
दुनिया के सबसे बड़े मंचों में से एक जी20 समिट में दुनिया की कई महाशक्तियों का मिलन होगा. इस सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है. पीएम मोदी को भी इस सम्मेलन से काफी उम्मीदें हैं. लेकिन सवाल है कि जी20 समिट की अध्यक्षता से भारत को क्या लाभ होगा? ये तो तय है कि जी20 समिट में जब दुनिया के सभी दिग्गज भारत की राजधानी में एक मंच पर होंगे तो वो लम्हा ऐतिहासिक होगा. इस समिट में कई बिंदुओं पर चर्चा होनी है.
पीएम मोदी कह चुके हैं कि दुनिया प्रगति, विकास, आर्थिक समायोजन, आपदा प्रतिरोधी क्षमता, वित्तीय स्थिरता, सीमापार अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और खाद्य, ऊर्जा, सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिये जी-20 की तरफ काफी उम्मीद से देख रही है. आइए सबसे G20 की अहमियत समझ लेते हैं.
G-20 की अहमियत
जो देश जी-20 में शामिल हैं, वो विश्व की आबादी का दो-तिहाई हैं. इन देशों के पास विश्व व्यापार की करीब 75 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं ग्लोबल GDP में भी इन देशों की 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इसीलिए वैश्विक स्तर पर जी20 को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक अहम मंच माना जाता है. ये तय है कि, जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी से दुनिया में भारत की आवाज और बुलंद होगी.
भारत को होगा ये फायदा
भारत जी20 में ग्लोबल साउथ के देशों के मुद्दों को भी उठाकर इस पूरे क्षेत्र का नेतृत्व हासिल करना चाहता है. जी20 के मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी. पीएम मोदी को भरोसा है कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा. साथ ही भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की भी नए भारत में कोई जगह नहीं होगी.
दुनिया को होगा भारत के सामर्थ्य का अहसास
जब भारत जी-20 की मेजबानी कर रहा है. उस समय दुनिया के एक बड़े हिस्से में अफरातफरी का दौर है. दुनिया सदियों में एक बार आने वाली महामारी के साइड इफेक्ट से जूझ रही है और इस समय कई देश आर्थिक संकट से भी गुजर रहे हैं. लेकिन भारत जानता है कि यही वो मौका है जब दुनिया भारत की शक्ति और सामर्थ्य का अहसास करे.
पीएम मोदी ने कही ये बात
जी20 को लेकर पीएम मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें वो कहते हैं भारत की जी-20 अध्यक्षता के कई सकारात्मक परिणाम आए हैं और इनमें से कुछ मेरे दिल के बहुत करीब हैं. भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा. भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की हमारे जीवन में कोई जगह नहीं होगी. जी20 में हमारे शब्दों और नजरिए को दुनिया न केवल विचारों के रूप में बल्कि भविष्य के रोडमैप के रूप में देख रही है. दुनिया का जीडीपी केंद्रित दृष्टिकोण अब मानव केंद्रित में बदल रहा है और भारत इसमें अहम भूमिका निभा रहा है.
बताते चलें कि भारत ने जी20 सम्मेलन की थीम वसुधैव कुटुंबकम रखी है. इस सम्मेलन के जरिए भारत इस विचार को भी बल देना चाहता है कि, वो सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बारे में सोच रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि, भारत जी20 में ग्लोबल साउथ के देशों के मुद्दों को भी उठाना चाहता है और इस पूरे क्षेत्र का नेतृत्व हासिल करना चाहता है. जी20 के मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर ग्लोबल साउथ के देशों के पक्ष पर भी चर्चा होगी.
इन 9 देशों को बुलाने से भारत को एक और लाभ
जी20 सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन समेत दुनिया के कई ताकतवर देश शामिल होने भारत आ रहे हैं. इसके साथ ही G20 में शामिल होने के लिए भारत ने उन 9 देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया है जो अभी तक इस समूह का हिस्सा नहीं हैं. अब भारत के दूरदर्शी नजरिए को समझिए. इन विकासशील और अल्पविकसित देशों के हितों को जी20 के एजेंडे में जगह दिलाकर भारत इन देशों के ग्लोबल लीडर के रूप में जाना जाएगा. इन देशों के भी मुद्दों में कार्बन उत्सर्जन को लेकर गरीब देशों को मिलने वाली आर्थिक मदद, क्लीन एनर्जी को लेकर अल्प विकसित देशों को तकनीकी और आर्थिक मदद, खाद्यान्न सुरक्षा और सप्लाई चेन का मामला काफी अहम माना जा रहा है.