
भारतीय सेना और मणिपुर पुलिस ने एक संयुक्त अभियान में गुरुवार को कांगपोकपी और इंफाल पूर्वी जिलों के संवेदनशील इलाकों में हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद किया. भारतीय सेना ने एक हैवी कैलिबर लॉन्चर, एक 12-बोर डबल बैरल राइफल, एक.177 राइफल+मैगजीन, दो पिस्तौल, एक पोम्पी गन, पांच ग्रेनेड, गोला-बारूद और अन्य हथियार बरामद किए.
डिफेंस पीआरओने एक बयान में कहा, 'मणिपुर में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास में, भारतीय सेना ने हिंसक गतिविधियों को रोकने और उपद्रवियों का मुकाबला करने के लिए पूरे क्षेत्र में अपना सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है. मणिपुर पुलिस के साथ चलाए गए एक ऐसे ही संयुक्त अभियान में, सेना ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने में सफलता पायी है.'
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सटीक खुफिया इंटेल मिलने के बाद भारतीय सेना और मणिपुर पुलिस ने यह सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया था, जिसके परिणामस्वरूप कांगपोकपी और इंफाल पूर्वी जिलों के संवेदनशील इलाकों में भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा बरामद हुआ, जिससे राज्य में शांति के लिए खतरा पैदा करने वाले शरारती तत्वों को बड़ा झटका लगा है. बड़े पैमाने पर हथियारों की यह बरामदगी कौट्रुक में निहत्थे ग्रामीणों पर हाल ही में हुए हमले के बाद आई है, जहां कुकी आतंकवादियों ने कथित तौर पर ड्रोन से बम गिराए थे और अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था.
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इस हमले के बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद लैशेम्बा सनाजाउबा ने घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया और इसके सदस्यों के साथ बैठकें कीं. मणिपुर पुलिस ने भी कोट्रुक में हमले में ड्रोन के इस्तेमाल की रिपोर्ट की पुष्टि की थी. उसने एक बयान में कहा था, 'पश्चिमी इंफाल के कोट्रुक में कुकी उग्रवादियों ने हाई-टेक ड्रोन का उपयोग करके कई रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड तैनात किए हैं. साथ ही सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बनाकर ड्रोन से बम गिराये गए हैं. इस तरह के हमले किसी बड़ी साजिश के संकेत देते हैं.'
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बता दें कि मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी, जो अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है. इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले कुकी-जो आदिवासी समुदाय के बीच इस जातीय संघर्ष की शुरुआत अदालत के उस आदेश के बाद हुई थी, जिसमें मणिपुर सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी कैटेगरी में शामिल करने की मांग पर विचार करने के लिए कहा गया था. हालांकि, हिंसा शुरू होने के करीब एक साल बाद मणिपुर हाई कोर्ट ने अपना यह आदेश वापस ले लिया था.