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India Today Conclave Mumbai 2023: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2023 में युवा भारत और चुनावों के दौरान युवाओं की भूमिका पर चर्चा हुई. इस दौरान एक्सपर्ट्स ने बताया कि आखिर क्यों युवा भारत होने के बावजूद देश का युवा बड़ी संख्या में बाहर निकलकर वोट क्यों नहीं कर रहा है?
'मार्क योर प्रेजेंस' के फाउंडर चैतन्य प्रभु ने बताया कि भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. दुनिया में 25 साल से कम उम्र का हर पांच में से एक शख्स भारत का है. हमारे देश की 40 फीसदी आबादी 25 साल से कम उम्र की है. देश के 90 करोड़ मतदाताओं में 40 करोड़ युवा है लेकिन फिर भी वोटिंग के लिए युवा बाहर नहीं निकलते. इस समस्या की जड़ क्या है, हमें उसे समझना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि हमने डेमोग्राफिक डेविडेंड का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया है. भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है, सिर्फ यही कहना काफी नहीं है. हमें युवा केंद्रित नीतियां बनानी होंगी और युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा करने होंगे. 4500 करोड़ के केंद्रीय बजट में से युवाओं को कितना मिलता है? ग्राउंड लेवल पर युवाओं के लिए कोई काम नहीं हो रहा है.
चैतन्य ने कहा कि देश का युवा राजनीति में आने का इच्छुक है लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें राजनीति में आने देने की कोई पॉलिटिकल विल देखने को नहीं मिलती.
नोटा को और पावर देने की जरूरत
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की प्रोग्राम ऑफिसर नंदिनी राज ने कहा कि युवाओं के ज्यादा वोटिंग नहीं करने के दो प्रमुख मुद्दे हैं. पहला हमारे देश के युवाओं की एक बड़ी आबादी माइग्रेट कर रही है. चुनाव आयोग ने हाल ही में एनआरआई लोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का प्रस्ताव रखा है. लेकिन हम यही प्रस्ताव युवा माइग्रेंट वर्कर्स के लिए क्यों नहीं कर रहे? यह चिंता की बात है. हमें चुनावों में नोटा को और पावर देनी होगी.
युवा के को-फाउंडर निखिल तनेजा ने कहा कि हम युवाओं की समस्या समझ ही नहीं. युवाओं के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. चुनावों में देश का 68 फीसदी युवा नोटा का समर्थन करता है. हम युवाओं की कितनी सुन रहे हैं. युवा देश होने से कुछ नहीं होगा.
राजनीति में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन बहुत है
निखिल तनेजा कहते हैं कि हमारे देश की राजनीति में बड़े पैमाने पर जेंडर डिस्क्रिमिनेशन है. पहले यह अंतर जेंडर के पैमाने पर है. महिलाओं की तुलना में पुरुष नेता अधिक हैं. फिर पुरुषों में भी युवाओं की तुलना में 65 साल से अधिक उम्र के नेताओं की संख्या अधिक है.