
Indian Railways: आपने हमेशा देखा होगा कि अधिकतर ट्रेन में कोच का क्रम एक जैसा ही रहता है. पहले इंजन फिर जनरल डिब्बे और फिर ए.सी. कोच और उनके बाद फिर जनरल डिब्बे ऐसे में एक सवाल आपके दिमाग में हमेशा आता होगा कि आखिर ट्रेन के बीच मे ही एसी कोच को क्यों लगाया जाता है. अधिकतर ट्रेन में कोच का डिजाइन लगभग एक समान ही होता है. सबसे पहले इंजन, फिर जनरल डिब्बा, फिर कुछ स्लीपर और बीच में एसी डिब्बे उसके बाद फिर से स्लीपर और स्लीपर के बाद एक या दो जनरल डिब्बा और लास्ट में गार्ड रूम. अगर फुल एसी ट्रेन है तो मामला अलग है.
रेलवे के अधिकारी और रेल एक्सपर्ट सुनील राजोरिया कहते है कि इसमें सबसे पहला कारण रेल सुरक्षा असल रेलवे ने ये क्रम यात्रियों की सुरक्षा के हिसाब से लगाया था जो आज तक चलता रहा है. इस सवाल का जवाब कई लोग अलग-अलग तरीके से देते हैं. हालांकि, कोई भी सही से नहीं जान पाता कि आखिर इन एसी डिब्बे को ट्रेन के बीच में ही क्यों लगाया जाता है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है.
असल मे ट्रेन में कोच का क्रम सुरक्षा और यात्रियों की सुगमता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाता है. एसी कोच, लेडीज कंपार्टमेंट ट्रेन के बीच में होते हैं. जबकि इंजन के एकदम पास समान रखने के लिए लगेज कोच लगाए जाते हैं. इसके पीछे तर्क ये दिया जाता है कि एसी कोच में बैठने वाले यात्रियों को ज्यादा दिक्कत का सामना न करना पड़े.
एग्जिट गेट एसी डिब्बों के सामने होते हैं
इसके अलावा, रेलवे स्टेशन पर निकास द्वार बीच में ही होता है और जब ट्रेन रुकती है तो एसी कोच के यात्रियों को ही सबसे पहले मौका मिलता है स्टेशन से बाहर निकलने का, यानी स्टेशन में यात्रियों की भीड़ बढ़े उससे पहले ही स्टेशन से एसी कोच यात्रियों का निकासी हो जाये एग्जिट डोर से यह भी कारण रहा है जिसकी वजह से एसी कोच को बीच मे रखा जाता है.