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India Today Conclave 2021: किरण रिजिजू बोले- विदेशी खेल ही नहीं खो-खो, कबड्डी पर भी ध्यान देना होगा

पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अगर आप पश्चिमी देशों की ओर देखेंगे तो पाएंगे कि वहां पर सरकार खेलों पर एक भी पैसा खर्च नहीं करती है. जबकि यहां पर सरकार खर्च करती है. सरकार वहां खेल में शामिल नहीं होती है लेकिन यहां ऐसा होता है.

पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू (फोटो-चंद्रदीप कुमार) पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू (फोटो-चंद्रदीप कुमार)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST
  • 'पश्चिम में सरकार खेलों पर एक भी पैसा खर्च नहीं करती'
  • खो-खो समेत भारतीय खेलों को बढ़ाना चाहिएः रिजिजू
  • इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 कार्यक्रम का आज दूसरा दिन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के 19वें संस्करण के दूसरे दिन राइज़ हाई द रूफ बीम्स: अनलीजिंग द ट्रांसफॉर्मेटिव पावर ऑफ स्पोर्ट्स इन इंडिया में पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि खो-खो, कबड्डी आदि भारतीय खेलों को आगे बढ़ाना चाहिए. सिर्फ विदेशी खेल खेलेंगे तो यह सही नहीं होगा.

किरण रिजिजू ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में कहा, 'इस देश में खेल संस्कृति नहीं थी लेकिन मैं गर्व से कह सकता हूं कि यह अब बढ़ रहा है. खासकर टोक्यो ओलंपिक के बाद. हमें खो-खो, कबड्डी और मलखम आदि जैसे भारतीय खेलों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है. हमें सिर्फ विदेशी खेल नहीं खेलना चाहिए बल्कि भारतीय खेल भी खेलना चाहिए. सिर्फ विदेशी खेल खेलेंगे और देशी खेल नहीं खेलेंगे तो यह सही नहीं है. एक खेल संस्कृति विकसित करने के लिए हमें एक अभियान चलाना होगा जिसमें आम लोग भी शामिल हो सकें.'

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किरण रिजिजू को लगता है कि भारत में खेल संस्कृति को और अधिक विकसित करने की जरूरत है ताकि देश एक खेल महाशक्ति बन सके और ओलंपिक में अधिक पदक जीत सके. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए पूर्व खेल मंत्री रिजिजू ने कहा, 'मैं सभी से कहता हूं कि टेलीविजन पर मैच देखें या खेल को प्रोत्साहित करने और इसे बढ़ने में मदद करने के लिए स्टेडियम जाएं. बैडमिंटन लीग यहां सफल नहीं हो सकी क्योंकि दर्शकों की संख्या नहीं थी.'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 (फोटो-यासिर इकबाल)

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देश में खेल की स्थिति के बारे में किरण रिजिजू ने कहा कि हमारे देश में एक बड़ी गलतफहमी है. हर कोई सरकार से खेल की देखभाल की उम्मीद करता है. धारणा यह है कि एथलीट परेशान हैं लेकिन सरकार चिंतित नहीं है या यह पर्याप्त नहीं कर रही है. 

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पूर्व खेल मंत्री ने कहा कि अगर आप पश्चिमी देशों की ओर देखेंगे तो पाएंगे कि वहां पर सरकार खेलों पर एक भी पैसा खर्च नहीं करती है. जबकि यहां पर सरकार खर्च करती है. सरकार वहां खेल में शामिल नहीं होती है लेकिन यहां ऐसा होता है. ऐसे में अलग-अलग धारणा है. खेल में सब कुछ सरकार को करना है, यहां ऐसी ही धारणा है और इसके पीछे वजह यह है कि खेल संस्कृति की कमी का होना है.

 

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