
पिछले दिनों मुंबई-अहमदाबाद के बीच लॉन्च हुई वंदे भारत से मवेशियों के टकराने के मामले सामने आए थे. जिसके बाद विपक्षी दलों ने जमकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. इस बीच रेलवे ट्रैक पर मवेशियों के आने को लेकर आधिकारिक आंकड़ें सामने आए हैं. जिनमें बताया गया है कि अक्टूबर के पहले नौ दिनों में मवेशियों के ट्रैक पर आने से 200 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं. इस साल अब तक 4,000 से अधिक ट्रेनें मवेशियों के चलते प्रभावित हुई हैं. वहीं इस दौरान कई मवेशियों के मौत भी हुई है.
भारतीय रेलवे द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन प्रभावित हुई है, जिसे इसी साल 1 अक्टूबर को लॉन्च किया गया था. अक्टूबर महीने में ही इससे तीन बार मवेशी टकरा गए, जिससे ट्रेन का आगे वाला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया.
कई इलाकों में की गई बैरिकेडिंग
न्यूज एजेंसी के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि जहां इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं, वहां रेलवे ने पटरियों के आसपास के कई इलाकों में बैरिकेडिंग कर दी है. लेकिन ट्रैक के लंबे हिस्सों को कवर करना मुश्किल है, क्योंकि एक तरफ रिहायशी इलाके हैं और दूसरी तरफ खेत हैं. रेलवे ने उन हिस्सों की भी पहचान की है, जहां ऐसे मामले अधिक हुए हैं. उन जगहों पर बाड़ लगाने की प्रक्रिया चल रही है. एक अधिकारी ने बताया कि इनमें से 40 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
ग्रामीणों को बताए जा रहे परिणाम
अधिकारी ने बताया, "रेलवे कैटल रन ओवर (सीआरओ) को कम करने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रहा है. हम उन स्थानों को इंगित कर रहे हैं जहां लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं. हम ऐसी साइटों पर जाते हैं और बार-बार इन घटनाओं के कारणों का पता लगाते हैं. कभी-कभी, ऐसे कारण होते हैं जिनका पता लग जाता है. लेकिन दूसरी बार इनका कोई सीधा कारण नहीं मिलता है. फिर भी, हमारी टीम आस-पास के गांवों का दौरा करती है और सरपंचों से संपर्क करती है. हम ग्रामीणों को ट्रेन के मवेशियों के टकराने के परिणामों के बारे में भी जानकारी देते हैं.
रेलवे के कार्यकारी निदेशक (सूचना और प्रचार) अमिताभ शर्मा ने कहा, "कभी-कभी पटरियों के आसपास अवैध मार्ग पाए जाते हैं. जिन्हें रोकने के लिए बाड़ लगाने की आवश्यकता होती है."
चिन्हित हिस्सों में उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर रेलवे के खंड शामिल हैं. जिनमें झांसी खंड में वीरांगना लक्ष्मीबाई-ग्वालियर खंड के बीच, प्रयागराज मंडल में पंडित दीन दयाल उपाध्याय-प्रयागराज खंड के बीच, मुरादाबाद मंडल में आलम नगर और शाहजहांपुर के बीच और लखनऊ खंड में आलम नगर और लखनऊ के बीच शामिल है.
उत्तर मध्य रेलवे जोन में 6500 से अधिक मामले
उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन सबसे अधिक प्रभावित है. जहां 2020-21 में मवेशियों के टकराने के कुल 26,000 मामलों में से 6,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. यह दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के 3,000 किमी ट्रैक और मेजबान भागों को कवर करता है. इसमें आगरा, झांसी और प्रयागराज जैसे डिवीजन शामिल हैं और यहां पूर्व से चलने वाली ट्रेनें भारत के उत्तरी भागों तक जाती हैं. अधिकारियों ने कहा कि उत्तर रेलवे ज़ोन में सबसे अधिक मवेशियों के ट्रैक पर आने के मामले दर्ज किए गए हैं. जहां उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और लखनऊ, पंजाब के फिरोजपुर, हरियाणा के अंबाला और दिल्ली में लगभग 6,800 मामले सामने आए हैं. पांच में से तीन वंदे भारत ट्रेनें इन दो क्षेत्रों के मार्गों से गुजरती हैं.
वंदे भारत ट्रेन खास तरीके से की गई डिजाइन
एक अधिकारी ने बताया, "वंदे भारत ट्रेनों को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था कि मवेशियों के ट्रैक पर आने के कारण उन्हें कोई गंभीर नुकसान न हो. यही कारण है कि इन प्रीमियम ट्रेनों का आगा के हिस्से इस तरह डिजाइन किया गया है. जिसमें फाइबर का इस्तेमाल किया गया है. इस कवर की कीमत रेलवे को लगभग 10,000 से 15,000 रुपये प्रति पीस पड़ती है और टक्कर के कुछ घंटों के भीतर इसे बदल दिया जाता है."
रेलवे के पास ट्रेनों के रिपयेर के लिए लिए लगभग 10 सेंटर हैं. रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, ट्रैक पर मवेशियों के आने से प्रभावित ट्रेनें जनवरी में 360 से बढ़कर सितंबर में 635 हो गईं, जिसके कारण रोजाना 22 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं.
अक्टूबर के पहले नौ दिनों में 200 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं, जिससे इस साल अब तक की संख्या 4,433 हो गई है. मवेशियों के ट्रैक पर आने से ट्रेनों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है, उन्हें गणतव्य तक पहुंचने में देरी हो सकती है और यहां तक कि मवेशी ट्रेन के पटरी से उतरने का कारण भी बन सकते हैं.