
बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने CAA और NRC को लेकर विस्तार से जानकारी दी. उस जानकारी के दौरान ही उन्होंने कुछ ऐसे आंकड़े भी सदन में रखे जिन्हें जान सभी हैरान रह गए. नित्यनंद राय ने बताया कि पिछले पांच सालों में 87 देशों के कुल 10,646 लोगों ने भारत की नागरिकता मांगी है.
सबसे ज्यादा पाकिस्तानियों ने मांगी भारत की नागरिकता
आंकड़ों के मुताबिक, भारत की नागरिकता की सबसे ज्यादा मांग पाकिस्तानियों द्वारा की गई है. बताया गया कि है कि पिछले पांच सालों में पाकिस्तान में बैठे अल्पसंख्यक लोगों ने भारत की शरण में आना शुरू कर दिया है. कुल 7782 पाकिस्तानियों ने भारत की नागरिकता के लिए अपील की है.
इसके अलवा इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर भारत का पड़ोसी बांग्लादेश है जहां के 184 लोगों ने हिंदुस्तान की नागरिकता के लिए अप्लाई किया है. तीसरे नंबर पर संकट में घिरा अफगानिस्तान है जहां के 795 लोग भारत के नागरिक बनने को तैयार दिख रहे हैं.
वहीं बात जब पिछले 10 सालों की होती है तो इस लिस्ट में बांग्लादेश, पाकिस्तान को पछाड़ नंबर वन बन जाता है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में 15,176 बांग्लादेशियों ने भारत की नागरिकता मांगी है वहीं, 4,085 पाकिस्तानी भी ऐसे रहे जिन्होंने भारत की शरण में आना ठीक समझा.
लाखों लोगों ने छोड़ी भी भारत की नागरिकता
वैसे एक तरफ अगर कई लोगों ने भारत की नागरिकता मांगी है तो एक वर्ग ऐसा भी है जिसने अपनी भारतीय नागरिकता को त्याग दूसरे देशों की नागरिकता को अपनाया है. पिछले पांच सालों में 6 लाख से ज़्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा को जानकारी देते हुए कहा कि पिछले सालों में, 6 लाख से ज़्यादा लोग भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं.
एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि 2017 में 1,33,049 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी थी, वहीं 2018 में 1,34,561 लोगों ने भारतीय सदस्यता छोड़ी. 2019 में 1,44,017 भारतीयों ने अपनी सदस्यता छोड़ी, 2020 में 85,248 लोगों ने और इस साल 30 सितंबर, 2021 तक 1,11,287 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं.