
अफगानिस्तान के मसले पर भारत लगातार दुनिया के अलग-अलग देशों से चर्चाएं कर रहा है. भारत की ओर से अमेरिका, रूस और यूनाइटेड किंगडम के साथ बातचीत की जा रही है, तीनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर भारत इस वक्त अफगानिस्तान में बनी तालिबान की सरकार के पाकिस्तान के साथ लिंक पर बात कर रहा है.
पिछले कुछ दिनों में अमेरिकन खुफिया एजेंसी CIA, ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI6 के प्रमुखों और रूस के एनएसए ने भारत का दौरा किया है. भारत ने तीनों देशों से अफगानिस्तान में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एक्टिव रोल, आतंकी संगठनों के तालिबान के साथ सरकार में अहम रोल पर चिंता व्यक्त की है.
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बीते दिनों में रुस-अमेरिका-ब्रिटेन के अधिकारियों से चर्चा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही जो बाइडेन, व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात कर चुके हैं.
अफगानिस्तान की ताजा स्थिति को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता आतंकी संगठनों को लेकर है. तमाम बड़े देशों को इस बात की चिंता है कि अफगानिस्तान आने वाले दिनों में तालिबान के राज में अफीम का हब बन सकता है. साथ ही आतंकी संगठनों के लिए कमाई और अपना बेस बनाने की जगह बन सकता है.
भारत की ओर से इस मसले को उठाया गया है कि पाकिस्तान को इस बात का भरोसा दिलाना होगा कि अपगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंक को बढ़ावा देने के लिए नहीं होगा. साथ ही अफगानिस्तान में मौजूद अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी जाएगी.
तालिबान को लेकर अगर भारत के आधिकारिक रुख की बात करें तो अभी तक सिर्फ वेट एंड वॉच की स्थिति अपनाई जा रही है. भारत का फोकस अभी अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने पर है. हालांकि, कतर में भारत के राजदूत ने वहां पर तालिबान के एक नेता से मुलाकात की थी, जिसमें रेस्क्यू मिशन पर ही चर्चा हुई थी.