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India Today Conclave Mumbai 2023: 10 साल बाद भी क्यों ब्रांड बने हुए हैं मोदी? एक्सपर्ट्स ने बताया इस वजह से पहुंच सकता है नुकसान

केंद्र में मोदी सरकार के लगभग दस साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी भी बनी हुई है. लेकिन ब्रांड मोदी की यूएसपी क्या है? क्यों 2014 के बाद से अभी भी मोदी लोगों से सीधे कनेक्ट कर पा रहे हैं? इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई के दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन इसी पर चर्चा हुई.

संतोष देसाई संतोष देसाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 11:54 AM IST

India Today Conclave Mumbai 2023: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2023 में ब्रांड मोदी और उसके महत्व पर चर्चा की गई. बीते लगभग 10 सालों से पीएम मोदी के सत्ता में बने रहने और उनकी ब्रांडिंग के मूल कारणों पर एक्सपर्ट्स ने कहा कि हर किसी का अपना एक समय होता है. महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी का भी समय था. इसी तरह यह समय मोदी का है.

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लेखक और कॉलमनिस्ट संतोष देसाई ने कहा कि इस समय पीएम मोदी की लोकप्रियता चरम पर है. देश का एक बड़ा वर्ग उनसे कनेक्ट फील करता है. वह लगातार लोगों से जुड़े हुए हैं. इस वजह से ब्रांड मोदी लगातार मजबूत हो रहा है. उनकी अगुवाई में जी20 जैसे सफल कार्यक्रम हुए हैं, जिनसे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में एक सशक्त मैसेज गया है. वह हर कार्यक्रम को मेगा इवेंट के तौर पर पेश करते हैं. उनकी इसी खूबी की वजह से ब्रांड मोदी मजबूत हुआ है.

परफेक्ट रिलेशंस के फाउंडर दिलीप चेरियन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी स्वीकार नहीं किया कि कुछ गलत हुआ है. उन्होंने कोक का उदाहरण देते हुए कहा कि कंपनी ने कभी नहीं किया कि उनकी कोका कोला में शुगर है. इसके बावजूद उन्होंने अपना ब्रांड स्थापित किया.

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दिलीप ने कहा कि मोदी की लोकप्रियता की वजह धर्म की राजनीति नहीं है. वह हिंदू और मुस्लिम की राजनीति की वजह से हर चुनाव जीत रहे हैं. यह कहना गलत होगा. अगर ऐसा होता कांग्रेस 60 सालों तक सत्ता में नहीं होती.

क्या है ब्रांड मोदी?

एक्सिस माइइंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गुप्ता ने कहा कि आपको समझना होगा कि मोदी, मोदी क्यों है? मोदी चुनाव के बाद चुनाव जीतने का नाम है. वह अपनी टारगेट ऑडियंस को समझते हैं. आपको समझ पड़ेगा कि चुनाव क्या है? चुनाव जीतना लोगों के दिल जीतने जैसा है. हमें समझना होगा कि पीएम मोदी 70 फीसदी ग्रामीण और 30 फीसदी शहरी भारत को समझ गए हैं. 10 साल पहले तक घर में खाना कोयले और लकड़ी पर बनता था. दो किलोमीटर चलकर महिलाएं पानी लाती थीं. खुले में शौच होता था. महिलाओं के बुरे हाल थे. लेकिन फिर मोदी आए, जिनके पास इन सारी समस्याओं का जवाब था. 

उन्होंने कहा कि मोदी वन प्वॉइन्ट एजेंडा है, जो है देश और देश के लोगों का विकास. लोग कहते हैं कि उनके पास परिवार है. उनके पास है इसलिए वह हर साल सरहदों पर जाकर देश के जवानों के साथ दिवाली मनाते हैं. वह जब-जब विदेश जाते हैं, वहां प्रवासी समुदाय से कनेक्ट करते हैं. वह अपने हर भाषण में 'आप मेरी एक बात सुनोगे' और 'क्या आप मेरी मदद करोगे'. इस तरह के वाक्यों का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह वह लोगों से सीधे कनेक्ट कर रहे हैं. 

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यह देश ब्रांड ही समझता है

क्रिएटिवलैंड एशिया ग्रुप के क्रिएटिव चेयरमैन और फाउंडर साजन राज कुरुप कहते हैं कि ब्रांड दरअसल फॉरेन कॉन्सेप्ट है. भारत एक ऐसा देश है, जहां हम दो तरीके से प्रोडक्ट को खरीदते हैं. पहला फैमिलियरिटी और दूसरा कल्चरल जुड़ाव से. भारत में ठंडा मतलब कोका कोला, नमक मतलब टाटा और ठीक इसी तरह मोदी मतलब सरकार. इस देश में जेनेरिक हमेशा काम करता है. यह देश ब्रांड का देश है और पीएम मोदी इसे शुरुआत में ही अच्छे से समझ गए थे. 

पीएम मोदी अब पॉप कल्चर का बड़ा हिस्सा बन गए है. उनकी वजह से चंद्रयान-3 और जी20 समिट जैसे इवेंट घर-घर तक पहुंच गए हैं. लेकिन पहले लोगों की इनमें कोई खास रूचि नहीं थी. 

मोदी ब्रांड की कमजोरी क्या है?

प्रदीप गुप्ता ने मोदी ब्रांड की कमजोरी के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कई जरूरी मुद्दों पर चुप रहे हैं जिनमें पहलवानों का प्रदर्शन और मणिपुर हिंसा शामिल है. इससे जरूर ब्रांड मोदी को नुकसान पहुंचा है. 

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