Advertisement

मवेशियों की वजह से लेट हुईं 4000 ट्रेनें, क्यों वंदे भारत ट्रेनें हो जाती हैं डैमेज?

Vande Bharat Train Accident: वंदे भारत ट्रेनों के मवेशियों से टकराने के मामले बार-बार सामने आए हैं. मुंबई-अहमदाबाद वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन तीन बार मवेशियों से टकरा चुकी है. इस वजह से इसकी 'नाक' को भी नुकसान पहुंचा है. आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 4 हजार से ज्यादा ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित रही हैं.

Vande Bharat Train Accident Vande Bharat Train Accident
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST

Vande Bharat Train Accident: पटरी पर मवेशियों से टकराकर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को नुकसान पहुंचने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. हालांकि, यह समस्या सिर्फ इन ट्रेनों तक ही सीमित नहीं है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मवेशियों की समस्या की वजह से सिर्फ अक्टूबर के पहले 9 दिनों में 200 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है. वहीं, इस साल की बात करें तो 4 हजार से ज्यादा ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित रही हैं. सबसे बुरा प्रभाव हालिया शुरू हुई मुंबई-अहमदाबाद वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर हुआ, जिसे 1 अक्टूबर को लॉन्च किया गया था. इस महीने यह तीन बार पटरी पर आए मवेशियों से टकरा चुकी है, जिसकी वजह से इनकी 'नाक' को नुकसान पहुंचा.

Advertisement

क्यों वंदे भारत ट्रेनें होती हैं डैमेज?

रेलवे अधिकारी के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के बाद भी ट्रेन और उसमें बैठे यात्रियों को नुकसान न पहुंचने दें. ज्यादातर प्रीमियम ट्रेनों में फ्रंट का हिस्सा कोन शेप का रखा जाता है. यह हिस्सा मजबूत फाइबर प्लास्टिक का होता है. इसमें किसी भी तरह की टक्कर होने पर सिर्फ आगे के कोन शेप हिस्से को नुकसान पहुंचता है, गाड़ी के अन्य हिस्से, चेचिस और इंजन को हानि नहीं पहुंचती है.

रेल पटरियों के पास बाड़ लगाने का काम जारी

अधिकारियों के मुताबिक, जहां ऐसी दुर्घटनाएं होने की ज्यादा गुंजाइश है, ऐसे बहुत सारे इलाकों में पटरियों के आसपास बैरिकेडिंग की गई है. हालांकि, इतने लंबे इलाके की बाड़बंदी बेहद मुश्किल काम है क्योंकि बहुत सारी जगहों पर एक तरफ रिहाइशी इमारते हैं तो दूसरी ओर खेत. रेलवे ने उन इलाकों की भी पहचान की है, जहां मवेशियों से दुर्घटनाएं होने के मामले ज्यादा सामने आए हैं. ऐसी जगहों पर बाड़ लगाने का काम जारी है. एक अधिकारी के मुताबिक, इन जगहों पर बाड़ लगाने का काम 40 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. 

Advertisement

लोगों को किया जा रहा है जागरूक

रेलवे के इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ शर्मा ने बताया, 'रेलवे मवेशियों से ट्रेनों की होने वाली टक्कर की घटनाओं को कम करने के लिए हर प्रयास कर रही है. हम उन इलाकों की पहचान कर रहे हैं, जहां इस तरह की घटनाएं देखने को मिली है. हम ऐसी जगहों का दौरा कर रहे हैं और लगातार हो रही घटनाओं की वजह जानने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ ऐसे कारण पता चले हैं जिनका हल निकाला जा सकता है. हालांकि, कई बार कोई सीधी वजह नहीं पता चली. फिर भी हमारी टीमें आसपास गे गांवों में जा रही है और संरपंचों के संपर्क में है. हम गांववालों को ऐसी घटनाओं के बारे में जागरूक कर रहे हैं.' अफसर ने आगे बताया, 'कुछ रेलवे ट्रैक्स पर अवैध ढंग से बनाए गए रास्ते पाए गए. कभी-कभी कुछ हिस्सों में बाड़ लगाने की जरूरत महसूस की गई.'

कहां-कहां हुईं घटनाएं?

हादसे वाले जिन इलाकों की पहचान की गई है, उनमें नॉर्थ सेंट्रल रेलवे और नॉर्दर्न रेलवे के कुछ स्ट्रेच शामिल हैं. नॉर्थ सेंट्रल रेलवे मवेशियों से हो रहे हादसों से सबसे ज्यादा बुरी तरह प्रभावित है. यहां हुए 26 हजार से ज्यादा मामले में अकेले 6500 केस साल 2020-21 के हैं. बता दें कि नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के तहत 3 हजार किमी तक के ट्रैक आते हैं और यह दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर्स के बड़े हिस्से की देखरेख करता है. इसके तहत, आगरा, झांसी और प्रयागराज जैसे डिविजन आते हैं. यह देश के उत्तरी हिस्सों में जाने को पूर्व के लिए गेटवे का काम करता है.

Advertisement

वहीं, रेलवे के नॉर्थ जोन में मवेशियों से जुड़े सबसे ज्यादा करीब 6800 हादसे हुए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, ये घटनाएं यूपी के मुरादाबाद और लखनऊ डिविजन जबकि पंजाब के फिरोजपुर, हरियाणा के अंबाला और दिल्ली में हुए हैं. इन दो जोन्स में पांच में से 3 वंदे भारत ट्रेनें गुजरती हैं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement