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भारत ने बढ़ाई चौकसी, चीन पर नजर रखने के लिए पड़ोस में स्थापित किए रडार

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, इसे देखते हुए भारत अपने पड़ोसी मित्र देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है. हाल ही में भारत ने म्यांमार को आईएनएस सिंधुवीर सौंपा है, जो म्यांमार के नौसैनिक बेड़े में पहली पनडुब्बी है.

भारत ने चीन से निपटने को बढ़ाई चौकसी (फाइल फोटो-PTI) भारत ने चीन से निपटने को बढ़ाई चौकसी (फाइल फोटो-PTI)
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST
  • चीन का मुकाबला करने को भारत तैयार
  • भारत सैन्य कूटनीति बढ़ाने पर कर रहा काम
  • पड़ोसी मित्र देशों के साथ सुरक्षा तंत्र में वृद्धि

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन के बढ़ते प्रभाव और मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए भारत अपने पड़ोस में तटीय निगरानी रडार सिस्टम (coastal surveillance radar system) स्थापित कर रहा है. भारत अपनी सैन्य कूटनीति को बढ़ाने के रणनीतिक उपायों के तहत ऐसा कर रहा है, जिससे पड़ोसी मित्र देशों के साथ मिलकर सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा.

इंडिया टुडे के रक्षा सूत्रों ने कहा कि समुद्री निगरानी के लिए बने रडार श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स में पहले ही लगाए जा चुके हैं. बहुत जल्द ही ये मालदीव, म्यांमार और बांग्लादेश में स्थापित किए जाएंगे.

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एक आधिकारिक ने बताया, “मालदीव और म्यांमार के लिए इसी तरह की परियोजनाएं प्रस्तावित हैं. बांग्लादेश में ये योजना एडवांस स्टेज में है और कम से कम 12 अन्य देशों में ऐसा करने की जरूरत महसूस की जा रही है.” 

ये कोस्टल सर्विलांस रडार सिस्टम छोटी नौकाओं, मछली पकड़ने वाली नावों, जहाजों का पता लगाने में सक्षम हैं और समुद्र में किसी भी अवैध गतिविधियों की निगरानी कर सकता है. 

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, इसे देखते हुए भारत अपने पड़ोसी मित्र देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है. हाल ही में भारत ने म्यांमार को आईएनएस सिंधुवीर सौंपा है, जो म्यांमार के नौसैनिक बेड़े में पहली पनडुब्बी है.   

भारत ने म्यांमार में कालादान ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के तहत सिटवे बंदरगाह का निर्माण भी किया है. ये ट्रांजिट प्रोजेक्ट कोलकाता को म्यांमार के सितवे बंदरगाह से जोड़ेगा और पूर्वोत्तर का मिजोरम भी इससे जुड़ जाएगा. इसकी वजह से कोलकाता से मिजोरम की दूरी करीब एक हजार किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा के समय में चार दिनों की कमी आएगी. यह प्रोजेक्ट नार्थ-ईस्ट का नया प्रवेश द्वार होगा. 

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चीन भी सितवे के पास क्युकपी बंदरगाह पर विकास परियोजनाएं चला रहा है. 

इन देशों के साथ सहयोग भारत के उस कार्यक्रम के तहत आता है जिसे SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नाम दिया गया है. अपने पड़ोस में आत्मनिर्भर क्षमताओं का निर्माण करने के लिए नई दिल्ली पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी

हाल के रुझान दिखाते हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीनी रिसर्च यानों की तैनाती में लगातार वृद्धि हुई है. पिछले कुछ वर्षों में हिंद महासागर के दक्षिण-पूर्वी और पश्चिमी भागों में ऐसा देखा गया है.

सूत्रों ने कहा, पिछले चार वर्षों में ये भी देखा गया है कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों की मौजूदगी बढ़ी है. हिंद महासागर क्षेत्र में हर साल औसतन 300 चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों की मौजूदगी होती थी, लेकिन पिछले साल ये संख्या 450 हो गई. 

अधिकारियों ने कहा कि लगभग 100 जहाजों को चीन से पाकिस्तान के लिए रवाना किया गया, लेकिन कोई "स्पष्ट पैटर्न" नहीं मिला है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय रही है.   

खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि चीनी नौसेना के पोत और पनडुब्बियां एंटी-पाइरेसी ऑपरेशंस के बहाने लगातार क्षेत्र में मौजूद रहती हैं. चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपने नौसैनिक अभियानों का विस्तार कर रहा है और भारतीय नौसेना इसकी बढ़ती समुद्री गतिविधियों से अवगत है. चीन वैश्विक शक्ति बनने के अपने लक्ष्य के मुताबिक अन्य बलों के संसाधन नौसेना को ट्रांसफर कर रहा है.

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पिछले साल सितंबर में भारतीय क्षेत्र के करीब पहुंचे एक चीनी पोत को वापस जाने को कहा गया था. उसके जासूसी मिशन पर होने का संदेह था.  

भारतीय नौसेना की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय पहुंच 

दुनिया के समुद्री व्यापार का 75 फीसदी और वैश्विक उपभोग का 50 फीसदी हिस्सा हिंद महासागर क्षेत्र में गुजरता है. कई देशों के हित शामिल होने के कारण इस क्षेत्र में सुरक्षा उपायों को बढ़ावा मिल रहा है. 

किसी भी समय हिंद महासागर क्षेत्र में 12,000 के करीब जहाज और 300 मछली पकड़ने के जहाज हैं जिनकी हमेशा निगरानी की जरूरत होती है. समुद्र में मछली पकड़ने के करीब 3 लाख भारतीय जहाज चल रहे हैं. 

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भारतीय नौसेना अपने इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर- हिंद महासागर क्षेत्र के जरिेये रीयल टाइम इंफॉर्मेशन प्राप्त कर सकने में सक्षम है. ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, जापान, मालदीव, संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरीशस, म्यांमार और बांग्लादेश सहित 22 देशों के और 22 बहु-राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का सहयोग समझौता है जिससे किसी सूचना की त्वरित जानकारी साझा की जाती है.

इंटरनेशनल फ्यूजन सेंटर की स्थापना सदस्य देशों को समुद्री सूचनाएं मुहैया कराने के लिए दिसंबर 2018 में की गई थी. सूत्रों ने कहा कि भारतीय नौसेना 36 देशों के साथ व्हाइट शिपिंग एग्रीमेंट करने के लिए आगे बढ़ रही है; उनमें से 22 पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और 17 प्रगति पर हैं.  

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हाल ही में भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चार देशों के मालाबार अभ्यास का आयोजन किया जिसमें भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान शामिल थे.


 

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