
India Today Conclave Mumbai: देश की न्यायपालिका और उसकी ताकत पर हर किसी को पूरा भरोसा है. लेकिन समय के साथ जरूरी बदलाव हों, ये भी उतना ही जरूरी होता है. इसी मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव पर विस्तार से बात की है. उन्होंने एक तरफ अपने सुझाव दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी तरफ से कुछ सवाल भी उठाए गए हैं.
कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं रिजिजू
केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के शुरुआत में ही ये साफ कर दिया कि वे किसी भी सूरत में न्यायपालिका के खिलाफ नहीं खड़े हैं. उन्हें कॉलेजियम सिस्टम से कुछ दिक्कतें जरूर हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वे इसके खिलाफ हैं. रिजिजू ने कहा कि मैं सिर्फ ये चाहता हूं कि जो पद के लिए बिल्कुल उपयुक्त हों, वहीं जज बनें. उनके मुताबिक भारत में ही ऐसा होता है कि एक जज दूसरे जज को भी नियुक्त करता है. लेकिन मैं इस रिकमनडेशन प्रक्रिया में ज्यादा विश्वास नहीं रखता हूं. होता ये है कि जज जिन्हें पहले से जानते हैं, उनका ही वे जज के लिए नाम आगे कर देते हैं. लेकिन मैं समझता हूं कि अगर कोई ज्यादा क्वालीफाई हो, तो उन्हें भी जज बनने का मौका मिलना चाहिए.
रिजिजू ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में जज सबसे ज्यादा काम करते हैं. वे रोज के 50 से 60 मामले देखते हैं. उनके पास जितना काम होता है, उतना शायद ही दुनिया के किसी भी जज के पास होगा. केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि हमारे जजों को छुट्टी की बहुत जरूरत है. लोग सवाल जरूर उठाते हैं कि उन्हें साल में तीन बार छुट्टी क्यों मिलती है. लेकिन जितना काम वो करते हैं, उन्हें उस छुट्ठी की जरूरत है. अगर वो ब्रेक उन्हें नहीं मिलेगा तो जजों के स्वास्थ्य पर इसका खराब असर पड़ेगा.
कैसे कम होंगे कोर्ट में पेंडिंग मामले?
इस समय न्यायपालिका के सामने पेंडिंग केस का भी बड़ा मुद्दा है. जज कम हैं, लेकिन मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस बारे में किरेन रिजिजू बताते हैं कि आधे से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में आना ही नहीं चाहिए. फिर चाहे वो जमानत याचिका वाले केस हों या फिर कुछ ऐसी याचिकाएं जो निजी इंट्रेस्ट से प्रेरित होती हैं.
रिजिजू ये भी मानते हैं कि कई ऐसे भी मामले होते हैं जो मध्यस्थता के जरिए भी सुलझाए जा सकते हैं. इसी को लेकर एक बिल भी लाया गया है. सरकार इस समय युवा वकीलों को ढूंढ रही है जिन्हें मध्यस्थ बनाया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत में जज चुनाव का सामना नहीं करते हैं, लेकिन जनता उन्हें भी देखती है, उन पर पैनी नजर रखती है. राजनीति में तो फंडा सिंपल है, हर पांच साल में चुनाव होता है, जनता ने चुना तो सरकार में बैठेंगे, नहीं चुना तो विपक्ष में. लेकिन न्यायपालिका कोई चुनाव फेस नहीं करती है. लेकिन जनता उन पर नजर रखती है.
राज द्रोह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं- रिजिजू
राज-द्रोह कानून को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो फैसला दिया गया था, केंद्रीय मंत्री उससे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं. उनका मानना है कि सरकार ने पहले ही कहा था कि वे इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं, प्रावधान बदले जाएंगे, लेकिन इंतजार नहीं किया गया. इसी वजह से मैंने लक्ष्मण रेखा वाली बात कही थी. सभी की अपनी एक सीमा होती है. इस सब के अलावा किरेन रिजिजू ने जम्मू-कश्मीर पर भी विस्तार से बात की. उन्होंने एक बार फिर कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कुछ बड़े ब्लंडर हुए थे. इसके दस्तावेज मौजूद हैं, उन्हें नहीं ठुकराया जा सकता.
'370 एक बड़ा ब्लंडर, हमने ठीक किया'
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 370 हटने के बाद एक बड़े ब्लंडर को ठीक किया गया है. जम्मू-कश्मीर में स्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में अलग है. ऐसे में वहां पर चुनौतियां भी रहती हैं. लेकिन शांति स्थापित करने के लिए काम किया जा रहा है. सरकार जो भी अच्छा कदम उस दिशा में उठाती है, वो जनता के सामने उसका जिक्र जरूर करेगी. चुनाव का सामना सभी को करना होता है, ऐसे में अपने फैसलों की जानकारी देना जरूरी है.