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'मोहन भागवत पक्ष लेने में बहुत सतर्क रहते हैं', RSS पर बोले अमेरिकी लेखक

India Today Conclave 2025: अमेरिकी विद्वान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर किताब लिख चुके वॉल्टर के एंडरसन ने संघ प्रमुख मोहन भागवत की तारीफ की है. साथ ही उन्होंने कहा कि संघ के अंदर मतभेद होते हैं और जब मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर टिप्पणी की थी, तब भी मतभेद हुए थे.

वॉल्टर के एंडरसन वॉल्टर के एंडरसन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

India Today Conclave 2025: अमेरिकी विद्वान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर किताब लिख चुके वॉल्टर के एंडरसन ने संघ प्रमुख मोहन भागवत की तारीफ की है और कहा है कि वो सभी लोगों को साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में समूह के मैनेजिंग एडिटर गौरव सावंत से बात करते हुए एंडरसन ने कहा कि संघ के अंदर मतभेद होते हैं और जब मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर टिप्पणी की थी, तब भी मतभेद हुए थे.

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दरअसल, एंडरसन से सवाल किया गया कि जब मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं है तब शाखा के अंदर इस बात को लेकर सभी लोग सहमत थे या फिर कुछ लोग ऐसे भी थे जो कह रहे थे कि ये हमारा सांस्कृतिक न्याय है जो हम चाहते हैं?

जवाब में एंडरसन ने कहा, 'इस मुद्दे पर संघ के लोगों में विभाजन देखने को मिला है. इस पर बहस भी हुई है. लेकिन ये सहसंचालक (मोहन भागवत) पक्ष लेने को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं और इन्होंने शाखा के अंदर सहमति बनाने की कोशिश की है. आरएसएस साथ रहने में कामयाब भी हुआ है और यह किसी भी संस्था के लिए अविश्वसनीय बात है. संस्था में सभी मुद्दों पर जीवंत बहस होती है लेकिन अगर एक बार कोई फैसला हो जाए तो सभी लोग नेतृत्व के फैसले का सम्मान करते हैं.'

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महाकुंभ पर क्या बोले एंडरसन?

पिछले 60 सालों से आरएसएस पर करीबी नजर रखने वाले एंडरसन से आगे सवाल किया गया, 'आरएसएस को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह ब्राह्मण मानसिकता वाली संस्था है लेकिन फिर एक सफल महाकुंभ का आयोजन होता है जहां उत्तर प्रदेश की सरकार गर्व से कहती है कि संगम में 67 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई और वहां कोई जातिवाद नहीं था. आप इसे कैसे देखते हैं? 

जवाब में एंडरसन ने कहा, 'आरएसएस ने हमेशा कुंभ मेल का समर्थन किया है. इस मेले का भी समर्थन किया है. इस मेले को सभी समूहों को साथ में लाने के रूप में देखा जाता है. कुंभ मेले में कुछ मुसलमानों ने भी संगम में डुबकी लगाई.'

'क्या आरएसएस मुस्लिम विरोधी है?'

एंडरसन से पूछा गया कि आरएसएस को एंटी मुस्लिम माना जाता है. आप इस पर क्या सोचते हैं? जवाब में उन्होंने कहा, 'आरएसएस एक धार्मिक संगठन नहीं है. सावरकर नास्तिक थे. संस्था में बहुत से लोग अति धार्मिक नहीं है और वो हिंदू संस्कृति के गौरव की बात करते हैं. भारत के मुसलमान देश के प्रति वफादार हैं और हमने ऐसा कुछ नहीं देखा कि मुसलमानों ने देश के खिलाफ कुछ किया हो.'

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