
कृषि कानून 2020 के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ब्रिटेन में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन को लेकर ब्रिटेन के लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने जवाब दिया है.
उच्चायोग ने कहा कि यह काफी गंभीर मसला है कि महामारी के दौर में भारतीय उच्चायोग के सामने 3500-4000 लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करते हुए एकत्रित कैसे हुए. तकरीबन 700 वाहन इस रैली में शामिल थे. उच्चायोग को इस बात की जानकारी थी कि लंदन पुलिस ने 30 से अधिक लोगों को एकत्रित होने की इजाजत नहीं दी थी. लंदन पुलिस से पासओवर प्रोटेस्ट के लिए 40 वाहनों की इजाजत ली गई थी.
भारी प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन के विदेश कार्यालय और गृह कार्यालय ने संज्ञान लिया और भीड़ पर काबूू पाया. कुछ उपद्रवियों को गिरफ्तार भी किया गया है. उच्चायोग इस मामले पर कड़ी नजर बनाए हुए है. बिना अनुमति के इतनी ज्यादा संख्या में लोग कैसे एकत्रित हुए, इसके समेत अन्य पहलुओं की जांच की जा रही है.
प्रदर्शनकारी कौन थे और उनकी मांग क्या थी के सवाल पर उच्चायोग ने जवाब दिया कि यह बात तो साफ है कि ये अलगाववादी और भारत विरोधी लोग थे जो किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अपना भारत विरोधी एजेंडा साध रहे थे. भारत में कृषि कानून को लेकर हो रहा प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है. भारत सरकार किसानों से बातचीत में लगी हुई है. यह कहने की जरूरत नहीं है कि यह भारत का आंतरिक मसला है.
गौरतलब है कि न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस प्रदर्शन के दौरान खालिस्तानी झंडे लहराए गए थे और किसानों के समर्थन के साथ-साथ भारत विरोधी नारे भी लगाए गए थे.