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Indian Railways Refuse Indicator: पटरी के किनारे क्यों बने होते हैं ये बॉक्स, क्या होता है इनका खास मकसद?

Indian Railways: इन चौकोर बने ब्लॉग्स को रिफ्यूज इंडिकेटर कहते हैं और ये रेलवे विभाग के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि रिफ्यूज इंडिकेटर का काम क्या होता होगा और ये इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं. तो आइए जानते हैं इनके बारे में...

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:56 AM IST

Indian Railways Refuse Indicator: ट्रेन में यात्रा करते वक्त आपको पटरी के किनारे-किनारे हर थोड़ी दूरी पर चौकोर ब्लॉक्स टाइप जगह आपको दिखती होगी. लेकिन क्या आपको पता है कि रेलवे द्वारा इसे क्यों बनाया जाता है. दरअसल, इन चौकोर बने ब्लॉग्स को रिफ्यूज इंडिकेटर कहते हैं और ये रेलवे विभाग के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि रिफ्यूज इंडिकेटर का काम क्या होता होगा और ये इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं. तो आइए जानते हैं इनके बारे में...

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दरअसल, रेलवे विभाग (Indian Railways) के कर्मचारी समय-समय पर ट्रेन की पटरियों की मरम्मत करते रहते हैं. मरम्मत का ये काम दिनभर चलता रहता है. रेलवे के टेक्निकल डिपार्टमेंट के कर्मचारी ट्रॉली के माध्यम से मरम्मत करने की जगह पहुंचते हैं और पटरियों की मरम्मत करके उन्हें ठीक करते हैं.

निरीक्षण ट्रॉली

अब सोचिए कि पटरियों की मरम्मत के दौरान अगर किसी ट्रेन को उसी ट्रैक से गुजरना हो तो रेलवे कर्मचारी क्या करेंगे. इसी स्थिति से निपटने के लिए ये चौकोर दिखने वाले रिफ्यूज इंडिकेटर (Refuse Indicator) बनाए जाते हैं. ताकि कर्मचारी अपनी ट्रॉली व अन्य सामान उस जगह पर रख सकें और ट्रेन के पास होने में कोई दिक्कत भी न हो. 

ट्रेन के निकल जाने के बाद कर्मचारी अपने ट्रॉली को दोबारा पटरी पर रखते हैं और फिर उसकी मदद से नजदीकी यार्ड या स्टेशन पर पहुंच जाते हैं. रेलवे हर एक रिफ्यूज इंडिकेटर्स को एक निश्चित दूरी पर बनाता है. 

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रिफ्यूज इंडिकेटर पर रखी ट्रॉली

रेलवे की तकनीकि भाषा में समझें तो ट्रॉली से ट्रैक निरीक्षण के दौरान किसी भी ट्रेन के उस ट्रैक पर आने की स्थिति में ट्रॉली को हटाकर किनारे बने रिफ्यूज इंडिकेटर पर रख दिया जाता है. ट्रॉली को जिस निर्धारित जगह पर रखा जाता है उसे ही रिफ्यूज इंडिकेटर कहा जाता है. 

रेलवे पुल पर भी होते हैं रिफ्यूज इंडिकेटर

ये रिफ्यूज इंडिकेटर चौकोर होता है और कॉन्क्रीट से बना होता है. इसकी ऊंचाई रेलवे की पटरी की ऊंचाई के बराबर होती है और पटरी से रिफ्यूज इंडिकेटर तक एक स्लोप होता है ताकि सामान और ट्रॉली आसानी से वहां तक पहुंच सके.

 

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