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IC-814 कंधार हाईजैक: कौन था वो आतंकवादी, जिसका शव मांग रहे थे हाईजैकर्स?

1999 में एयर इंडिया की फ्लाइट IC-814 को हाईजैक किए जाने की घटना फिर चर्चा में है. नेटफ्लिक्स पर अनुभव सिन्हा निर्देशित 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' वेबसीरीज आई है. इसमें नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा और पंकज कपूर मुख्य भूमिका में हैं. यह सीरीज कैप्टन देवी शरण की साल 2000 में पब्लिश किताब 'फ्लाइट इनटू फियर' के कंटेंट पर लिखी गई है.

साल 1999 में आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट हाईजैक कर ली थी. (फाइल फोटो) साल 1999 में आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट हाईजैक कर ली थी. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

नेटफ्लिक्स पर आई वेबसीरीज IC-814 चर्चा में है. ये सीरीज कंधार विमान हाईजैक कांड पर आधारित है. पाकिस्तानी आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के इस विमान को 24 दिसंबर 1999 को उस समय हाईजैक कर लिया था, जब ये काठमांडू से दिल्ली आ रहा था. विमान में क्रू मेंबर्स समेत 191 यात्री सवार थे. 7 दिन बाद रिहाई की शर्तों पर सहमति बनी और यात्रियों को 31 दिसंबर 1999 को छोड़ा गया था. आतंकियों ने सरकार के सामने जो मांगें रखी थीं, उनमें एक मांग यह भी थी कि छह महीने पहले दफनाए गए आतंकी सज्जाद अफगानी का शव भी उन्हें सौंपा जाए. हालांकि, सरकार ने यह मांग पूरी करने से साफ इनकार कर दिया था. सज्जाद अफगानी जून 1999 में जम्मू में मारा गया था. बाद में अपहरणकर्ता मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को रिहा करने की शर्त पर मान गए थे. जानिए, कौन था आतंकी सज्जाद अफगानी?

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दरअसल, इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 हाईजैक होने के बाद अफगानिस्तान के कंधार पहुंची थी. वहां यात्रियों को बंधक बनाकर रखा गया. 27 दिसंबर को बातचीत के लिए भारत सरकार का प्रतिनिधिमंडल भी कंधार पहुंचा. बातचीत के दौरान अपहरणकर्ताओं ने भारतीय दूतों के पास अपनी मांगें भेजीं. विमान से फेंके गए कागज के टुकड़े पर लिखा था, हमें सीधे जवाब दें. अपने वाक्य छोटे रखें. आतंकियों का कहना था कि वे यात्रियों को तभी रिहा करेंगे, जब उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी. ये मांगें थीं- 36 आतंकवादियों को रिहा किया जाए, 200 मिलियन डॉलर (860 करोड़ रुपये) दिए जाएं और सज्जाद अफगानी का ताबूत सौंपा जाए.

नेटफ्लिक्स पर अनुभव सिन्हा निर्देशित 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' वेबसीरीज में नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा और पंकज कपूर मुख्य भूमिका में हैं. यह सीरीज कैप्टन देवी शरण की साल 2000 में पब्लिश किताब 'फ्लाइट इनटू फियर' के कंटेंट पर लिखी गई है. अपहरणकर्ताओं ने कंधार स्थित एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) द्वारा उपलब्ध कराए गए वॉकी-टॉकी के जरिए भारत सरकार के प्रतिनिधियों से बात की थी. आतंकियों ने विमान के वीएचएस सेट का इस्तेमाल किया था.

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जब तालिबान ने किया बातचीत में हस्तक्षेप

ताबूत की मांग ने तालिबान के कट्टरपंथियों की शातिराना चाल को सामने ला दिया था. हालांकि भारत सरकार ने अपहरणकर्ताओं पर दबाव डाला कि वे अपनी मांगें वापस ले लें. तालिबान की सुप्रीम काउंसिल शूरा ने इसमें हस्तक्षेप किया और एक बैठक की. अंत में यह निष्कर्ष निकला कि अपहरणकर्ताओं की पैसे की मांग करना गैर-इस्लामिक है और यह मांग नहीं उठानी चाहिए. एक समय ऐसा भी आया कि दोनों पक्षों की बीच सहमति बनते नहीं दिखी. अंत में तालिबान नेताओं ने कहा, अगर सहमति नहीं बनती है तो अपहरणकर्ताओं को कंधार से बाहर जाने के लिए कहा जाएगा.

उसके बाद आतंकियों के तेवर ढीले पड़े और शुरुआती मांगों में अधिकांश को वापस ले लिया और भारत ने अंततः IC-814 के सभी यात्रियों के बदले तीन आतंकवादियों को सौंप दिया. यह सब कंधार एयरपोर्ट पर लंबी बातचीत के बाद संभव हुआ था. साल 1999 में भी अफगानिस्तान पर आज की तरह तालिबान का शासन था.

हाईजैकर्स का मिशन नहीं हो सका पूरा!

अनिल के. जगिया और सौरभ शुक्ला ने अपनी पुस्तक 'IC 814 हाईजैक्ड: द इनसाइड स्टोरी' में बताया है कि तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर ने अपने विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकिल से बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए कहा था. उन्होंने अपहरणकर्ता 'चीफ' से 30 मिनट तक बात की थी. विमान हाईजैकर्स को तीन आतंकवादी तो मिल गए, लेकिन सज्जाद अफगानी के ताबूत को पाने का उनका मिशन पूरा नहीं हो सका.

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वो आतंकवादी कौन था, जिसका ताबूत मांग रहे थे हाईजैकर्स?

बात 1991 की है. सज्जाद अफगानी श्रीनगर में आतंकवादी संगठन हरकत-उल-अंसार का कमांडर-इन-चीफ बना. जून 1994 में भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उसे आतंकवादी संगठन हरकत-उल-अंसार के तत्कालीन महासचिव मसूद अजहर के साथ गिरफ्तार कर लिया. तत्कालीन ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ (बीजीएस) लेफ्टिनेंट जनरल अर्जुन रे ने सज्जाद अफगानी की गिरफ्तारी को सबसे बड़ी उपलब्धि बताया. अफगानी दिखने में कमजोर, लेकिन खतरनाक व्यक्ति था. उसने रूसियों से भी लड़ाई लड़ी थी.

हरकत-उल-मुजाहिदीन ने एक अन्य आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ मिलकर 1993 में हरकत-उल-अंसार (HuA) का गठन किया. यह जम्मू और कश्मीर में और ज्यादा अशांति और खून-खराबा करने की पाकिस्तान की नापाक योजना थी. भारतीय सुरक्षा बलों ने तीन नेताओं को गिरफ्तार करके उस योजना को विफल कर दिया.

सबसे पहले हरकत-उल मुजाहिदीन के पूर्व प्रमुख नसरुल्ला मंसूर लंगरयाल को नवंबर 1993 में गिरफ्तार किया गया था. मार्च 1994 में हरकत-उल-अंसार के मसूद अजहर और जम्मू-कश्मीर यूनिट के प्रमुख सज्जाद अफगानी को श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया था.

कोट भलवाल में बंद था सज्जाद

सज्जाद अफगानी हरकत-उल-अंसार का मुख्य कमांडर था और उसे जम्मू की हाई सिक्योरिटी वाली कोट भलवाल जेल में रखा गया था. 15 जुलाई 1999 को जेल से भागने की कोशिश के दौरान सज्जाद अफगानी मारा गया. उसकी गोली मारकर हत्या की गई थी.

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सज्जाद अफगानी ने जेल की कोठरी में 23 फीट लंबी सुरंग खोदी

सज्जाद अफगानी ने जेल में 23 फीट लंबी सुरंग खोदी थी. अगर वो थोड़ा और खोदता तो शायद वो और दूसरे आतंकवादी भागने में कामयाब हो जाते, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और अफगानी समेत 11 कैदी मारे गए थे. यह जुलाई 1999 की घटना है. पांच महीने बाद दिसंबर 1999 में पांच आतंकवादियों ने IC-814 को हाईजैक कर लिया. इस विमान ने काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी.

हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के हाईजैकर्स ने पायलट से विमान को अफगानिस्तान के कंधार की ओर मोड़ने को कहा. लाहौर में विमान को उतारने की परमीशन नहीं मिली तो इसे जबरन पंजाब के अमृतसर में उतारा गया. अपहरणकर्ताओं ने फिर इसे काबुल में उतारने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि वहां रात में उतरने की सुविधा नहीं थी. उसके बाद IC-814 को दुबई ले जाया गया, जहां उसमें फ्यूल भरा गया. यहां बातचीत के बाद 26 यात्रियों और अपहरणकर्ता द्वारा मारे गए यात्री रूपिन कात्याल के शव को छोड़ा गया. अंत में विमान को अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया, जहां यात्रियों को एक सप्ताह तक बंधक बनाकर रखा गया.

मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया था. इसी संगठन ने साल 2001 में भारतीय संसद पर हमला किया. उसके बाद जैश-ए-मोहम्मद का 2008 में मुंबई हमले और 2019 में पुलवामा हमले के पीछे भी हाथ था. पुलवामा हमले में 40 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. 

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