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Indian Railways: कोहरे में भी ट्रेनों की स्पीड पर नहीं लगेगा ब्रेक, रेलवे ने उठाए ये कदम

Indian Railways: सर्दियों के मौसम में रेलवे के सामने ट्रेन के परिचालन को लेकर काफी दिक्कतें आती हैं. अक्सर कोहरे की वजह से ट्रेनों की स्पीड पर ब्रेक लग जाता है. हालांकि, रेलवे ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. आइए जानते हैं क्या है रेलवे की तैयारी.

Railway Train in Fog  (Representational Image) Railway Train in Fog (Representational Image)
उदय गुप्ता
  • चंदौली,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:00 AM IST

सर्दियों के मौसम में संभावित कोहरे के मद्देनजर पूर्व मध्य रेल (East Central Railway) द्वारा संरक्षित ट्रेन परिचालन की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे कोहरे के दौरान गाड़ियों के लेट होने के मामले कम से कम हों और यात्रियों को परेशानी न हो. इस उद्देश्य से इंजनों में फॉग सेफ डिवाइस (Fog Safe Device) लगाया गया है. ट्रेनों के सुचारू परिचालन के लिए पूर्व मध्य रेल के मेल/एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए फॉग सेफ डिवाइस का प्रावधान किया गया है. गौरतलब है कि फॉग सेफ डिवाइस जीपीएस आधारित एक उपकरण है जो लोको पायलट को आगे आने वाली सिगनल की चेतावनी देता है जिससे लोको पायलट ट्रेनों की स्पीड को नियंत्रित करते हैं.

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कोहरे के बीच ये हैं रेलवे के इंतजाम
ट्रेनों के इंजन में फॉग सेफ डिवाइस लगाने के साथ-साथ फॉग मैन भी तैनात किये जा रहे हैं जो कोहरे के दौरान रेल लाइन पर सिगनल की स्थिति की निगरानी करेंगे. रेल फ्रैक्चर से बचाव और समय पर इसकी पहचान हेतु उच्चाधिकारियों की निगरानी में रेलकर्मियों द्वारा निरंतर पेट्रोलिंग की जा रही है. इससे एक ओर जहां सुरक्षा में वृद्धि होगी. वहीं, कोहरे के बावजूद समय-पालन बनाए रखने में मदद मिलेगी. लाइनमैन एवं पेट्रोलमैन कर्मचारियों को जीपीएस भी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उनकी खुद की भी सुरक्षा हो सके.

सिगनलों की दृश्यता को बढ़ाने के लिए सिगनल साइटिंग बोर्ड, फॉग सिगनल पोस्ट, ज्यादा व्यस्त समपार के लिफ्टिंग बैरियर आदि को काले और पीले रंग से रंगकर उसे चमकीला बनाया गया है. सिगनल आने के पहले रेल पटरी पर सफेद चूने से निशान बनाया गया है ताकि लोको पायलट कुहासे वाले मौसम में सिगनल के बारे में अधिक सतर्क हो जायें. 

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स्टेशन मास्टर और लोको पायलटों को जारी किए गए हैं यह निर्देश
सभी स्टेशन मास्टरों तथा लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर इसकी सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष को दी जाये. इसके बाद दृश्यता की जांच वीटीओ (विजुविलिटी टेस्ट ऑब्जेक्ट) से करें. दृश्यता बाधित होने की स्थिति में लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक पावर, लोड और दृश्यता की स्थिति के आधार पर गाड़ी की गति को नियंत्रित करें. लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर वे गाड़ियों को नियंत्रित गति से चलायें. समपार फाटक पर तैनात गेटमैन एवं आम लोगों तक ट्रेन गुजरने की सूचना मिल सके इसलिए ट्रेन के चालक समपार फाटक के काफी पहले से लगातार हॉर्न देंगे ताकि यह पता चल सके कि समपार फाटक से ट्रेन गुजरने वाली है.

 

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