
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के 19वें संस्करण के दूसरे दिन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुख्य वास्तुकार बिमल पटेल ने कहा कि संसद भवन की जटिल आवश्यकताएं थीं. उन्होंने कहा, "हमें ऐसी सुविधाएं बनानी होंगी जहां हाउस को विस्तारित किया जा सके. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक ऐसी इमारत बनाना जो अच्छी तरह से काम करे."
बिमल पटेल की फर्म, एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट को 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को डिजाइन करने का अनुबंध मिला था.
सीईपीटी यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बिमल पटेल ने कहा कि संसद के नए भवन का आकार त्रिकोणीय होगा, जो विभिन्न धर्मों में त्रिकोण के पवित्र ज्यामिति होने के महत्व को दर्शाता है. उन्होंने कहा, "यह सबसे आधुनिक सुविधाओं वाली इमारत होगी, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपरा को भी प्रदर्शित करेगी."
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इस विषय पर CEPT यूनिवसिर्टी के प्रेसिडेंट और आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने कहा कि निश्चित तौर पर संसद में अभी काम हो रहा है. लेकिन वहां पर भीड़ बढ़ गई है. ढांचा लगातार कमजोर हो रहा है. बाद में कई जगहों को इसमें जोड़ा गया है. इस वजह से इसमें बदलाव की जरूरत है. संसद सदस्यों की संख्या 2026 में बढ़ने जा रही है और ऐसे में सदस्यों की संख्या काफी बढ़ जाएगी. ऐसे में बड़ी इमारत और ज्यादा जगह की जरूरत होगी.
उनका कहना था कि नई लोकसभा में करीब 150 सदस्यों के और बैठने की व्यवस्था की जा रही है. अभी पहले से ही करीब 500 लोग बैठते हैं. अब 700 या उससे ज्यादा की संख्या होगी तो वहां जगह की काफी कमी हो जाएगी.
राजनीति से प्रेरित आलोचनाः पुरी
हालांकि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को विपक्ष की लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसने इसे "वैनिटी प्रोजेक्ट" और "कोविड-19 महामारी के बीच में सरकार की गलत प्राथमिकताओं वाला उदाहरण" करार दिया.
आलोचना को राजनीति से प्रेरित बताते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ये शूट-एंड-स्कूट आर्टिस्ट हैं. कोरोना के दौरान, हमारी कई परियोजनाएं चल रही थीं. लेकिन इन लोगों ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ही क्यों उठाया और कोर्ट का रुख किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने तो उन पर दंडात्मक जुर्माना लगाया. जबकि हमने रक्षा कार्यालय भवनों को भी 24 महीने के बजाय 13 महीने के भीतर पूरा कर लिया."
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को दिल्ली हाई कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है, जिसने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाले याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.