वारा खोली जाएगी.

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ड्रोन को लेकर कृषि मंत्रालय ने शुरू की 900 करोड़ रुपए की स्कीम

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने 900 करोड़ रुपए की यह स्कीम निकाली है, जिसके आधार पर अलग अलग श्रेणी में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, कृषि विज्ञान केंद्र को, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च को, एग्रीकल्चर ग्रैजुएट्स को यह राशी दी जाएगी. एक ड्रोन की कीमत करीब 4-5 लाख रुपए है. इस पूरे पैसे का रीम्बर्समेंट इस स्कीम के साथ दिया जा रहा है.

ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग में होगा 5000 करोड़ का निवेश

उन्होंने यह भी बताया कि ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग में हमारा अनुमान है कि अगले 3 सालों में करीब 5000 करोड़ रुपए का निवेश होगा. इसके साथ ही, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का सेल्स टर्नओवर जो आज 60 करोड़ का है, वह आने वाले 5 सालों में करीब 1000 करोड़ का हो जाएगा. मैन्यूफैक्चरिंग में 10 हजार डारेक्ट नौकरियां उत्पन्न होंगी. उन्होंने कहा कि ड्रोन का सर्विस सेक्टर, 30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री बनेगा और इसके साथ ही, 5 लाख रोजगार के अवसर भी अगले 3 सालों में उपलब्ध होंगे. 

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