
भारत में बीते एक सप्ताह से कोराना के नए मामले बढ़े हैं. वहीं कोविड-19 के एक नए सब-वेरिएंट JN.1 को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. इस बीच इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि सब-वेरिएंट JN.1 के खिलाफ फिलहाल वैक्सीन के किसी अतिरिक्त डोज की जरूरत नहीं है.
देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति के बारे में एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा, 'मैं कहूंगा कि उन सभी लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है जो 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं, और जिन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हैं. ऐसे लोग दवाइयों का सेवन करते हैं, जो इम्युनिटी को कम करती हैं. जैसे कैंसर के मरीज. उन्हें सावधानी बरतने की सलाह मैं दूंगा. वरना, अन्य लोगों को टीके की किसी अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता नहीं है'.
देश में अब तक 400 से अधिक सब-वेरिएंट की पहचान
INSACOG चीफ ने जोर देकर कहा कि ओमीक्रॉन के विभिन्न सब-वेरिएंट के बारे में पता चला है, लेकिन उनमें से कोई भी जोखिम बढ़ाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, 'हर हफ्ते आप अलग-अलग हिस्सों में कुछ नया सुनते हैं और फिर यह पूरे भारत में फैल जाता है. हमने इस वायरस के बड़ी संख्या में सब-वेरिएंट, 400 से अधिक सब-वेरिएंट की पहचान की है. अच्छी बात यह है कि इनमें से कोई भी ओमीक्रॉन वेरिएंट वास्तव में जोखिम बढ़ाने वाला नहीं है. इनसे गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति नहीं आएगी'.
उन्होंने जेएन.1 सब-वेरिएंट के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताया, और कहा कि यह भी ओमीक्रॉन के अन्य सब-वेरिएंट के समान ही है. डॉक्टर एनके अरोड़ा ने कहा, 'ओमीक्रॉन के अन्य सब-वेरिएंट की तरह ही जेएन.1 से संक्रमण के लक्षण भी हैं. इनमें बुखार, सर्दी और खांसी, दस्त और शरीर दर्द हैं. आमतौर पर ये दो से पांच दिन में ठीक हो जाते हैं'. डॉ. अरोड़ा ने आगे कहा कि हालांकि मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम है.
ओमीक्रॉन के अन्य सब-वेरिएंट से अलग नहीं है जेएन.1
उन्होंने कहा, 'भारत में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से अब तक हमने जेएन.1 के 22 मामले देखे हैं. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह बहुत तेजी से फैल रहा है. देश में इस दौरान जितने मामले दर्ज हुए उनमें जेएन.1 से संक्रमित होने वालों की 1 प्रतिशत से भी कम है. हाल ही में, मामलों की संख्या निश्चित रूप से बढ़ी है, और हमने टेस्टिंग भी बढ़ा दी है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है'.
उन्होंने इस बात को दोहराया कि घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्कता की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'मैं हर किसी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की बिल्कुल भी नहीं'. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में जेएन.1 वेरिएंट को लेकर सतर्क रहने का दिशानिर्देश जारी किया था. लेकिन उसने भी यह बात कही थी कि डेटा के आधार पर JN.1 को बहुत जोखिम वाला वेरिएंट नहीं कहा जा सकता.