Advertisement

India Today Conclave 2025: 'सूचनाओं का स्वतंत्र प्रवाह लोकतंत्र के लिए ऑक्सीजन', इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के स्वागत भाषण में बोले एडिटर इन चीफ अरुण पुरी

India Today Conclave 2025 का भव्य शुभारंभ हो चुका है. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने स्वागत भाषण दिया. अपने संबोधन में अरुण पुरी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियां दुनिया की राजनीति और व्यापार के पुराने नियम तोड़ रही हैं. टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), तेजी से हमारे जीवन को बदल रही है.

इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ अरुण पुरी इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ अरुण पुरी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST

India Today Conclave 2025 का भव्य शुभारंभ हो चुका है. दो दिवसीय इस प्रतिष्ठित आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तीनों सेनाओं के प्रमुख, स्टार क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव, सुप्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान सहित तमाम दिग्गज उद्योगपति, विचारक, कला, साहित्य एवं खेल जगत की हस्तियां शामिल होंगी. 
 
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने स्वागत भाषण दिया. अपने संबोधन में अरुण पुरी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की नई नीतियां दुनिया की राजनीति और व्यापार के पुराने नियम तोड़ रही हैं. टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), तेजी से हमारे जीवन को बदल रही है. भारत को इस बदलाव का फायदा उठाने के लिए अपने अवसरों का सही इस्तेमाल करना होगा. नीचे पढ़ें अरुण पुरी का पूरा भाषणः-  

Advertisement

माननीय अतिथियों,  
आप सभी का 22वें इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में स्वागत है. यह कॉन्क्लेव बहुत सही समय पर हो रहा है. क्योंकि हम इतिहास के एक मोड़ पर खड़े हैं.  

जैसा कि काउबॉय फिल्मों में कहते हैं – शहर में नया शेरिफ आ गया है. और यह कोई छोटा शहर नहीं, बल्कि अमेरिका है. और यह शेरिफ हैं – डोनाल्ड जे. ट्रंप. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और इकलौता सुपरपावर है. और ट्रंप अपने दोस्तों और दुश्मनों, दोनों को बंदूक की नोक पर रखकर एक बेहतर डील करने में लगे हैं. 

वह उस वर्ल्ड ऑर्डर को तोड़ना चाहते हैं, जो अमेरिका ने 1945 के बाद से बनाया था. वह ट्रेड को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. उनका कहना है कि अमेरिका को उसके दोस्तों ने भी ठगा है. ट्रंप का रोल भी अजीब है. एक तरफ वह अमेरिका को उन इंटरनेशनल संस्थाओं से बाहर निकाल रहे हैं, जहां से उन्हें कोई फायदा नहीं दिखता, जैसे WHO और पेरिस क्लाइमेट समझौता. और शायद आगे और भी  संस्थाओं से निकालेंगे. वहीं दूसरी ओर, वह एक मल्टीनेशनल कंपनी के CEO की तरह डील कर रहे हैं. वह कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं. पनामा नहर, ग्रीनलैंड और गाजा को खरीदने की सोच रहे हैं.  

Advertisement

वह यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस से सीधे डील करना चाहते हैं, बिना यूक्रेन को शामिल किए. बदले में यूक्रेन को बस इतना करना है कि अमेरिका को अपने दुर्लभ खनिज संसाधनों पर खनन करने का अधिकार दे दे, उस एड के बदले में जो उसे अब तब दी गई है. हैरानी की बात यह है कि जो मदद अमेरिका ने यूक्रेन को दी थी, अब वह उसे कर्ज में बदल रहा है, और कोई सुरक्षा गारंटी भी नहीं दे रहा, जिसकी यूक्रेन को सख्त जरूरत है.  

ट्रंप संयुक्त राष्ट्र के उस चार्टर को भी नहीं मानते, जो देशों को एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने को कहता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियम, देशों के बीच बातचीत के तौर-तरीके, कूटनीति के प्रोटोकॉल – सबकुछ बदल रहा है.  पुरानी व्यवस्था टूट रही है और उसकी जगह एक तरह की अराजकता (anarchy) ले रही है. और यह सब सिर्फ 47 दिन में हो गया है! ऐसा लग रहा है जैसे भू-राजनीति (geopolitics) एक रियलिटी टीवी शो बन गई है. 

आगे बहुत दिलचस्प समय आने वाला है. एक अमेरिकी पत्रकार ने कहा था – 'अगर यह मेरा देश न होता, तो मैं पॉपकॉर्न लेकर शो देखता!' मजाक अपनी जगह, लेकिन अमेरिका जो करता है, उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है.  

Advertisement

इस साल हमारे कॉन्क्लेव की थीम है – 'The Age of Acceleration' यानी बदलाव सिर्फ हो नहीं रहा, बल्कि बदलाव की रफ्तार भी तेज होती जा रही है. और डोनाल्ड ट्रंप ने इतनी जल्दी इस थीम को सच कर दिखाया है!  

धन्यवाद, मिस्टर प्रेसिडेंट. 

आज हमारे साथ अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ होंगे, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल में तीन साल तक उनके साथ रहे. वह हमें ट्रंप के दिमाग और उनके काम करने के तरीके के बारे में कुछ रोचक बातें बताएंगे. इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य सचिव (Commerce Secretary) होवर्ड लटनिक भी सैटेलाइट के जरिए लाइव जुड़ेंगे और टैरिफ्स यानी व्यापार पर लगने वाले टैक्स के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.  

लेकिन सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनिया में और भी बड़े बदलाव हो रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव – टेक्नोलॉजी.  

कंप्यूटर की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे जीवन के हर हिस्से को बदल रहा है. ऑफिस से लेकर राजनीति और नैतिकता तक. हम अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि यह वरदान है या अभिशाप. लेकिन यह तो तय है कि टेक्नोलॉजी को रोका नहीं जा सकता.  

ट्रंप सरकार के अंदर एलन मस्क के होने से, अब 'टेक्नो-फासिज्म' यानी टेक्नोलॉजी के नाम पर सत्ता के केंद्रीकरण की भी चर्चा हो रही है. यानी हर चीज सरकार और समाज में टेक्नोलॉजी के जरिए नियंत्रित होगी.  

Advertisement

सबसे अच्छा यही होगा कि इसे सही तरीके से रेगुलेट किया जाए, लेकिन इसके फायदों को भी बनाए रखा जाए. आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंसानी बुद्धि से भी आगे निकल जाने की बात कही जा रही है. इसे 'सिंगुलैरिटी' कहा जा रहा है. आप इसे रोमांच के साथ भी देख सकते हैं या फिर चिंता के साथ भी.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल – अगर मशीनें सबकुछ करेंगी, तो इंसान क्या करेंगे?  नौकरियां कहां से आएंगी? लोगों की आमदनी का जरिया क्या होगा? क्योंकि अगर लोग कमाएंगे नहीं, तो खरीदेंगे क्या? और बिना खरीदारी के, अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी?  

वैसे, हेयर ड्रेसर शायद सबसे आखिरी में अपनी नौकरी खोएंगे! कम से कम मैं तो कभी AI से बाल नहीं कटवाऊंगा!  

भारत के पास AI में आगे बढ़ने का सुनहरा मौका है. प्रधानमंत्री मोदी इसे लेकर सचेत हैं और ₹10,300 करोड़ का 'इंडिया AI मिशन' लॉन्च कर चुके हैं. AI के पायनियर सैम ऑल्टमैन भी कह चुके हैं कि भारत को AI क्रांति का लीडर बनना चाहिए.  

वैसे, मेरे पीछे जो तस्वीरें दिख रही हैं, वे AI ने बनाई हैं. हमारे आर्ट डायरेक्टर निलांजन दास ने इसे तैयार किया है. पर हां, मेरी यह स्पीच मैंने खुद लिखी है, बिना किसी AI की मदद के!

Advertisement

ग्लोबलाइज़ेशन रुकेगा नहीं! चाहे ट्रंप चाहें या न चाहें, ग्लोबलाइजेशन चलता रहेगा. हम सप्लाई चेन, टेलीकम्युनिकेशन और माइग्रेशन से गहराई से जुड़े हुए हैं. ग्लोबलाइजेशन हमेशा फायदेमंद रहा है और आगे भी रहेगा. माना जाता है कि 1960 से अब तक 1 अरब से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. अमेरिका के मौजूदा रुख से इसमें थोड़ी रुकावट आ सकती है, लेकिन इसका आगे बढ़ना तय है. बस अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियम थोड़े बदल जाएंगे.  

दुनिया को बदलने वाली और बदल रही दूसरी टेक्नोलॉजीज़ में सिंथेटिक बायोलॉजी शामिल है, जिसमें जीन को स्प्लिट किया जाता है, और क्रिप्टोकरेंसी, जो ब्लॉकचेन पर आधारित है. एक से हेल्थकेयर में बड़ा बदलाव आएगा, और दूसरी से अर्थव्यवस्थाएं चलाने का तरीका बदल जाएगा.

दोनों टेक्नोलॉजीज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तरक्की की वजह से ही मुमकिन हुई हैं. जहां तक भू-राजनीति (Geopolitics) की बात है, तो बड़े बदलाव हमारे सामने हैं. अमेरिका अब अकेला सुपरपावर नहीं होगा, क्योंकि चीन एक बड़े चैलेंजर के रूप में उभर रहा है.

आज अमेरिका एक 'Diet Dictatorship' है, यानी 'हल्का-फुल्का तानाशाह'. चीन पूरी तरह से तानाशाह है. ट्रंप और चीन के रिश्ते भी अजीब हैं. वे दुश्मन भी हैं और एक-दूसरे पर निर्भर भी हैं. अगर ट्रंप ने यूक्रेन का हिस्सा रूस को दे दिया, तो चीन भी ताइवान पर हमला करने की हिम्मत कर सकता है. ट्रंप ने ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन को कमज़ोर कर दिया है, लेकिन इस प्रक्रिया में यूरोप को एकजुट कर दिया है. लेकिन पुतिन के साथ उनके मधुर संबंधों से उन्हें चिंता होनी चाहिए.

Advertisement

भारत के लिए यह सुनहरा मौका हो सकता है. अमेरिका और चीन, दोनों भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं. पीएम मोदी ने ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को बहुत अच्छे से संभाला है. अमेरिका यात्रा से पहले मोदी ने उन चीजों पर टैक्स कम कर दिए, जो ट्रंप के दिल के करीब थीं – जैसे हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल और बॉर्बन व्हिस्की.  वह 24 साल से बड़े पदों पर रहे हैं, दुनिया उन्हें गंभीरता से लेती है. न कि किसी पूर्व कॉमेडियन या रियलिटी टीवी स्टार की तरह!  

ट्रंप की नीतियों का एक अनचाहा लेकिन जरूरी असर ये होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए और ज्यादा खोला जाएगा और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियम आसान किए जाएंगे. हमें हमेशा किसी संकट के समय ही बेहतर कदम उठाने की आदत होती है. और हमारे पास संकटों की कोई कमी नहीं है.  

सबसे बड़ा संकट क्लाइमेट चेंज है, जो तेजी से बढ़ रहा है और हर चीज और हर इंसान को प्रभावित कर रहा है. और यहां हमारे सामने एक ऐसा राष्ट्रपति है, जिसका देश इतिहास में सबसे बड़ा प्रदूषक रहा है, लेकिन वह इस सच्चाई को मानने से ही इनकार कर रहे हैं. अगर दुनिया ने मिलकर कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक भयानक विरासत छोड़ने जैसा होगा.  

Advertisement

इस कॉन्क्लेव में हम महाकुंभ की ऐतिहासिक सफलता का जिक्र किए बिना नहीं रह सकते, जहां 45 दिनों में 66 करोड़ लोगों ने शिरकत की. यह दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा था. इस ऐतिहासिक आयोजन के सूत्रधार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जो कल शाम हमारे गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे.

देवियो और सज्जनो, लोकतंत्र तभी बचा रहता है जब सत्ता में बैठे लोग सच में लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं. संस्थानों की जांच-पड़ताल और संतुलन तब तक काम करते हैं, जब तक सत्ता में बैठे लोग इन मूल्यों का सम्मान करते हैं. 

देखिए, डोनाल्ड ट्रंप इतने मजबूत संस्थानों वाले देश में क्या कर रहे हैं. वह जांच एजेंसियों का इस्तेमाल अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने ऐसे लोगों को सत्ता में बिठा दिया है जो सिर्फ उनकी मर्जी से काम करते हैं. इस बार उनके पास कोई रोक-टोक नहीं है, कोई सुरक्षा कवच नहीं है. 

इसके अलावा, लोकतंत्र तभी जिंदा रहता है जब सच्ची और निष्पक्ष जानकारी की स्वतंत्र रूप से आवाजाही हो. ये लोकतंत्र के लिए ऑक्सीजन हैं. लोकतंत्र सत्ता और जनता के बीच एक संवाद है. और, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव पिछले 22 सालों से इस संवाद का एक बेहतरीन मंच बना हुआ है.  तो, देवियो और सज्जनो, इन चर्चाओं का आनंद लीजिए. और, अपनी सीट बेल्ट बांध लीजिए, क्योंकि हम The Age of Acceleration में हैं.

धन्यवाद!

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement