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अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर में विराजमान रामलला की प्रतिमा का निर्माण करने वाले अरुण योगीराज शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2024) में पहुंचे. यहां उन्होंने प्रभु श्रीराम की प्रतिमा बनाते समय घटी कई घटनाओं का वर्णन किया. इस दौरान अरुण योगीराज ने उस किस्से के बारे में विस्तार से बताया, जब उन्होंने रामलला की प्रतिमा 70 प्रतिशत तैयार कर ली थी और दिल्ली से एक फोन आने के कारण दिल्ली जाना पड़ा. बाद में उन्हें बताया गया कि मूर्ति का दोबारा निर्माण करना होगा.
अरुण योगीराज ने बताया,'मैंने जून में विग्रह बनाना शूरू किया था. अगस्त तक करीब 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था. अचानक मिश्राजी ने फोन किया कि अरुण दिल्ली आ जाओ. मैंने सोचा कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं. शायद बहुत बड़ा काम मिलने वाला है. दिल्ली पहुंचा. मिश्राजी ने मुझसे कहा कि 8 टेस्ट में से एक रिपोर्ट निगेटिव आई है. इस पत्थर पर आगे काम नहीं कर सकते. देश के प्रति हमारी जवाबदेही है. तुम युवा हो और तुम्हारे पास दो महीने का समय है. मुझे पता है तुम यह कर लोगे. मैं एक मिनट के अंदर ही उनकी बातों से सहमत हो गया.'
डिप्रेशन में चले गए थे योगीराज
मूर्तिकार अरुण ने आगे कहा,'मैंने उन्हें एक मिनट के अंदर हां तो कह दिया, लेकिन बाद में एक टेंशन शुरू हो गया. मैं मूर्ति को पूरी करने के बेहद करीब पहुंच चुका था. मैं सोचने लगा कि मेरे जीवन के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? बहुत डिप्रेशन में था. उस समय चंपत रायजी ने मेरी बहुत मदद की. उनको लगने लगा था कि मैं डिप्रेशन में जाऊंगा. उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और कंधों को थपथपाते हुए कहा कि हिम्मत मत हारो भगवान परीक्षा ले रहा है.'
कैसे दोबारा लौटा आत्मविश्वास?
उन्होंने आगे कहा,'मैंने अपनी पूरी ऊर्जा का दोबारा संचय किया. सितंबर में नए पत्थर पर मूर्ति का निर्माण शुरू कर दिया. मैंने अपने पास रेफरेंस के लिए करीब एक हजार फोटो सेव की थीं. उसमें 10 फोटो और जोड़ीं. इस बार मैंने उन फोटोज को भी देखना शुरू किया, जो मेरी बनाई गई पुरानी मूर्तियों की थी. मेरा आत्मविश्वास एक बार फिर लौटा. मैं भूलने लगा था कि मैंने कुछ काम भी किया है. मुझे अपना कॉन्फिडेंस वापस लाना था, इसलिए मैंने अपना ही पुराना काम देखना शुरू किया.'