
भारत और चीन में एलएसी के मुद्दे पर चल रही बातचीत के बीच भारतीय सेना ऊंचाई पर मार करने की प्रैक्टिस कर रही है. इस दौरान ईस्टर्न कमांड द्वारा एंटी-टैंक्स गाइडेड मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इस मिसाइल का दुश्मनों की टैंक्स को नेस्तनाबूद करने में उपयोग किया जा सकेगा. भारतीय सेना के बख्तरबंद रेजिमेंट और मॅकनाइज्ड इंफैंट्री ने 15,000 फीट की ऊंचाई पर अत्यधिक शक्ति प्रदर्शन कर रही है.
इस अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य अत्यधिक ऊंचाई और प्रतिकूल मौसम में दुश्मनों के खिलाफ फायरपावर को बढ़ाना है. भारतीय सेना ने सिक्किम में चीन के टैंकों का मुकाबला करने के लिए युद्धाभ्यास आयोजित किए हैं. पूर्वी कमांड द्वारा एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) की फील्ड फायरिंग भी की गई.
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टेस्टा फील्ड और फायरिंग रेंज में एक सप्ताह तक चलने वाले इस अभ्यास में, सेना और मॅकनाइज्ड यूनिट्स के साथ तालमेल स्थापित करते हुए युद्ध में उनके प्रदर्शन को मजबूत किया जा रहा है.
नाग ATGM भी जल्द ही शामिल होने की उम्मीद
भारतीय सेना फिलहाल सेकेंड जेनरेशन के फ्रांसीसी ATGM मिलान 2T और रूसी कॉन्कुर्स का इस्तेमाल कर रही है, जिनकी 4 किलोमीटर तक की मारक क्षमता है. इनके साथ स्वदेशी नाग ATGM भी जल्द ही शामिल होने जा रहा है, जो DRDO द्वारा विकसित और भरत डायनमिक्स लिमिटेड द्वारा बनाई जा रही है.
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NAMIKA भी दिखाएगा अपना कमाल
नाग मिसाइल 90 प्रतिशत की सटीकता से टारगेट को भेद सकती है और इसे “NAMIKA” नाग एंटी मिसाइल कैरियर पर लगाया गया है. इनके अलावा, भारतीय सेना अमेरिकी जवेलेट ATGM और "स्ट्राइकर" इन्फैंट्री कॉम्बैट वेहिकल्स की खरीदारी की प्रक्रिया में भी है. जवेलेट, जिनका वजन 22.3 किलोग्राम होता है, इन्फ्रारेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर किसी भी टैंक या बख्तरबंद वाहन को निशाना बना सकते हैं.