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DefExpo: नौसेना के वाइस एडमिरल बोले- भविष्य की जंग स्वदेशी हथियारों से ही जीती जा सकती है

डिफेंस एक्सपो में कई ऐसे भारतीय हथियार हथियार प्रदर्शित किए गए हैं, जो एक्सपोर्ट के लिए तैयार हैं. कुछ डील्स भी हुई हैं. नौसेना के वाइस चीफ़ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने आजतक से Exclusive बातचीत में बताया कि भविष्य की जंग स्वदेशी हथियारों से ही जीती जा सकती है.

डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया स्वदेशी रॉकेट सिस्टम. डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया स्वदेशी रॉकेट सिस्टम.
मंजीत नेगी
  • गांधीनगर,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST

गुजरात के गांधीनगर में शुरू हुए डिफेंस एक्सपो 2022, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की थीम पर आधारित है. इस एक्सपो का उद्देश्य 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' को आगे बढ़ाना है. यह आयोजन स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित, प्रोटोटाइप और उत्पादित थल, नौ, एयरो और आंतरिक सुरक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों की श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा. अब हम आपको दिखाते हैं ऐसे कुछ घातक हथियार जो विदेशों में एक्सपोर्ट के लिए तैयार हैं. नौसेना के वाइस चीफ़ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने आजतक से Exclusive बातचीत में बताया कि भविष्य की जंग स्वदेशी हथियारों से ही जीती जा सकती है.

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ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दुनिया की ताकतवर मिसाइलों में है. जो हवा में मार्ग बदल सकती है. चलते-फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है. ब्रह्मोस अब एक अत्याधुनिक वर्जन ब्रह्मोस एनजी बना रहा है. ब्रह्मोस के सीईओ अतुल दिनाकर राणे ने आजतक को बताया कि ब्रह्मोस एनजी यानि नेक्स्ट जनरेशन के नेवी वर्जन के बाद सेना व वायुसेना के वर्जन बनाए जाएंगे. ब्रह्मोस 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है. राडार की पकड़ में भी नहीं आती. ब्रह्मोस अमेरिका की टोमाहॉक मिसाइल से लगभग दोगुनी तेजी से वार करती है. ब्रह्मोस मिसाइल अब निर्यात के लिए तैयार है. फिलिपींस ब्रह्मोस मिसाइल खरीद रहा है. 

सोलार इंडस्ट्रीज द्वारा बनाया गया हैंड ग्रैनेड. 

चीन और पाकिस्तान की सरहद पर हमारे इन्फैंट्री सैनिकों को बिना सुरक्षा के घूमना खतरनाक साबित हो सकता है. इससे उनकी मोबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए कल्याणी ग्रुप ने खास बख्तरबंद वाहन बनाया है. इससे सैनिकों को खतरनाक इलाकों से आना-जाना आसान हो जाएगा. ये बख्तरबंद वाहन गोलियों और बारूदी सुरंगों से बचाने में सक्षम है. देश में पहली बार किसी निजी कंपनी ने सेना के लिए गोला-बारूद बनाया है. मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड प्रथम विश्व-युद्ध के उन ग्रेनेड्स की जगह लेंगे जो भारतीय सेना अभी तक इस्तेमाल करती आई थी. 

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कल्याणी ग्रुप का गरुड़ गन सिस्टम.

रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की पहल को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्रालय ने 10 लाख मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड्स की आपूर्ति के लिए नागपुर की सोलर ग्रुप कंपनी मैसर्स इकोनॉमिक एक्सप्लोजिव लिमिटेड के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल ने बताया कि अगले दो साल में कुल 10 लाख हैंड-ग्रेनेड सेना को सौंपने हैं. डिफेंस एक्स्पो के दौरान सेना के लिए मध्यम और लंबी दूरी तक मार करने वाली कई स्वदेशी तोप सेना में शामिल होने के लिए तैयार हैं. कल्याणी ग्रुप ने एक नया गरुड़ गन सिस्टम बनाया है. जो 17 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात हो सकता है. 

इस एक्सपो की कुछ खास विशेषताएं भी होंगी. जैसे- एचएएल द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित ट्रेनर विमान एक्सपो में पहली बार प्रदर्शित किया जाएगा. गुजरात के दीसा में नव विकसित हवाई अड्डे का डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया जाएगा. रक्षा उत्पादन के लिए 75 सेक्टर स्टार्ट-अप और उद्योगों के लिए खोले जाएंगे. 

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