Advertisement

गलवान घाटी में हिमाकत कर चीन ने खुद को ही पहुंचाया नुकसान, सालभर में इतनी मजबूत हो गई सेना-वायुसेना

गलवान घाटी में पिछले साल 15 जून को भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं. दोनों के बीच हिंसक टकराव हुआ था. इस एक साल में भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपनी उपस्थिति और मजबूत कर ली है, वहीं राफेल लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करके भारतीय वायु सेना पहले से अधिक ताकतवर हो गई है.

India-China Standoff (PTI) India-China Standoff (PTI)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:19 PM IST
  • गलवान हिंसक झड़प को एक साल हो रहे हैं
  • सालभर में भारतीय सेना काफी मजबूत हो गई है
  • नापाक हरकत से निपटने को भारत तैयार

पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन ने पिछले साल अप्रैल महीने से ही सीमा विवाद शुरू कर दिया था. इसके बाद 15 जून को पूरे मामले ने तब हिंसक रूप ले लिया, जब गलवान घाटी में भारत और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (ड्रैगन की सेना) आमने-सामने की स्थिति में आ गई थी.

इस हिंसक टकराव में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के भी कई जवान मारे गए. एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी पूर्वी लद्दाख के कुछ प्वाइंट्स पर स्थिति जस-की-तस बनी हुई है.

Advertisement

हालांकि, इस एक साल में भारतीय सेना और वायुसेना ने अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है और चीन की किसी भी नापाक हरकत से निपटने के लिए पूरी तरह से बॉर्डर पर मुस्तैद है. 15 जून, 2020 को चीनी सेना ने गलवान घाटी में हिंसक झड़प करके खुद का अधिक नुकसान कर लिया.  

जहां भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर ली है, वहीं राफेल लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करके भारतीय वायु सेना पहले से अधिक ताकतवर हो गई है. 

इंफ्रास्ट्रक्चर

यूं तो बॉर्डर पर पिछले कई सालों से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का काम चल रहा था, लेकिन पिछले एक साल में इसमें और तेजी आई है. बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) सड़क को सुगम बनाने के लिए दिन-रात काम में जुटा हुआ है.

Advertisement

अधिकारियों ने बताया कि दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला, मार्समिक ला या खारदुंग ला सहित सभी क्षेत्रों में सभी फॉरवर्ड जगहों के लिए सड़क संपर्क में सुधार किया गया है, उन्हें बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन की मदद से पूरे साल सेना की आवाजाही के लिए खुला रखा गया.

उन्होंने यह भी कहा, ''कनेक्टिविटी ने हमें अपने सभी फॉरवर्ड स्थानों को सालभर सप्लाई करने में मदद की है और हमें कुछ ही समय में सैनिकों को तैनात करने की क्षमता दी है.''

राफेल से बढ़ी ताकत

राफेल फाइटर जेट दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में से एक है. फ्रांस से भारत को मिलने के बाद वायुसेना की ताकत पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गई है. आने वाले समय में कई और राफेल विमान भारत आने वाले हैं, जिनका इस्तेमाल बॉर्डर पर होने वाली किसी भी नापाक हरकत से निपटने में किया जा सकता है.

दुश्मन देशों को मात देने के लिए राफेल फाइटर जेट्स अहम भूमिका निभा सकते हैं. अधिकारियों का कहना है कि राफेल के साथ-साथ मिग-29 और सुखोई-30 बेड़े उत्तरी सीमाओं पर आसमान में हावी रहे हैं और दूसरा स्क्वॉड्रन इस महीने के अंत तक संचालन के लिए तैयार हो जाएगा.

बॉर्डर पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती

Advertisement

भारतीय सेना ने लद्दाख के साथ-साथ पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी अपनी तैनाती मजबूत कर दी है, क्योंकि सेना ने अब चीन सीमा से निपटने के लिए एक अतिरिक्त स्ट्राइक कोर को तैनात किया है.

अधिकारी ने बताया, ''मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर को लद्दाख में उत्तरी सीमाओं की ओर फिर से तैनात किया गया है और 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को पूरे पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार दिया गया है. साथ ही एक अतिरिक्त डिवीजन भी दी गई है, जिसमें दस हजार से अधिक जवान शामिल हैं.''

जवानों के लिए रहने के घर

पूर्वी लद्दाख जैसी जगह जहां पर बहुत ठंड पड़ती है, वहां हमेशा से जवानों को रहने के लिए आवास की जरूरत पड़ती थी. इस बार ऐसे इलाकों में बनाए गए आवासों ने सेना की काफी मदद की और जवानों की शक्ति पहले की तुलना में कई गुना बढ़ा दी.

सेना के इंजीनियरों ने पिछले 11 महीनों के भीतर ही उन सुविधाओं को बना लिया, जिसकी प्लानिंग अगले पांच सालों में बनाने की थी. अधिकारियों का कहना है कि सशस्त्र बलों की तैयारी अब उस स्तर की है, जहां चीनी या कोई अन्य विरोधी हमें किसी भी तरह से आश्चर्यचकित नहीं कर सकता है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement