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Explainer: क्या है भारत-अमेरिका के बीच होने वाली BECA डील, कैसे बढ़ेगी चीन की मुश्किल

BECA डील के वजूद में आने के साथ ही दोनों देश Geospatial (भू-स्थानिक) सूचनाएं और खुफिया जानकारियां साझा कर सकेंगे और इसका इस्तेमाल रक्षा संबंधी जरूरतों के लिए किया जा सकेगा. साधारण शब्दों में कहा जाए तो इस समझौते के बाद मिली सूचना के आधार पर भारत के द्वारा दुश्मनों पर फायर किए गए मिसाइल ज्यादा सटीक, और लक्ष्यभेदी हो सकेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST
  • भारत-अमेरिका के बीच जल्द BECA पर मुहर
  • जानें क्यों अहम है दनों देशों के बीच होने वाली BECA डील
  • डील के बाद भारत को मिलेंगी खुफिया सूचनाएं

चीन के साथ सैन्य टकराव जैसी स्थिति के बीच भारत अमेरिका के साथ Basic Exchange and Cooperation Agreement (BECA) डील पर हस्ताक्षर करने वाला है. इस डील के बाद भारत को अमेरिका से Geospatial (भू-स्थानिक) सहयोग मिल सकेगा. 

BECA डील के वजूद में आने के साथ ही दोनों देश Geospatial (भू-स्थानिक) सूचनाएं और खुफिया जानकारियां साझा कर सकेंगे और इसका इस्तेमाल रक्षा संबंधी जरूरतों के लिए किया जा सकेगा. साधारण शब्दों में कहा जाए तो इस समझौते के बाद मिली सूचना के आधार पर भारत के द्वारा दुश्मनों पर फायर किए गए मिसाइल ज्यादा सटीक, और लक्ष्यभेदी हो सकेंगे. 

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क्या है Geospatial सूचनाएं?

अब हम आपको बताते हैं कि  Geospatial सूचनाएं क्या होती हैं और इनका क्या रणनीतिक महत्व है? दरअसल Geospatial वैसी सूचनाएं हैं जिनका पृथ्वी के एक निश्चित भू-भाग से ताल्लुक है. अमेरिकी सैटेलाइट और उसके आधुनिक उपकरण ये पता लगाने में सक्षम हैं कि दुनिया के किसी भी भू-भाग पर क्या गतिविधियां हो रही हैं. भारत भी इसरो की मदद से ये तकनीक विकसित कर रहा है.  

Geospatial डाटा के जरिए किसी निश्चित भूभाग में एक खास समय में आए परिवर्तन का पता लगाया जा सकता है. सामारिक महत्व की बात करें तो इस डाटा के विश्लेषण के जरिए किसी स्थान पर सैन्य जमावड़ा, हथियारों की तैनाती, भूभाग में बड़े बदलाव का पता लगाया जा सकता है. अगर इस सूचना को हम लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश के पार चीन की सीमा में, पीओके के संदर्भ में देखें तो इसका रणनीतिक महत्व पता चलता है. 

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दुश्मन की युद्ध तैयारियों की मिलेगी जानकारियां

इस डाटा के जरिए भारत अपने आस-पास दुश्मन के किसी भी संभावित सैन्य तैयारियों का पता लगा सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे नष्ट भी कर सकता है. इसलिए हमने ऊपर कहा है कि इस डील के ऑपरेशनल होने के बाद भारत के मिसाइल युद्ध जैसी स्थिति में और ज्यादा सटीक और मारक और लक्ष्यभेदी हो सकते हैं.

खास लोकेशन की मिल सकेंगी तस्वीरें और डाटा

Geospatial सूचनाओं से हमें ये बता चल सकेगा कि किस स्थान पर क्या हो रहा है. अगर अमेरिका और भारत के बीच ये समझौता होता है तो भारत को अमेरिका से डाटा के अलावा तस्वीरें, उनका विश्लेषण भी मिल सकेगा. 

चीन के खिलाफ मददगार

भारत अमेरिका के साथ इस डील पर उस वक्त हस्ताक्षर कर रहा है जब चीन के साथ हमारे संबंध तनाव के उच्च स्तर पर हैं. एक बार इस डील पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद भारत को सीमा पर चीन की सारी सैन्य गतिविधियों की जानकारी मिल सकेगी. इससे जुड़े आंकड़े और तस्वीरें भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों की जद में रहेंगे. मान लिया जाए कि चीन डोकलाम हो या लद्दाख के पार अपनी सीमा में किसी भी प्रकार का बड़ा मूवमेंट करता है तो भारत इससे अपडेट हो सकेगा. 

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2+2 मीटिंग के दौरान हो सकता है समझौता

नई दिल्ली में 26 से 27 अक्टूबर के बीच अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों की बैठक है. इस बैठक में  Basic Exchange and Cooperation Agreement (BECA) समझौते पर हस्ताक्षर हो सकता है. 

 

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