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India Today Conclave: मीडिया संगठन की अगुवाई का ये सबसे बेहतरीन और चुनौतीपूर्ण समयः कली पुरी

India Today Conclave 2024 का समापन हो गया है. दो दिन चले इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई अन्य वरिष्ठ नेताओं और हस्तियों ने शिरकत की. इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने सभी मेहमानों का आभार प्रकट क‍िया.

इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST

India Today Conclave 2024: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दो दिवसीय आयोजन के दूसरे और आखिरी दिन इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर इन चीफ कली पुरी ने कहा कि मैं किसी मीडिया ऑर्गेनाइजेशन की अगुवाई करने के इससे बेहतरीन और चुनौतीपूर्ण समय की कल्पना नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया की लोकप्रियता और उसकी ताकत को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता.

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कली पुरी ने अपने संबोधन में कहा कि इस समय दो ऐसे बड़े ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं, जो एक-दूसरे के खिलाफ हैं. पहला, सोशल मीडिया ने लोगों को सशक्त किया है, जिससे अभिव्यक्ति की आजादी मजबूत हुई है. इससे देश के एक ऐसे बड़े वर्ग को ताकत भी मिली है, जिसे पहले नजरअंदाज कर दिया जाता था या फिर अनसुना कर दिया जाता था. 

उन्होंने कहा कि दूसरा बड़ा ट्रेंड ये है कि सोशल मीडिया पावरफुल तो है, लेकिन टाइम स्पैंड को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आपके पास कहने को बहुत कुछ है लेकिन कोई सुनना नहीं चाहता. इसलिए हर बार किसी न किसी को लगता है कि उसकी बात सुनी नहीं जा रही.

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उन्होंने आगे कहा, 'तो ऐसे समय में मीडिया ऑर्गेनाइजेशन की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या कोई कैमरा, यूट्यूब या ट्विटर अकाउंट के साथ मीडिया ऑर्गेनाइजेशन बन सकता है. क्या ऐसे किसी शख्स को पत्रकार कहा जा सकता है? फेक न्यूज का क्या? एक शख्स जो किसी की नजर में आतंकी है, वो किसी की नजर में स्वतंत्रता सेनानी है. किसी का सच किसी का झूठ है. आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगें? हम किन मानकों और रेगुलेशन की बात कर रहे हैं? जब राह चलता इंसान किसी एक्सीडेंट की लाइव स्ट्रीमिंग करता है या किसी रेप विक्टिम को दोषी ठहराता है. आप इसे कैसे देखेंगे जब कुछ मीडिया संगठन बड़े गौरव के साथ सरकार का पक्ष बताते हैं. क्या वे मीडिया संगठन हैं, इंडिपेंडेंट हैं या प्रोपेगैंडा है? दूसरी तरफ, अगर आप हमेशा सरकार विरोधी बातें करते हैं तो क्या आप इंडिपेंडेंट हैं?'

उन्होंने कहा, 'मीडिया विपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकता, ऐसा नहीं करने पर उस पर गोदी या मोदी मीडिया के गलत आरोप लगते हैं. अगर विपक्ष बिखरा हुआ है तो इसके लिए मीडिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. हम इसी तरह विपक्ष के उस दूसरे पक्ष को पेश नहीं कर सकते, जो है ही नहीं. हम इस बॉक्सिंग मैच में एक ऑब्जर्वर के तौर पर हैं, हम प्लेयर्स नहीं हैं. अगर एक पक्ष कमजोर है या कमजोर दिखाई दे रहा है, तो हम उसे ताकतवर नहीं दिखा सकते. ये डर नहीं है. ये नियमों, भूमिकाओं और क्षमताओं का मामला है. हम सिर्फ मीडियम (माध्यम) हैं, हम मैसेज नहीं हैं.' 

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कली पुरी ने आगे कहा, 'मुझे लगता है सच किसी एक तरफ नहीं बल्कि कहीं बीच में होता है. मुझे लगता है कि न्यू मीडिया की भूमिका इन दूरियों को कम करने की है. उसकी जिम्मेदारी लेफ्ट और राइट दोनों तरफ की दूरियों को कम करने की है. हम खबरों को सनसनीखेज बनाने में विश्वास नहीं रखते.

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कली पुरी ने कहा, 'ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हमें नए-नए तरीके अख्तियार कर इन दूरियों और असहमतियों की दीवार को तोड़ने का काम करना होगा. आपने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के बीते दो दिनों में कई सत्र सुने और समझा कि हम सवाल पूछने से नहीं कतराते. मीडिया के तौर पर हमारा काम आपको खबरों तक पहुंचाना है, देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में सोच-समझकर अपना लीडर और कॉन्क्लेव की भीड़ में सोच-समझकर अपना कॉन्क्लेव चुनें.'

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