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राजस्थान की एक महिला जिसने समाज की तयशुदा धारा पर चलने के बजाय कृषि करने का फैसला लिया, जिसे आमतौर पर पुरुषों का पेशा कहा जाता है. कभी नक्सलवाद का दंश झेलने वाले झारखंड के सिमडेगा जिले में हॉकी का कायाकल्प करने वाले एक हॉकी गुरू. गांव के सरकारी स्कूल में स्पेस ऑब्जर्वेटरी खोलने वाले एक आईएएस. यह उन विभूतियों की पहचान और उपलब्धियां हैं जो शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में 'बनेगा तो बढ़ेगा भारत' पैनल में मौजूद रहे.
हॉकी के लिए जाना जाने लगा सिमडेगा
सिमडेगा जिले से आने वाले हॉकी झारखंड के उपाध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने बताया कि 2010 में सिमडेगा की महिला हॉकी टीम पहली बार नेहरू हॉकी खेलने के लिए दिल्ली आई थी. फाइनल मुकाबले में सिमडेगा हरियाणा की टीम से हार गया. वापस लौटने पर महिला खिलाड़ियों का जोरदार स्वागत हुआ लेकिन उनकी आंखों में आंसू थे. टीम की कैप्टन अरुणा रंजिता ने कहा कि अगर हमारे जिले में भी एस्ट्रो टर्फ होता और हमने उस पर अभ्यास किया होता तो हम हरियाणा की टीम को हरा देते. इसके बाद हमने ठान लिया कि जिले में एस्ट्रो टर्फ बनवाकर रहेंगे. हमने लगातार मांग की. 2013 में इसकी मंजूरी मिली और 2015 में इसका निर्माण पूरा हुआ.'
उन्होंने बताया कि करंगागुड़ी में एक स्कूल है जहां पहली क्लास से हॉकी लेकर आना अनिवार्य है. यही कारण है कि आज भारतीय महिला हॉकी टीम में चार खिलाड़ी झारखंड से हैं जिसमें से दो करंगागुड़ी से हैं. पैनल में सिमडेगा की हॉकी खिलाड़ी संजना भी मौजूद रहीं जो 2017 से हॉकी खेल रही हैं. उन्होंने बताया कि 'चक दे इंडिया' फिल्म देखकर उन्होंने हॉकी खेलने और देश का नाम रौशन करने का फैसला किया था.
नक्षत्रों को देख महिलाओं ने टेलिस्कोप को किया प्रणाम
गांव के सरकारी स्कूलों में स्पेस ऑब्जर्वेटरी खोलने वाले आईएएस अभिषेक पांडेय ने बताया कि बुलंदशहर में इसे 'खगोल क्रांति' के नाम से जाना जाता है. इसका आइडिया उन्हें तब आया जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सभी स्कूल बंद थे और एक बहुत बड़ा लर्निंग गैप आ गया था. अभिषेक ने सोचा कि स्कूलों को एक संसाधन के रूप में दोबारा स्थापित करना जरूरी है, जिसके लिए स्कूलों में ऐस्ट्रोनॉमी थीम पर लैब की शुरुआत की गई.
उन्होंने बताया कि गांव के खेतों में टेलिस्कोप लगाकर जब स्टारगेजिंग इवेंट शुरू किए तो महिलाओं के टेलिस्कोप में देखने के बाद फोकस गड़बड़ हो जाता था क्योंकि वे सितारों को देखने के बाद टेलिस्कोप को प्रणाम करती थीं. अभिषेक के साथ 'खगोल दूत' रिहान भी पैनल में मौजूद रहे. बड़े होकर स्पेस साइंटिस्ट बनने का सपना देखने वाले रिहान ने बताया कि उन्हें टेलिस्कोप ऑपरेट करना आता है और वह अब तक शनि, टाइटन, बृहस्पति, चंद्रमा और क्रेटर देख चुके हैं.
'पढ़ाई कभी खत्म नहीं होती है'
असम के डिब्रूगढ़ से आए चाय किसान गौरब कुमार दास ने बताया कि इस पेशे में उन्हें आना ही था क्योंकि यह उनका फैमिली बिजनेस था. लेकिन गौरब ने पढ़ाई कभी बंद नहीं की. उन्होंने कहा, 'पढ़ाई कभी खत्म नहीं होती है. मैं अभी भी फोन पर पढ़ता हूं.' गौरब ने सामान्य चाय और ऑर्थोडॉग्स टी के बीच का अंतर भी समझाया. उन्होंने कहा कि ऑर्थोडॉग्स टी में एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा होता है और यह कई बीमारियों में फायदेमंद होती है.
किसानों को BMW से उतरता देख नहीं आई नींद
राजस्थान से आईं मशरूम किसान अन्नू कानावत ने कहा, 'कृषि के बारे में लोग सोचते हैं कि इसे सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं लेकिन हकीकत यह है कि देश की 90 प्रतिशत महिलाएं खेती करती हैं, पुरुष सिर्फ आकर अवॉर्ड ले जाते हैं.' अन्नू ने बताया कि राजस्थान में उनके परिवार के पास खेती के लिए 200 बीघा जमीन थी लेकिन फिर भी उनके घर की स्थिति बहुत खराब थी. उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह कृषि के क्षेत्र में रिसर्च करना चाहती हैं. वह राजस्थान की संस्कृति को कभी गलत साबित नहीं करेंगी, वह शादी के लिए भी तैयार हैं लेकिन उन्हें टाइम चाहिए.
अन्नू 2013-14 के आसपास कॉलेज की तरफ से गुजरात गईं. तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. वह मोदी की बनाई 'गिफ्ट सिटी' को देखकर हैरान रह गईं. उनकी हैरानी तब और बढ़ गई जब वहां पहुंचे किसान अपनी बीएमडब्ल्यू कारों से उतरे. कृषि की बदौलत किसानों की इस संपन्नता ने अन्नू को तीन दिनों तक सोने नहीं दिया. उन्होंने इस बारे में लोगों से पूछा तब उन्हें पता चला कि इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर का सबसे अहम रोल है. आज अन्नू हजारों महिलाओं को जोड़कर मशरूम की खेती करती हैं.