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भारतीय सेना के लिए खास है 'स्वार्म ड्रोन', हवाई हमलों में निभाएगा निर्णायक भूमिका

दिल्ली कैंट में आज शुक्रवार को सेना दिवस की परेड के दौरान भारतीय सेना ने 75 स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किए गए स्वार्म ड्रोन का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए यह ड्रोन बिना किसी मानव हस्तक्षेप के दुश्मन के इलाके में जाकर लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम है.

सांकेतिक ग्राफिक्स -तन्मय चक्रवर्ती सांकेतिक ग्राफिक्स -तन्मय चक्रवर्ती
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:50 PM IST
  • भारतीय सेना में आज 75 स्वदेशी ड्रोन हुए शामिल
  • AI से लैस स्वार्म ड्रोन भविष्य के युद्ध के लिए है खास
  • महज 500 मीटर की दूरी से निशाना साधने में सक्षम

भारतीय सेना ने आज शुक्रवार को 75 स्वदेशी मानव रहित वाहनों (UAV) को सेना में शामिल करते हुए अपनी ड्रोन क्षमताओं को और मजबूत किया है, जिसका इस्तेमाल दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए युद्धक अभियानों के दौरान भी किया जा सकेगा.

आज 15 जनवरी को सेना दिवस की परेड में 'स्वार्म टेक्नोलॉजी' प्रदर्शन का हिस्सा रहे लड़ाकू ड्रोनों को पिछले साल अगस्त से कई फेज में शामिल किया गया, जिससे सेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाया जा सके और जमीनी स्तर पर सैनिकों की सहायता के लिए लक्षित हमलों पर निशाना साधा जा सके.

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अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में, इनमें से महज पांच ड्रोन अगस्त 2020 में खरीदे गए थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीन के साथ लद्दाख में बने तनावपूर्ण माहौल तथा लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम के लगातार उल्लंघन को देखते हुए और ड्रोन्स खरीदे गए.

क्या है स्वार्म ड्रोन?

ड्रोन को रणनीति के तहत एक झुंड में फैलाया जाता है, जिसे स्वार्म ड्रोन तकनीक कहते हैं. ये ड्रोन न केवल हल्के वजन वाले और कम लागत वाले हैं बल्कि ये हाई टेक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस  (AI) से भी लैस है जो इन्हें भविष्य के युद्ध के लिए खास बनाती है.

स्वार्म ड्रोन भारी तबाही मचा सकते हैं क्योंकि यह रडार या एयर डिफेंस सिस्टम को धोखा देने में सक्षम है. इस तकनीक का दुनियाभर में उपयोग किया जाता है. 2018 में, रूस में दो रूसी सैन्य ठिकानों पर स्वार्म ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए हमला किया गया था.

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क्या है खास विशेषताएं

स्वचालित स्वार्म ड्रोन 50 किलोमीटर तक उड़ सकता है और महज 500 मीटर की दूरी से दुश्मन के क्षेत्र में निशाना साधने में सक्षम है. यूएवी में एक मदर ड्रोन है जिसमें चाइल्ड ड्रोन लगे होते हैं. मदर ड्रोन से चाइल्ड ड्रोन निकलते हैं और इनके अलग-अलग लक्ष्य होते हैं. यही चाइल्ड ड्रोन अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट करते हैं.

दिल्ली कैंट में आज शुक्रवार सेना दिवस की परेड के दौरान भारतीय सेना ने 75 स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किए गए स्वार्म ड्रोन का सार्वजनिक प्रदर्शन किया. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए यह ड्रोन बिना किसी मानव हस्तक्षेप के दुश्मन के इलाके में जाकर लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम है.

ये ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनबोर्ड अडाप्टिव कंप्यूटरों के उपयोग से लक्षित क्षेत्र में ऑटोमेटेड, रैंडमाइज्ड सोनिक मिशन को अंजाम देते हैं. यह निरंतर सेटेलाइड फीड द्वारा संचालित होते हैं.

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भारतीय सेना की मुहिम

इन ड्रोनों का इस्तेमाल एयर ड्रॉपिंग फूड, दवा, गोला-बारूद या फिर सैनिकों के लिए अन्य आवश्यक चीजों को पहुंचाने को लेकर किया जा सकता है.

भारतीय सेना ने ड्रीमर्स, स्टार्टअप्स, एमएसएमई (MSMEs), प्राइवेट सेक्टर, एकेडेमिया, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (DPSUs) के साथ समन्वय में टेक्नोलॉजी पहल की एक व्यापक सीरीज की शुरुआत की है.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ऑफेंसिव ड्रोन ऑपरेशंस प्रोजेक्ट भी इंडियन स्टार्ट अप का ही हिस्सा है. 

ये महज ड्रोन टेक्नोलॉजी ही नहीं हैं, जिसे भारतीय सेना स्वदेशी रूप से खरीदना चाहती है. हाल ही में सेना ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए करीब 140 करोड़ रुपये की लागत वाले 100 से अधिक ड्रोन का ऑर्डर दिया है. इन ड्रोन्स का मकसद लद्दाख में भारत और चीन में तनातनी के बीच आसपास के क्षेत्रों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है.

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