Advertisement

फिर हुई चीनी सेना से भारत की झड़प, चीन क्या प्लान कर रहा है? : आज का दिन, 13 दिसंबर

भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल में झड़प किन वजहों से हुई, यूनिफार्म सिविल कोड से क्या वाकई धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है और महंगाई के नंबर्स कितने राहत के संकेत है? सुनिए 'आज का दिन' में.

फिर हुई चीनी सेना से भारत की झड़प, चीन क्या प्लान कर रहा है? फिर हुई चीनी सेना से भारत की झड़प, चीन क्या प्लान कर रहा है?
ख़ुशबू कुमार/रोहित त्रिपाठी
  • ,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

कल ही एक ख़बर आई कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है. ये झड़प नौ दिसंबर 2022 को हुई. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोट आई हैं. हालांकि बाद में कमांडर स्तर की बातचीत हुई और मामला कंट्रोल में आया. लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद ये इस तरह का पहला मामला है. उस समय 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे और कई घायल हुए थे. कल शाम जब ये खबर हर जगह चलने लगी तब सेना का बयान भी आया. सेना ने झड़प की बात स्वीकारी है और ये भी कहा है कि हमारे भी कुछ जवान घायल हुए हैं. उधर विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है कि इसकी जानकारी पहले क्यों नहीं दी? कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जब भी चीन बुरी नज़र से हमारे देश की तरफ देखता है, प्रधानमंत्री या तो खुलकर या अपनी चुप्पी से चीन को क्लीन चिट दे देते हैं. कितनी गम्भीर झड़प थी ये और सरकार ने बताने में देरी क्यों की? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

Advertisement


-------------------------------------------
फरवरी 2021 में भारत और चीन के बीच एक करार हुआ था. तय हुआ था कि दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के इलाके से पीछे हटेंगी. ये वही इलाका था जहां कई महीनों से दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने थीं, लेकिन अंततः नौवें दौर की बातचीत के बाद समझौता हुआ. लेकिन अब फिर से चीन की तरफ से उसी इलाके में हलचल शुरू हो गई है. सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड अमेरिका के वाशिंगटन में एक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन है, उसके अनुसार चीन समझौते वाली उसी जगह के नजदीक नए हेडक्वार्टर बना रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इसके जरिए अपने सैनिकों और उनके लिए उपलब्ध रिसॉरसेस में इजाफा करने की कोशिश में है. चीन के साथ ये कोई नई बात नहीं है. कई समझौते पहले भी हो चुके हैं, और उनके बावजूद चीन अपनी गतिविधियों को ऐसे ही जारी रखता है. फिलहाल इस निर्माण की डिटेल्स क्या हैं और भारत के लिहाज से ये किस तरह का खतरा हो सकता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.

Advertisement

-----------------------------------
देश की संसद का विंटर सेशन चल रहा है. कई बिल पेश होने हैं, कुछ हो भी चुके. लेकिन इस बीच राज्यसभा में बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने एक प्राइवेट बिल पेश किया जिसकी काफी चर्चा है. मीणा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर राज्यसभा प्राइवेट बिल पेश किया. इसी के बाद से ये चर्चा शुरू हो गई कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए पहला कदम उठा लिया गया है. कहा जा रहा है कि देश भर में कॉमन लॉ लागू करने वाले इस बिल से पहले केंद्र सरकार लोगों का मूड जानना चाहती है.  क्योंकि इस बिल से कोई एक वर्ग नहीं बल्कि हर धर्म के लोग प्रभावित हो सकते हैं. उनकी तरफ से भी विरोध हो सकता है. तो कुल मिला कर ये राह बहुत आसान तो नहीं और दूसरा हमारी संसद में प्राइवेट बिलों का पास होना भी मुश्किल ही रहा है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि 1952 के बाद अब तक हजारों प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए गए लेकिन इनमें से सिर्फ 14 प्राइवेट मेंबर बिल ही कानून बने. आखिरी प्राइवेट मेंबर बिल था जो 1970 में कानून बना. यूनिफॉम सिविल कोड पर चर्चा नई नहीं है, सत्ता में बैठी बीजेपी के ही कई नेता कई बार इसकी मांग कर चुके हैं. ये समझने के लिए की यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की जरूरत क्यों बताई जा रही है और अब तक इस संदर्भ में देश में क्या कानून है और क्या इससे लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
-----------------------------------
कल देश में महंगाई के मंथली नंबर्स आए हैं जिन्हें आरबीआई जारी करता है. इसके अनुसार नवंबर महीने में रिटेल महंगाई घटकर 5.88% पर आ गई है. ये 11 महीनों में पहली बार इतने लोवेस्ट पर है. हालांकि पिछले साल इसी महीने 5.59% पर थी. लेकिन बीते कुछ महीनों से दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है, जिसका असर हमने महंगाई के तौर पर झेला. इसी साल फरवरी में शुरू हुआ रूस यूक्रेन युद्ध भी महंगाई की आग में घी डालता रहा. इन्हीं सारी वजहों से महंगाई लगातार 6% के ऊपर बनी हुई थी. लेकिन अब इन नंबर्स में गिरावट राहत के संकेत हैं. कहा जा रहा है कि खाने-पीने का सामान खास तौर पर सब्जियों की कीमतों के घटने की वजह से महंगाई घटी है.  नवंबर में खाने-पीने की चीजों की महंगाई अक्टूबर के 7.01% से घटकर 4.67% पर आ गई जिसे ओवरआल महंगाई घटने का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. ये आँकड़े कितने अच्छे संकेत हैं और क्या आगे इसमें और राहत देखने को मिल सकती है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement