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तो क्या भारत में भी आ सकता है तुर्की जैसा भूकंप? वैज्ञानिक ने दी चेतावनी

तुर्की में 7.8 मेग्नीट्यूड वाला भूकंप आया था जिसके चलते 45000 से ज्यादा लोगों की जान गई है. डॉ राव के मुताबिक उत्तराखंड का खासकर हिमालयन इलाका जो कि पश्चिमी नेपाल से सटा हुआ है यह सीस्मिक जोन 4 की कैटेगरी में आता है और यहां कभी भी बड़ा भूकंप नहीं आया है लेकिन जमीन के भीतर हो रहे बदलाव के चलते ऐसा भूकंप आना तय है.

तुर्की के महाविनाशकारी भूकंप की तस्वीर तुर्की के महाविनाशकारी भूकंप की तस्वीर
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

तुर्की में आई भयानक त्रासदी के बाद भारत में भी यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यहां पर भी ऐसी विनाशकारी आपदा आ सकती है. भारत का वह कौन सा हिस्सा है जहां पर तुर्की से भी ज्यादा भयानक भूकंप आ सकता है? हैदराबाद में नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के सीस्मोलॉजी विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एन पूर्ण चंद्र राव ने चेतावनी दी है कि भारत का उत्तराखंड इलाका और पश्चिमी नेपाल का हिस्सा जिस स्थिति में है ऐसे में वहां कभी भी तुर्की जैसा भूकंप आ सकता है. 
 
तुर्की में 7.8 मेग्नीट्यूड वाला भूकंप आया था जिसके चलते 45000 से ज्यादा लोगों की जान गई है. डॉ राव के मुताबिक उत्तराखंड का खासकर हिमालयन इलाका जो कि पश्चिमी नेपाल से सटा हुआ है यह सीस्मिक जोन 4 की कैटेगरी में आता है और यहां कभी भी बड़ा भूकंप नहीं आया है लेकिन जमीन के भीतर हो रहे बदलाव के चलते ऐसा भूकंप आना तय है लेकिन इसकी तारीख या समय सीमा नहीं बताई जा सकती. 

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डॉक्टरों के मुताबिक पूरा हिमालय रीजन जम्मू कश्मीर से लेकर के अरुणाचल प्रदेश तक 4 और 5 की कैटेगरी में आता है जो कि भूकंप प्रभावी क्षेत्र हैं. रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता तक का भूकंप आखरी बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 50 के दशक में देखा गया था और 90 के दशक में बिहार- नेपाल के बॉर्डर पर ऐसा एक भूकंप आया था लेकिन उसके बाद हाल-फिलहाल के सालों में इस पूरे हिमालयन रीजन में 8 की तीव्रता का भूकंप नहीं आया है.

भूकंप की यह घटनाएं जमीन की परतों में हो रही बदलाव के चलते होती हैं और यह कई दशकों में बदल रही परिस्थितियों की वजह से होता है. लेकिन चुकी 50 के दशक के बाद हिमालयन रेंज में पिछले 70 सालों में ऐसा भूकंप नहीं आया है इसलिए इन इलाकों में तुर्की से भी बड़ा भूकंप आने की संभावना बनी हुई है लेकिन यह कब होगा यह नहीं कहा जा सकता. 

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एनजीआरआई के वैज्ञानिक के मुताबिक उत्तराखंड और पश्चिमी नेपाल का यह जो इलाका है यहां चट्टानों में आए बदलाव के चलते काफी तनाव है और यह कभी भी रिलीज हो सकता है जो कि बड़ा भूकंप पैदा करेगा. दरअसल भारत में भूकंप को लेकर ये सवाल जोशीमठ में आई आपदा को देखते हुए भी उठ रहे हैं जहां लगातार कई इलाकों में दरारें बढ़ रही हैं और अप्रैल महीने में ही चार धाम यात्रा शुरू होनी है. ‌ इन दरारों के चलते चार धाम यात्रा पर क्या प्रभाव होगा डॉ राव इस सवाल पर कुछ नहीं बोले लेकिन उन्होंने यह कहा कि जो कुछ भी जोशीमठ में हो रहा है वह एक चिंता का विषय है और तमाम एजेंसियां उस पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं और कई एजेंसियों की एक कमेटी उस पर अपनी रिपोर्ट भी बनाएगी. 

डॉक्टर राव का कहना है कि दरारों का आना या जमीन का खिसकना कोई नई घटना नहीं है बल्कि यह पहले भी होता रहा है लेकिन यह चिंता का विषय जरूर है.

 

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