
कर्नाटक में कांग्रेस के लिए आने वाला दिसंबर महीना भारी नजर आ रहा है. यहां पार्टी लाख गुटबाजी छुपाने की कोशिश करे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी उठापटक कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. कांग्रेस चीफ खड़गे के बयान के बाद भी डीके शिवकुमार का महाकुंभ में डुबकी लगाना. महाशिवरात्रि के उस प्रोग्राम में शामिल होना, जिसमें अमित शाह मुख्य अतिथि हैं और फिर सवाल उठने पर यह कहना कि 'मैं हिंदू ही पैदा हुआ और हिंदू ही मरूंगा.' कर्नाटक में चल रही अंदरूनी खींचतान के बारे में सबकुछ खुलकर बयां कर रहा है.
कहा जा रहा है कि यह सारी खींचतान कर्नाटक के वर्तमान डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए है. एक दिन पहले कांग्रेस के विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने तो खुलकर कह दिया कि आने दिसंबर 2025 में डीके शिवकुमार कर्नाटक के सीएम बन जाएंगे और आगे 7.5 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे. बसवराजू का दावा है कि कर्नाटक में अगली सरकार भी कांग्रेस की ही बनेगी, जिसका नेतृत्व डीके शिवकुमार करेंगे.
पूरे होने वाले हैं सिद्धारमैया के ढाई साल
ये सारी रस्साकशी इसलिए चल रही है क्योंकि मई 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद एक थ्योरी को लेकर दावा किया जाता है. दावे के मुताबिक तब सीएम की कुर्सी जरूर सिद्धारमैया को दे दी गई थी, लेकिन डीके शिवकुमार को आश्वासन मिला था कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें मिल जाएगी. अब दिसंबर में सिद्धारमैया के बतौर सीएम ढाई साल पूरे होने वाले हैं. इसलिए डीके शिवकुमार के गुट ने सीएम बदलने की मांग शुरू कर दी है. हालांकि, सिद्धारमैया का गुट भी इस बात को लेकर अड़ा हुआ है कि वह अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे.
राजस्थान में भी दिख चुका है 'ढाई साल विवाद'
कांग्रेस के ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी यही विवाद सामने आया था. तब मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत के साथ-साथ सचिन पायलट भी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन आलाकमान ने गहलोत को कुर्सी पर बैठाया था.
तब पायलट के समर्थकों ने दावा किया था कि सीएम पद को लेकर ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ है. सरकार बनने के साथ ही गहलोत-पायलट के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगीं थीं. जुलाई 2020 में पायलट ने कुछ कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर बगावत भी कर दी थी. हालांकि, तब पायलट को मनमुताबिक समर्थन नहीं मिला था और बाद में प्रियंका गांधी के दखल के बाद पायलट की नाराजगी दूर हो गई थी.
कब नजर आए डीके शिवकुमार के बदले तेवर?
> कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 जनवरी को महाकुंभ स्नान को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं में गंगा में डुबकी लगाने की होड़ मची है. लेकिन गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म नहीं होगी. इसके ठीक 13 दिन बाद (9 फरवरी) डीके शिवकुमार प्रयागराज पहुंचे और संगम में डुबकी लगाई. इतना ही नहीं उन्होंने महाकुंभ की व्यवस्था की तारीफ भी की. डीके शिवकुमार ने कहा,' इतनी बड़ी भीड़ को संभालना आसान काम नहीं है. यह अविश्वसनीय था. कुछ छोटी-मोटी असुविधाएं तो होंगी ही, लेकिन मैं यहां खामियां निकालने नहीं आया हूं.'
> महाकुंभ के बाद डीके शिवकुमार ईशा फाउंडेशन के महाशिवरात्रि समारोह में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. डीके शिवकुमार के इस कदम को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई. कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने सवाल उठाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना करने वालों के साथ शिवकुमार मंच कैसे साझा कर सकते हैं? डीके शिवकुमार के इस कदम को लेकर जब मीडिया ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने अपने जवाब से सबको चौंका दिया. डीके ने बेंगलुरु में कहा,'मैं हिंदू ही पैदा हुआ और हिंदू ही मरूंगा'.