
भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना की सुस्त रफ्तार आपको चौंका सकती है. इस परियोजना की रफ्तार कछुए की गति से भी कम है. पिछले 5 सालों में 25 किलोमीटर सड़क इस परियोजना के अंतर्गत बन पाई है. इससे अंदाज़ लगाया जा सकता है. कि इस परियोजना पर कितना ध्यान दिया जा रहा है. इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में भी पांच साल लगे. भारत नेपाल सीमा सड़क निर्माण परियोजना में जमीन अधिग्रहण में विलंब के कारण राशि 868 करोड़ बढ़कर हुआ 2244 करोड़ हो गया है.
भारत नेपाल सड़क परियोजना की परिकल्पना तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीज ने की थी. वाजपेयी की सरकार में भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना की योजना बनी, जिसका मुख उद्देश्य सशस्त्र सीमा बल को सीमा पर स्थित चौकियों के मध्य समूचित संपर्क त्वारित गतिशीलता एवं प्रभाव प्रदान करना.
भारत और नेपाल 1751 किलोमीटर की खुली सीमा है, जिनमें से 729 किलोमीटर सीमा बिहार से लगा हुआ है. सीमा की सुरक्षा के लिए इस बॉर्डर पर सशस्त्र सीमा बल तैनात है.
धीमी गति से चल रही है सड़क परियोजना
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना कछुआ की गति से चल रही है. पांच साल में महज 25 किलोमीटर सड़क ही निर्माण हुआ है. जमीन अधिग्रहण में देरी के कारण 868 करोड़ की योजना लगात बढ़कर 2244 करोड़ रुपया हो गया है. यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ है.
गुरुवार को विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश होने के बाद महालेखाकार भवन में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में महालेखकार रामअवतर शर्मा ने कहा कि इस परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण में देरी हुई है. पथ निर्माण विभाग ने कहा कि योजना के लिए 2759 एकड़ भूमि के विरुद्ध में 2498 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है. जबकि वास्तविकता यह है कि भूमि अधिग्रहण पूरी हुई ही नहीं.
लागत में 1375 करोड़ की वृद्धि
उन्होंने कहा कि भूमिअधिग्रहण में आपातकालीन प्रावधान का विलंब से आवेदन किए जाने कारण लागत में 1375 करोड़ की वृद्धि हुई है. महालेखकार ने कहा कि भूमि के गलत वर्गीकरण के कारण सरकार को 104 करोड़ का अधिक भुगतान किया है. उन्होंने बताया कि संविदा आवंटित करने पर भी सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना ही 552 किलोमीटर सड़क निर्माण की संविदा आवंटित की कर दी थी. सीमा सशस्त्र बल का सुझाव था कि प्रस्तावित सड़क सीमा के 500 मीटर के दायरे होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नही हुआ. कई जगहों ओर सड़क सीमा से 25-25 किलोमीटर दूर हो गई है. जो भारत नेपाल सड़क परियोजना की परिकल्पना से भी बहुत दूर है.
महालेखापरीक्षक ने अपनी 2019-20 रिपोर्ट में लिखा है कि इन 10 वर्षों की अवधि में 64 प्रतिशत सीमा चौकियां मुख्य संरेखण से नही जुड़ी थी. जो सशस्त्र सीमा बल की गतिशीलता को प्रभावित कर रहे थे परियोजना अपने सर्वकलिक सम्पर्कता प्रदान करने के उद्देश्यों की पूर्ति में अधूरी है.