
भारत के पूर्व सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2021) के 19वें संस्करण में पहुंचे. इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या विश्व, चीन की सदी के लिए तैयार है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह संभव है. लेकिन मेरे ख्याल से इसकी संभावना बेहद कम है. इसके तीन कारण हैं. चीन के बारे में जो भी बातें हैं वो आर्थिक मजबूती की वजह से हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि चीन आज के समय में इकोनॉमिक सुपर पावर है. लेकिन अगर सैन्य शक्ति की बात करें तो उसमें अमेरिका वाली बात नहीं है.
अमेरिका देश के किसी भी हिस्से में सैन्य गतिविधि को अंजाम दे सकता है, लेकिन चीन अभी रीजनल पावर के तौर पर ही स्थापित है. दूसरी बात यह है कि चीन के जो भी पड़ोसी देश हैं वहां की आबादी काफी ज्यादा है. बाकी के अगर पावरफुल देश अमेरिका या पूर्व में ब्रिटेन की बात करें तो वह किसी सागर के पीछे नहीं था. उन्होंने पहले अपने पड़ोसियों पर शिकंजा कसा और फिर बाकी के देशों जैसे भारत, रूस और ईरान से डील की. उन्होंने सभी बड़े देशों के साथ काम करने का माहौल तैयार किया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन दूसरे देशों पर निर्भर है. वह तकनीक, फाइनेंस और मार्केट सभी चीजों को लेकर विश्व पर निर्भर करता है. इसलिए मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि अगली सदी चीन की होने वाली है. हां चीन पावरफुल देश होगा. वह भी अमेरिका की तरह कई देशों से बेहद आगे होगा.
वहीं सीनियर ट्रान्साटलांटिक फेलो और लेखक एंड्रयू स्मॉल ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का लक्ष्य है कि वह पूरे विश्व को चीन पर निर्भर कर दें. यानी कि चीन के बिना किसी भी देश का काम ही ना हो सके. जबकि चीन खुद आत्म निर्भर हो जाए.
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पूर्व सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत ने चीन के साथ संबंध को मैनेज किया है. लेकिन पावर बैलेंस हमारे विरोध में शिफ्ट हो गया है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के समय में हमने 'जियो और जीने दो' वाला संबंध बनाया था. उस दौर में भारत और चीन अर्थव्यवस्था की बात करें या फिर तकनीक की, दोनों स्तर पर बराबर रूप से मजबूत था. लेकिन अब चीन पांच गुना ज्यादा बड़ा और मजबूत देश हो गया है. अब पावर बैलैंस हमारे विरोध में चला गया है इसलिए चीन का व्यवहार भी बदल गया है. इसलिए अनिवार्य रूप से भारत का व्यवहार भी चीन के लिए बदल गया है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में भी बदलाव देखा जा रहा है. हालांकि चीन के इस व्यवहार की वजह से भारत के कई नए दोस्त बन गए हैं. लेकिन हम एक दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. हमें चीन का मुकाबला करने के लिए खुद पर ही भरोसा करना होगा. हमलोगों ने सेना में सुधार का दौर शुरू किया है. लेकिन यह कितना सफल हो पाया है इस बारे में अभी कुछ कहना बेहद जल्दबाजी होगी. हमें अगले पांच सालों में तेजी से बदलाव करने होंगे.