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कंधे पर रखकर दागी जा सकेंगी मिसाइलें, और पुख्ता होगी चीन-PAK बॉर्डर पर सुरक्षा

DRDO सिस्टम को एजेंसी द्वारा हवा में टारगेट भेदने के लिए एक ट्राइपोड आधारित सिस्टम के रूप में बनाया गया है लेकिन सेना चाहती है कि इसे सैनिकों द्वारा अपने कंधों से लॉन्च करने के लिए बनाया जाए. भारत 2009 से कंधे से दागी जाने वाली अपनी मिसाइल लिस्ट को बदलने और बढ़ाने पर काम कर रहा है.

भारत बना रहा स्वदेशी मिसाइल (प्रीतकात्मक तस्वीर) भारत बना रहा स्वदेशी मिसाइल (प्रीतकात्मक तस्वीर)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 7:18 AM IST

भारतीय सेना (Indian Army) कंधे से दागी जाने वाली वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली विकसित करने के लिए दो प्रमुख परियोजनाओं पर काम कर रही है. चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर खतरों से बचाव के लिए भारतीय सेना द्वारा थल सेना और वायु सेना दोनों के सैनिकों को 350 से ज्यादा लॉन्चर और लगभग 2000 मिसाइलें उपलब्ध करवाई जाएंगी. दुश्मन के ड्रोन और लड़ाकू विमानों के खतरों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के लिए यह एक बड़ा प्रोत्साहन हो सकता है.

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रक्षा अधिकारी ने बताया कि पहला प्रोजेक्ट ज्यादा प्रभावी लेजर बीम राइडिंग वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के लिए है, जिसके लिए हैदराबाद में एक डिफेंस पीएसयू और महाराष्ट्र की प्राइवेट क्षेत्र की कंपनी विवाद में हैं और उन्हें स्वदेशी रूप से प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट दिया गया है. 

उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट चल रहा है और उसमें जो काम हुए हैं, वो बेहद उत्साहजनक हैं. एक अन्य प्रोजेक्ट डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा अपने चयनित पार्टनर्स अडानी डिफेंस और हैदराबाद के फर्म I-Comm इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ की जा रही है.

2009 से काम कर रहा है भारत

सूत्रों के मुताबिक DRDO सिस्टम को एजेंसी द्वारा हवा में टारगेट भेदने के लिए एक ट्राइपोड आधारित सिस्टम के रूप में बनाया गया है लेकिन सेना चाहती है कि इसे सैनिकों द्वारा अपने कंधों से लॉन्च करने के लिए बनाया जाए. भारत 2009 से कंधे से दागी जाने वाली अपनी मिसाइल लिस्ट को बदलने और बढ़ाने पर काम कर रहा है. 

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यह भी पढ़ें: भारतीय सेना को जल्द मिल सकता है कंधे पर रखकर दागने वाला नया रॉकेट लॉन्चर, जानिए इसकी ताकत

हालांकि, रिप्लेसमेंट खोजने के लिए टेंडर प्रोसेस के बाद रूसी प्रणाली इग्ला-एस जरूरतों को पूरा करने वाली सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी बन गई. हालांकि, प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया और सेनाएं अब इस परियोजना को फिर से शुरू करने के तरीकों के बारे में सोच रही हैं. इस प्रोजेक्ट को मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत फिर से शुरू करने की योजना है और जल्द ही संबंधित अधिकारियों की एक बैठक होने वाली है. भारतीय फोर्सेज को हाल ही में इमरजेंसी पॉवर्स के तहत रूस से 48 से ज्यादा लॉन्चर मिले हैं और आने वाले वक्त में 48 और लॉन्चर मिलने की उम्मीद है. 

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