
झारखंड सरकार ने सूबे में गुटखा और पान मसाले की बिक्री, भंडारण और सेवन पर पूरी तरह से बैन लगाने का ऐलान किया है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस बड़े फैसले का ऐलान करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्वस्थ झारखंड के सपने को साकार करने के लिए यह कठोर कदम उठाया गया है. यह बैन केवल एक नियम नहीं, बल्कि झारखंड के युवाओं को नशे की जकड़ से बचाने की क्रांतिकारी पहल है."
झारखंड सरकार का यह फैसला कितना क्रांतिकारी है और जमीन पर कितना कारगर साबित होगा, यह तो आगे देखने वाली बात होगी लेकिन इस फैसले के बाद हर तरफ गुटखे की चर्चा शुरू हो गई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे भारत के दो गुटखा व्यापारियों ने कैसे पान खाने वाले पाकिस्तानियों को गुटखा परोस दिया था.
ये क़िस्से दाऊद इब्राहीम से जुड़े हैं. भारत के दो गुटखा किंग डर के मारे दाऊद के पास पहुंचे थे लेकिन दाऊद ने उनकी मदद से पाकिस्तान में फायर ब्रान्ड गुटखे का 'राज' फैला दिया.
गुटखा किंग की कहानी…
दरअसल, पाकिस्तानी अवाम को गुटखे की लत का आदी बनाने में भगोड़े दाऊद, उसके भाई अनीस और भारत के दो गुटखा किंग की आपसी दुश्मनी का बड़ा रोल है. ये कहानी बंबई से शुरू होकर दुबई पहुंचती है और फिर कराची जाकर पूरी होती है. इस कॉरपोरेट जंग में फिर जो 'इंसाफ' हुआ उसके बाद कराची में एक मॉडर्न गुटखा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की नींव पड़ी.
ये वाकया 24-26 साल पहले का है. भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध कुछ खास नहीं थे. बावजूद इसके गुटखे की इस फैक्ट्री के लिए सारी तकनीक और मशीनरी मुंबई से कराची वाया दुबई पहुंची थी.
1971 तक पान चबाते थे पाकिस्तानी
पाकिस्तान में गुटखे की कहानी देखें तो नजरें सिंध और ब्लूचिस्तान की समुद्री तटों तक जाती हैं. इसी सिंध प्रांत में कराची है, जो पाकिस्तान का बिजनेस के साथ-साथ गुटखा हब भी है. पाकिस्तान के अखबार The Tribune में छपी एक रिपोर्ट में सिंध यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ फतेह मोहम्मद बरफत कहते हैं, 'पान की तरह गुटखा चबाना बंटवारे से पहले सिंध के रिवाज में शामिल नहीं था. धीरे धीरे लोगों को पान की लत लगी.'
एक बार फिर आते हैं गुटखे के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की ओर. कैसे दाऊद के भाई अनीस ने इस धंधे में छुपी संभावनाओं को पहचान लिया और फिर पाकिस्तान में इसकी पूरी इंडस्ट्री खड़ा करने के लिए कुलबुलाने लगा. CBI ने 2016 में मकोका की अदालत में दायर चार्जशीट में इस कहानी को विस्तार से समझाया है. पत्रकार एम हुसैन जैदी ने भी अपनी किताब 'डोंगरी से दुबई तक' में पाकिस्तान में गुटखा इंडस्ट्री के पनपने की दिलचस्प कहानी बताई है.
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90 के दशक में और 2000 के शुरुआती सालों में पाकिस्तानी तस्करी कर बंबई के पॉपुलर ब्रांड के गुटखे पाकिस्तान ले जाते थे. इसके लिए वहीं दुबई वाला रूट इस्तेमाल होता था. पाकिस्तान में गोवा, वन थाउजैंड, RMD जैसे इंडियन ब्रांड की बड़ी मांग थी. लेकिन तस्करी की वजह से पाकिस्तान के गरीबों के लिए ये गुटखा काफी महंगा पड़ रहा था. जबकि इसका सबसे बड़ा ग्राहक यही निचला तबका था.
90 के दशक में पाकिस्तान में रोकड़े कमाने का ये आसान सा धंधा दाऊद ब्रदर की नजरों से ओझल नहीं हो सका. दाऊद और अनीस ने समझ लिया कि मामूली मेहनत करके मोटी रकम इस धंधे से बनाई जा सकती है. दाऊद इस वक्त तक कराची में ISI की सरपरस्ती में सेटल हो चुका था. डी कंपनी दुबई और कराची से ऑपरेट कर रही थी.
अनीस इब्राहिम के मन में उम्मीदें जोर मारने लगी थीं. वह इंडियन ब्रांड पर ताक-झांक कर रहा था. पैसा तो उसके पास था हीं, उसे तकनीक चाहिए थी. उसे मशीनें चाहिए थीं. उसे एक ऐसा आदमी चाहिए था जो ये बताए कि एक ऐसा गुटखा कैसे बनाया जाए जो पाकिस्तानियों की जुबां पर चढ़ जाए. डी कंपनी एक अदद मौके की तलाश में था ही कि इसी समय भारत के दो गुटखा दिग्गजों के बीच तीखी कॉरपोरेट जंग छिड़ी हुई थी.
जोशी वर्सेज धारीवाल यानी गोवा वर्सेज RMD
दो गुटखा किंग की ये अदावत बॉस और उसके मातहत मैनेजर के बीच टकराव की कहानी है. इसमें बॉस था धारीवाल और मैनेजर था जगदीश जोशी. धारीवाल जो गुटखा बनाता था उसका नाम था RMD और जोशी की कंपनी जिस गुटखे को बनाती थी उसका नाम था गोवा.
रसिकलाल माणिकचंद धारीवाल यानी कि RMD, गुटखा इंडस्ट्री का ये वो नाम है जिसे कभी इसे धंधे का किंग माना जाता था. ये ब्रान्ड कितना लोकप्रिय है ये किसी मुंबईया लड़के से भी पूछिए तो वह इसकी कहानियां बताएगा.
पुणे के शिरूर में जन्मे धारीवाल को अपने पिता से 20 मजदूरों के साथ एक बीड़ी फैक्ट्री विरासत में मिली था. इसी के दम पर वह गुटखा किंग बन गए, जिसका मार्केट वैल्युएशन 8000 करोड़ तक था. इसी कंपनी में कभी मैनेजर हुआ करता था जगदीश जोशी. अपने ही मालिक से भिड़ने के बाद जगदीश जोशी ने खुद का गुटखा ब्रॉन्ड मार्केट में लॉन्च किया, नाम था गोवा. अब गोवा RMD को टक्कर दे रहा था. कुछ ही सालों में दोनों ब्रांडों के बीच बात बराबरी की हो गई थी.
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दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम
दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम चाहता था कि उसे गुटखा बनाने की तकनीक और जानकारी मुहैया कराए. अनीस इब्राहिम ने भले ही ये बात अपील के तौर पर कही थी लेकिन दाऊद की छत्रछाया में कही गई ये बात भारतीय बिजनेसमैन के लिए एक ऑर्डर जैसी ही थी.
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, ये डील सितंबर 1999 में हुई थी. सीबीआई का यह भी दावा है कि धारीवाल 1996 से ही दाऊद से सौदा कर रहा था. सीबीआई के मुताबिक, अगस्त 1999 में दाऊद के गुर्गे अंतुले और सलीम शेख ने जगदीश जोशी को पीटा भी था. क्योंकि जोशी धारीवाल से डील को निपटाने में राजी नहीं दिख रहा था. जोशी के लिए दाऊद से टकराना आसान नहीं था. उसे धंधा भी करना था, मुंबई में भी रहना था. इसलिए वो डील पर तैयार हो गया.
अली असगर कंपनी ने मुंबई से दुबई फिर कराची भेजी मशीनें
आखिरकार, 7 करोड़ पाकर जोशी अपना ट्रेड सीक्रेट दाऊद फैमिली को देने के लिए तैयार था. डोंगरी टू दुबई में लिखी कहानी के मुताबिक, जल्द ही 15 गुटखा मैन्युफैक्चरिंग मशीनें और पाउच बनाने की चार मशीनें पहले दुबई भेजी गई और फिर यहां से 2001-02 में कराची भेजी गई. जैदी के मुताबिक, ये मशीनरी अली असगर कंपनी के नाम पर न्हावा शेवा से दुबई के लिए एक्सपोर्ट की गई थी. इस सौदे पर नजर रखने के लिए जोशी राजू पचारिया को लगाया था. बाद में उसने बीजू जॉर्ज नाम के एक शख्स को कराची भेजा. बीजू अनीस की फैक्ट्री में गुटखा बनाने के लिए कामगारों को ट्रेनिंग दे रहा था.
आखिरकार कुछ ही महीनों में इंडियन तकनीक, अंडरवर्ल्ड की पूंजी और दाऊद की निगरानी में पाकिस्तानियों के लिए एक तेज और भभकेदार गुटखा कराची की मार्केट में लॉन्च हो गया. ये ब्रॉन्ड बहुत पॉपुलर हुआ और उम्मीद के मुताबिक दाऊद अनीस ने खूब पैसा बनाया. पूरे बिजनेस ऑपरेशन के दौरान इब्राहिम ब्रदर पर्दे के पीछे बनी रही.
दाऊद को गुटखा बिजनेस के इस राज को सौंपने की जानकारी मुंबई पुलिस को 2004 में मिली. मुंबई पुलिस दाऊद और उसके सहयोगी सलीम चिपलन और अनीस के बीच फोन पर बातचीत पर नजर रखे हुई थी. इस दौरान इन लोगों ने गुटखा बनाने वाली मशीनों के स्पेयर पार्ट का जिक्र किया. फैसला किया गया कि ये पार्ट चोर बाजार में खरीदे जाएं फिर यहां से दुबई भेजे जाएंगे और फिर वहां से कराची.
मुंबई पुलिस के कान खड़े हो गए. मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए दाऊद के ससुर सलीम इब्राहिम कश्मीरी को दबोच लिया. इसी शख्स ने इस पूरे सेटअप की कहानी बताई और अपने दामाद के कुकर्मों का सारा रहस्य पुलिस के सामने उगल दिया.