
भारत में राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान चलाकर 34 लाख से ज्यादा लोगों की जान बचाई गई. टीकाकरण अभियान ने 18.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के नुकसान को रोककर एक सकारात्मक आर्थिक प्रभाव भी पैदा किया है. साथ ही टीकाकरण अभियान की लागत को ध्यान में रखते हुए देश को 15.42 अरब अमेरिकी डॉलर का शुद्ध लाभ हुआ. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शुक्रवार को स्टैनफोर्ड में आयोजित 'द इंडिया डायलॉग' सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए. उन्होंने ‘हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इम्पैक्ट ऑन इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड इश्यूज’ टाइटल वाले वर्किंग पेपर को जारी किया.
सही समय पर लागू किया गया लॉकडाउन
केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने बताया, रिपोर्ट में कोरोना को लेकर भारत की रणनीति की समीक्षा की गई है. इसमें भारत में सही समय पर लगाए गए लॉकडाउन की तारीफ की गई है. इसमें कहा गया कि 11 अप्रैल 2020 तक भारत में कोरोना मामलों की संख्या सिर्फ 7500 तक ही पहुंची, लेकिन बिना लॉकडाउन के यह संख्या करीब दो लाख तक पहुंच सकती थी. लॉकडाउन के लागू होने से भी दो लाख लाख लोगों को मौत से बचा लिया गया.
सही फैसले से काफी देर में आई थी कोरोना की पीक
रिपोर्ट में आर्थिक सर्वेक्षण (2020-21) के हवाले से कहा गया है कि लॉकडाउन (मार्च-अप्रैल) की वजह से 100,000 लोगों की जान बचाई गई थी. अगर देश में लॉकडाउन न लगाया गया होता तो 11 अप्रैल 2020 तक कोरोना मामलों की संख्या 200,000 तक होती. रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली लहर में पीक पर पहुंचे में भारत ने 175 दिन लिए जबकि रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली और जर्मनी में सिर्फ 50 दिनों में कोविड मामले पीक पर पहुंच गए.
पीएम मोदी ने अपनाया था एक सक्रिय दृष्टिकोण
केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने कहा कि जनवरी 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोविड-19 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने से पहले ही देश में महामारी प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर लिया गया था.
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने एक सक्रिय, पूर्वव्यापी और श्रेणीबद्ध तरीके से 'संपूर्ण सरकार' और 'संपूर्ण समाज' के दृष्टिकोण अपनाया और इस प्रकार कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक समग्र प्रतिक्रिया रणनीति अपनाई."
स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में मदद की
रिपोर्ट में कहा गया कि संक्रमण को रोकने के लिए अपनाए गए उपायों जैसे सामूहिक परीक्षण, होम क्वारंटिन, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का वितरण, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार और केंद्र, राज्य तथा जिला स्तर पर हितधारकों के बीच निरंतर समन्वय ने न केवल रोकथाम में मदद की बल्कि स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में भी मदद की.
यह भारत की रणनीति के तीन आधारशिलाओं - रोकथाम, राहत पैकेज और टीका प्रशासन को विस्तृत करता है. रिपोर्ट में दिखाया गया कि ये तीन उपाय जीवन को बचाने और कोविड-19 के प्रसार को रोकने, आजीविका को बनाए रखने और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करके आर्थिक गतिविधि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण थे.
मॉनिटरिंग के लिए 52 लैब का बना लिया था नेटवर्क
मंत्री मंडाविया ने कहा कि सरकार ने कोविड से संबंधित बिस्तरों, दवाओं, रसद यानी एन-95 मास्क, पीपीई किट और मेडिकल ऑक्सीजन के संदर्भ में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है. कोरोना के उभरते रूपों की निगरानी के लिए 52 प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क स्थापित किया गया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया, जिसमें पहली खुराक का 97 प्रतिशत और दूसरी खुराक का 90 प्रतिशत कवरेज मिला. साथ ही दोनों खुराक लेने वालों की कुल संख्या लगभग 2.2 बिलियन तक पहुंच गई है.