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तस्वीरों में देखें देपसांग और डेमचोक में कैसे हो रहा है डिसइंगेजमेंट, दोनों सेनाएं हटा रही हैं अस्थायी निर्माण

चीन भले ही दुनियाभर में दादागीरी करे लेकिन उसे भारत के आगे झुकना ही पड़ा. LAC पर देपसांग और डैमचोक से चीन की सेना पीछे हटना शुरू हो चुकी है. सोमवार को जब ये समझौता हुआ था तब कई सवाल पूछे जा रहे थे जिन्हें लेकर अब तस्वीर साफ हो गई है. 

देपसांग की पुरानी और नई सैटेलाइट तस्वीर देपसांग की पुरानी और नई सैटेलाइट तस्वीर
अंकित कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:40 AM IST

भारत और चीन की सेनाएं शुक्रवार, 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं.  पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं. गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं. 

चीन के साथ नई गश्त व्यवस्था की घोषणा के बाद, आज तक के पास मौजूद सैटेलाइट तस्वीरों से साफ होता है कि देपसांग और डेमचोक में ग्राउंड डिसइंगेमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शुक्रवार को ली गई ताजा सैटेलाइट तस्वीरों में कई जगहों पर स्ट्रक्चर (अस्थायी निर्माण) में कमी देखी गई, जो सर्दियों से पहले हिमालय में लंबे समय से चल रहे गतिरोध के संभावित अंत की तरफ इशारा करती है.

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 हालांकि, क्षेत्र में अभी भी चीनी सेना के स्ट्रक्चर बने हुए हैं, जो दिखाते हैं कि गतिरोध के दौरान कैसे चीन ने वहां निर्माण कार्य किए थे. दोनों पक्षों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी. शुक्रवार की तस्वीरें, जो अमेरिका स्थित मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा प्रदान की गई हैं, उनमें देखा जा सकता है कि हाल के दिनों में अस्थायी निर्माण ध्वस्त किए गए हैं.

यह भी पढ़ें: LAC पर भारत-चीन ने हटाए 5 टेंट, कई टेंपरेरी स्ट्रक्चर भी तोड़े गए, शुरू हुई डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया

संभवतः डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया की सबसे बड़ी पुष्टि पैट्रोल पॉइंट 10 के पास देपसांग क्षेत्र की एक तस्वीर है, जहां गतिरोध के दौरान अस्थायी निर्माण बना लिए गए थे, उन्हें अब हटा दिया गया है. 7 अगस्त की इस जगह की तस्वीरों में एक बड़ा स्ट्रक्चर दिखाई दे रहा था, जबकि शुक्रवार की तस्वीरों में यह जगह समतल दिखाई दे रही थी.

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दक्षिण में, डेमचोक के दूसरे इलाके में 9 अक्टूबर और 25 अक्टूबर को ली गई तस्वीरों की तुलना से पता चलता है कि स्थायी निर्माण को हटा लिया गया है, जो कि डिसइंगेजमेंट  की घोषणा के अनुरूप है.

इसी तरह, देपसांग के दूसरे इलाके से शुक्रवार को ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि एक सैन्य चौकी पर अधिकांश अस्थायी ढांचों को हटा लिया गया है जिनमें बड़े परिवहन वाहन भी शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान इन घटनाक्रमों पर चर्चा की, जो 2019 के बाद से उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी.

गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ, जो जून में गलवान में हिंसक झड़प में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में हताहत हुए. तब से, सैन्य वार्ताओं के कारण गलवान, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में सैनिकों की फिर से तैनाती, आंशिक वापसी और बफर जोन बनाए गए हैं. हालांकि इन डिसइंगेजमेंट्स ने तनाव को स्थिर कर दिया है, लेकिन उन्होंने नए बनाए गए बफर ज़ोन में गश्त को भी सीमित कर दिया है. विशेषज्ञों का तर्क है कि ऐसे बफर ज़ोन बनाने से लंबे समय में चीनी दावों को फ़ायदा हो सकता है.

यह भी पढ़ें: टेंट, शेड और सैनिक, सब हटेंगे... दिवाली से पहले भारत-चीन के बीच इन 2 इलाकों में पूरा होगा डिसइंगेजमेंट

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(कैप्शन: तस्वीर: Google Earth, Landsat/Copernicus, इनसेट सैटेलाइट तस्वीर ©2024 Maxar Technologies, India Today)

हाल ही तक, देपसांग और डेमचोक अनसुलझे क्षेत्र बने रहे. जबकि नवीनतम समझौते के विवरण सीमित हैं, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह केवल शेष क्षेत्रों, विशेष रूप से देपसांग और डेमचोक से संबंधित है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कहा कि इन क्षेत्रों में गश्त और चरवाहों से संबंधित गतिविधियां 2020 से पहले जैसी स्थिति में वापस आ जाएंगी.

देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी 18 अक्टूबर को सामने आई थी. इसमें बताया गया था कि यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटेंगी. साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं. इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग होती रहेगी 2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था.
 

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