
लद्दाख विवाद को सुलझाने के लिए भारत-चीन के बीच चली मैराथन बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही. पूर्वी लद्दाख पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत-चीन की सेना के बीच यह 16वें दौर की बैठक थी. रविवार को साढ़े 12 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में ऐसा कोई समाधान नहीं निकला जिससे गतिरोध को कम किया जा सके.
हालांकि, सोमवार को जारी साझा बयान में कहा गया है कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य संकल्प पर पहुंचने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रहेगी.
भारत-चीन की तरफ से जारी साझा बयान में कहा गया है कि कुछ मुद्दों पर गतिरोध है, जिनके सुलझने पर लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) पर शांति की बहाली हो सकेगी. साझा बयान में द्विपक्षीय संबंधों पर भी जोर दिया गया है.
भारत ने क्या मांग रखी?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 16वें दौर की बैठक में भारत ने कुछ मांगों को उठाया. पहली मांग यही थी कि गतिरोध के जो प्वाइंट हैं उनसे चीन जल्द से जल्द अपने सैनिक हटाये. इसके साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 से पहले वाली यथास्थिति (status quo) बनाने पर जोर भी दिया गया. बता दें कि अप्रैल के बाद ही लद्दाख में गतिरोध हुआ था और भारत-चीन सैनिक आमने-सामने आए थे. जानकारी के मुताबिक, मीटिंग में भारत ने डेपसांग और डेमचोक के मुद्दे को भी उठाया.
चीन फिलहाल भारत की मांगों पर राजी नहीं दिखता लेकिन साझा बयान में यह जरूर कहा गया है कि दोनों देश मिलकर ईस्टर्न लद्दाख में सुरक्षा और स्थिरता लाने की कोशिशें करने के लिए संपर्क में रहेंगे.
मुलाकात से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि हॉट स्प्रिंग इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 में सैनिकों को वापस भेजने (disengagement) पर कुछ रजामंदी बनेगी. लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा. अब साझा बयान में कहा गया कि वेस्टर्न सेक्टर (पूर्वी लद्दाख) के मुद्दों पर आगे भी बातचीत जारी रहेगी.
भारत और चीन के बीच यह मीटिंग मोल्डो के चुशूल में भारत की साइड हुई थी. भारत की तरफ से मीटिंग में लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता (Anindya Sengupta) शामिल हुए थे. चीन की तरफ से मीटिंग में दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन पहुंचे थे. दोनों देशों के बीच 15वें दौर की बैठक 11 मार्च को हुई थी. लेकिन उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला था. 16वें दौर की मीटिंग से 10 दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बाली में मिले थे.