
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन दिल्ली बॉर्डर पर 20 दिनों से जारी है. 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. प्रदर्शन के कारण आम लोगों को तो दिक्कतों का सामना करना ही पड़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही रेलवे को भी काफी नुकसान हुआ है.
कोरोना महामारी के कारण देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के कारण रेलवे पहले से ही नुकसान में है. धीरे-धीरे ट्रेनों ने रफ्तार पकड़नी शुरू की थी, लेकिन किसानों के आंदोलन ने उस पर ब्रेक लगा दिया है. अन्नदाताओं के प्रदर्शन के कारण रेलवे को 2000 से 2400 करोड़ का नुकसान हुआ है. उत्तर रेलवे के महाप्रबंधन आशुतोष गंगल ने ये जानकारी दी.
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आशुतोष गंगल के मुताबिक, किसान आंदोलन के चलते रेलवे को 2000 करोड़ का नुकसान हुआ है. किसानों के धरने से कोयला, पेट्रोलियम और सीमेंट जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई पर भारी असर पड़ा है.
बता दें कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार में गतिरोध जारी है. सरकार किसानों के साथ आमने-सामने से बात तो कर ही रही है, प्रदर्शनकारी किसानों को मनाने के लिए बैकडोर चैनल से भी बात कर रही है. लेकिन सिंघु, टिकरी और गाजीपुर पर डटे किसान नए कानूनों को रद्द करने से कम पर राजी नहीं है. अपनी मांगों के समर्थन में सोमवार को किसानों ने भूख हड़ताल भी की.
वहीं, मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने कहा कि सरकार बाहर से आने वाले लोगों को आने नहीं दे रही है. हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है. ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है. किसानों ने कहा कि ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है. हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे.